खोले के हनुमान मंदिर में आयोजित 65वां लक्खी अन्नकूट महोत्सव ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस द्वारा सम्मानित
Wednesday, Nov 26, 2025-03:55 PM (IST)
नई दिल्ली/जयपुर। जयपुर के सुप्रसिद्ध प्रतिष्ठित खोले के हनुमान मंदिर में पिछले दिनों 9 नवम्बर को आयोजित किए गए 65 वें “लक्खी अन्नकूट” को ऑक्सफर्ड बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्डस द्वारा विश्व का सबसे बड़ा 87.5 टन प्रसादी का हनुमान भोग लगाने तथा एक ही दिन में 2,22,030 से भी अधिक लोगों को एक पंक्ति में बिठा कर प्रसादी खिलाने के ऐतिहासिक आध्यात्मिक आयोजन के लिए प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया है।
ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की स्थानीय टीम ने मंगलवार शाम को नरवर सेवा समिति खोले के हनुमान जी के महामंत्री बृज मोहन शर्मा को यह प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इस प्रमाण पत्र पर ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, बर्घिगम यूनाइटेड किंगडम के अध्यक्ष पंकज हर्ष और चेयरमैन आलोक शर्मा के हस्ताक्षर है।
प्रमाण पत्र में उल्लेखित किया गया कि दुनिया के सबसे बड़े हनुमान भोग का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए, एक ही दिन में 2 लाख 22 हजार से अधिक भक्तों को 87.5 टन प्रसाद परोसने के लिए, यह एक ऐतिहासिक आध्यात्मिक घटना है जो भक्तों के बीच अपार भक्ति, सेवा और एकता को दिखाती है।यह दिव्य प्रसाद श्री खोले के हनुमान जी के प्रति आस्था और सामूहिक समर्पण का प्रतीक है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि जयपुर के लक्ष्मण-ढूंगरी पर स्थित खोले के हनुमानजी मंदिर में प्रत्येक वर्ष अन्नकूट मनाया जाता है। इस साल, 9 नवंबर 2025 को, 65वा लक्खी अन्नकूट महोत्सव आयोजित किया गया था। इस आयोजन के लिए लगभग 450 हलवाई (रसोइये) लगाए गए, जिन्होंने 41 भट्टियों पर प्रसाद (अन्नकूट) तैयार किया। प्रसाद की मात्रा बेहद बड़ी थी जिनमें लगभग 800 क्विंटल (8 टन से अधिक) प्रसाद तैयार किया गया। मंदिर परिसर के अलावा आसपास के 61 अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट भोग लगाया गया। इस प्रसाद को भक्तों को मंदिर परिसर में एक साथ पंक्तियों में बिठा कर भोजन प्रसादी वितरित की गई।
इस महोत्सव की विशेषताएँ यह रही कि इस साल “छप्पन भोग” (56 प्रकार के व्यंजन) की झांकी सजाई गई, जिसमें मिठाइयों के अलावा अनेक तरह की सब्जियाँ, दालें, दही-कढ़ी जैसी प्रसाद सामग्री शामिल थी। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री मूंग, मोठ, बाजरा, चावल, मिक्स सब्जी, पूड़ी आदि अर्पित की गई। अन्नकूट के भोग के अलावा मंदिर में पूजा-अर्चना, विशेष श्रृंगार, भजन-कीर्तन आदि धार्मिक गतिविधियाँ भी हुई।
अन्नकूट महोत्सव केवल भोजन का आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और सामूहिकता का प्रतीक बना।इस तरह के आयोजन से अमीर-गरीब, जात-पांत, वर्ग भेद मिटकर सभी भक्त एक साथ पंगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण किया जोकि धार्मिक समानता और भाईचारे का संदेश है। इस आयोजन ने राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर और आसपास के क्षेत्र में धार्मिक एकता, सामुदायिक भावना और आस्था-संस्कृति की धरोहर को मजबूत किया।इतनी विशाल संख्या में प्रसाद वितरण और भीड़ प्रबंधन सुचारू तरीके से तथा सुरक्षा, स्वच्छता, ट्रैफिक आदि परेशानियाँ के बिना हुआ ।
जयपुर के खोले के हनुमान मंदिर में आयोजित “लक्खी अन्नकूट महोत्सव” न सिर्फ एक धार्मिक उत्सव बना, बल्कि आस्था, सेवा, सामूहिकता और सांस्कृतिक समर्पण का एक बेहद बड़ा आयोजन साबित हुआ है। 450 से अधिक हलवाई, 800 क्विंटल प्रसाद और 2 लाख 22 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के लिए भोजन व्यवस्था यह पैमाना निश्चित ही असाधारण है जिसने इसे रिकॉर्ड की श्रेणी में रखा है। जयपुर के प्रतिष्ठित खोले के हनुमान जी मंदिर में इस वर्ष आयोजित किया गया 65वां लक्खी अन्नकूट महोत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक बना है, बल्कि इसे राजस्थान का सबसे भव्य लोक-उत्सव भी कहा जा रहा है। यह आयोजन मंदिर की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को और भी गहरा करता है, जहां केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि सेवा व एकता की भावना भी स्पष्ट रूप से झलकती है।
अन्नकूट महोत्सव: एक परिचय
खोले के हनुमान जी मंदिर, जो जयपुर की लक्ष्मण डूंगरी पर स्थित है, हर वर्ष गोवर्धन पूजा के अवसर पर अन्नकूट महोत्सव (लक्की अन्नकूट) आयोजित करता है। इस पवित्र आयोजन के लिए मंदिर प्रबंधन समिति ने 9 नवंबर 2025 को 65वां महोत्सव सम्पन्न हुआ। माना जा रहा है कि यह इस क्षेत्र की अब तक की सबसे बड़ी अन्नकूट रस्म रही, जिसम 450 से अधिक हलवाईयों द्वारा विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार किए। महोत्सव के लिए मंदिर परिसर में 41 विशाल भट्टियाँ तैयार की गई हैं जिस पर भोजन बनाने की व्यवस्था की गई। अनुमानित सामग्री में 1500 किलो घी, 20 से अधिक सब्जियाँ, दही-कढ़ी और सूजी हलवा शामिल हैं। विशेष रूप से 56 प्रकार के व्यंजनों का छप्पन-भोग समूह तैयार किया जाएगा, जिसे भक्तों के भोग और प्रसाद के रूप में अर्पित किया गया ।
प्रसाद वितरण का पैमाना भी विशाल रहा। दो लाख 22 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को पंगत में बैठकर भोजन किया।यह महोत्सव सिर्फ भोजन का आयोजन नहीं है। यह समुदाय और आस्था का उत्सव है। मंदिर परिसर के साथ-साथ पास के 61 अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट का भोग लगाया गया, जिससे आसपास के समाज में धार्मिक एकता और भाईचारे की भावना बढ़ी । भोग वितरण में जात-पांत या आर्थिक भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। सभी भक्त समान पंगत में बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं, जो सेवा और सम्मान का संदेश देता है। यह आयोजन धार्मिक समर्पण के साथ-साथ, स्वच्छता और व्यवस्था के दृष्टिकोण से भी व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जाता है। जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन,नगर निगम और स्वच्छता मिशन की टीमों ने भी भी महोत्सव के दौरान सहयोग किया।
