जयपुर बैठे-बैठे रामलाल शर्मा ने उड़ाई रविंद्र सिंह भाटी, नरेश मीणा और हनुमान बेनीवाल की नींद!
Wednesday, Nov 20, 2024-03:41 PM (IST)
हाल ही में देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने विवाद खड़ा किया। यह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल की ओर से कर्मचारियों और अधिकारियों पर की गई कथित अभद्र भाषा ने नई सियासी बहस को जन्म दे दिया। इस घटनाक्रम पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे असंयमित और अनैतिक करार दिया।
सस्ती लोकप्रियता के लिए भाषा की मर्यादा बिगाड़ रहे नेता –
पूर्व विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश की राजनीति में जनप्रतिनिधि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए असंयमित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। इस प्रकार की बयानबाजी न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि यह नैतिकता और मानवता के भी विपरीत है। उन्होंने कहा कि जनता के मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना प्रत्येक राजनीतिक व्यक्ति का नैतिक धर्म है, लेकिन सस्ती लोकप्रियता के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किसी भी रूप में उचित नहीं है। राजनीति सिद्धांतों और मुद्दों पर आधारित होनी चाहिए, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर किसी की अपनी भूमिका होती है।
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इन नेताओं की भाषा पर हो रही आपत्ति -
रामलाल शर्मा ने चार नेताओं की भाषा पर आपत्ति जताई, जिनमें शिव विधायक रविंद्र भाटी, नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में एसडीएम के साथ हुई घटना और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव धीरज गुर्जर द्वारा कर्मचारियों को जूते मारने की टिप्पणी शामिल है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में बाहुबलियों की राजनीति को जगह नहीं दी जा सकती। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग गुंडागर्दी और दादागिरी के बल पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, और यहां बाहुबलियों की जगह नहीं, बल्कि जनता की सेवा करने वालों का महत्व है।
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अपनी ही पार्टी के विधायक पर भी उठाए सवाल -
बीजेपी विधायक अनीता भदेल के आरएएस अधिकारी पर दिए गए बयान को लेकर रामलाल शर्मा ने कहा कि किसी भी पार्टी का नेता हो, उसे बाहुबल और दादागिरी की राजनीति का अधिकार नहीं है। राजस्थान की राजनीति हमेशा से पाक-साफ और सिद्धांतों पर आधारित रही है। यहां हमेशा विचारधारा और मुद्दों के आधार पर बात की जाती रही है। लेकिन किसी भी दल या नेता को इस तरह की असंयमित भाषा का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।