Rajasthan: राजस्थान में आज से पंचायतों की पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू, चार महीने में बदलेंगे गांवों के नक्शे
Wednesday, Jan 22, 2025-03:25 PM (IST)
राजस्थान में ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया आज से आरंभ हो गई है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य प्रदेश में प्रशासनिक संरचना को और अधिक प्रभावी बनाना है। यह प्रक्रिया अगले चार महीनों तक चलेगी, जिसके बाद नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का गठन किया जाएगा।
प्रशासनिक और राजनीतिक महत्व
इस प्रक्रिया का महत्व केवल प्रशासनिक नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन का सीधा प्रभाव जनप्रतिनिधियों पर पड़ता है। ऐसे में पंच, सरपंच, विधायक और सांसद जैसे जनप्रतिनिधि इस प्रक्रिया को लेकर बेहद सजग हैं और अपने राजनीतिक फायदे-नुकसान का आकलन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में कई क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण होगा, जो जनप्रतिनिधियों के प्रभाव क्षेत्र और राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है।
पुनर्गठन का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
यह पहला मौका नहीं है जब राजस्थान में ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन किया जा रहा है। इससे पहले, 2013 में वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान भी यह प्रक्रिया हुई थी। उस समय तत्कालीन पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडल समिति ने अपनी सिफारिशों के आधार पर प्रदेश में लगभग 1200 नई पंचायतों और 50 नई पंचायत समितियों का गठन किया था।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में राजस्थान में:
ग्राम पंचायतों की संख्या: 11,304
पंचायत समितियों की संख्या: 352
जिला परिषदों की संख्या: 33
2011 की जनगणना पर आधारित पुनर्गठन
पंचायतों के पुनर्गठन और नवसृजन की प्रक्रिया वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर होगी। 2011 के अनुसार, जिले की ग्रामीण जनसंख्या 11,03,603 थी। इस आंकड़े के आधार पर जिले में लगभग 270 से अधिक नई ग्राम पंचायतें बनाई जा सकती हैं।
नई ग्राम पंचायत के लिए मापदंड
न्यूनतम जनसंख्या: 3,000
अधिकतम जनसंख्या: 5,500
यह मापदंड पहले से अधिक लचीला है। 2013 में हुए पुनर्गठन के दौरान, प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम 5,000 और अधिकतम 7,500 जनसंख्या का मापदंड रखा गया था। हालांकि, अनुसूचित, सहरिया और मरुस्थलीय क्षेत्रों को इससे छूट दी गई थी।
प्रक्रिया का समयबद्ध कार्यक्रम
इस बार, पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का कार्य 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पूरा किया जाएगा। इस दौरान:
प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे।
सीमाओं का पुनर्निर्धारण होगा।
नवसृजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
पुनर्गठन के संभावित प्रभाव
प्रशासनिक लाभ: पुनर्गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी और पारदर्शिता आएगी। छोटी पंचायतों के निर्माण से ग्रामीण विकास योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होगा।
राजनीतिक बदलाव: पुनर्गठन से राजनीतिक क्षेत्रों में भी बदलाव होगा, जिससे राजनीतिक प्रतिनिधियों के समीकरण बदल सकते हैं।
भविष्य की दिशा
ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन का उद्देश्य ग्रामीण विकास में तेजी लाना, प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना, और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना है। यह प्रक्रिया ग्रामीण जनता के जीवन को सीधे प्रभावित करेगी और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि पुनर्गठन के बाद नई ग्राम पंचायतें और पंचायत समितियां कैसे अस्तित्व में आती हैं और किस प्रकार से यह ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती हैं।