मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक बोले- वक्फ बिल से मुसलमानों को मिली नई उम्मीद
Sunday, Apr 06, 2025-06:42 PM (IST)

लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी हस्ताक्षर कर दिए है। यानी अब ये कानून बन चुका है। इसे लेकर के देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध भी देखने को मिला। तो वहीं पर कई लोगों ने इस बिल का समर्थन किया और इसको लागू करने पर खुशी भी जताई है। मगर इस बिल को लेकर के विवाद अभी भी बना हुआ है। आखिर इस बिल के लागू हो जाने के बाद से अब क्या कुछ बदलाव होंगे? ये कितना फायदेमंद है, तमाम मुद्दों पर पंजाब केसरी स्टूडियो में सैय्यद अबू बकर नकवी, राष्ट्रीय संयोजक, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इशिका जैन से खास बातचीत की. पढ़िए इस बातचीत के प्रमुख अंश
प्रश्न: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 अब कानून बन चुका है। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मुहर भी मिल चुकी है। आप इस कानून को किस नज़र से देखते हैं?
नकवी: देखिए, 1995 में बना वक्फ अधिनियम कई खामियों से भरा हुआ था। उसके बाद सच्चर कमेटी और रघुनाथ मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट्स आईं, जिनमें बताया गया कि देश में मुसलमानों की हालत बेहद दयनीय है। लेकिन दुर्भाग्यवश, 2013 में जब संशोधन हुआ, तब भी कोई ठोस प्रावधान नहीं जोड़े गए जिससे वक्फ बोर्ड मज़बूत हो सके या भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके।
वक्फ की करोड़ों की संपत्तियों के बावजूद, गरीब मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं और ज़रूरतमंद बच्चों को किसी तरह की मदद नहीं मिल पाई। इसका कारण यही था कि वक्फ की आय का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता रहा। नया कानून इसी व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा, जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और बोर्ड को वास्तव में समुदाय के लिए उपयोगी बनाएगा।
प्रश्न: विपक्ष का कहना है कि यह कानून मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों और स्वायत्तता पर हमला है। आप इस नैरेटिव को कैसे देखते हैं?
नकवी: मेरा मानना है कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वे भी अंदर ही अंदर मानते हैं कि ये अच्छा संशोधन है। लेकिन वे खुलकर बोल नहीं सकते क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है। सच ये है कि ये बिल मुस्लिमों के हक में है — इससे वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली मजबूत होगी, पारदर्शिता आएगी और जरूरतमंदों तक मदद पहुंचेगी।
आप ट्रिपल तलाक को ही देख लीजिए, कितना विरोध हुआ था। लेकिन आज मुस्लिम बहनें खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हैं। अनुच्छेद 370 के हटाने पर भी विरोध हुआ था, लेकिन अब कश्मीर के गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा और रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। विरोध सिर्फ इसलिए होता है ताकि मुसलमानों को एक वोट बैंक बनाकर रखा जा सके।
प्रश्न: सरकार का कहना है कि इस कानून से अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी और पक्षपात कम होगा। क्या आप इससे सहमत हैं?
नकवी: बिल्कुल। अब जो भी व्यक्ति अपनी ज़मीन वक्फ घोषित करना चाहेगा, उसकी ज़मीन की पहले तहसील स्तर पर जांच होगी। पहले ऐसा होता था कि कोई भी किसी की ज़मीन वक्फ कर देता था और असली मालिक को कोर्ट में जाकर वर्षों केस लड़ना पड़ता था।
इस कानून में ज़मीन की वैधता की पुष्टि के बाद ही उसे वक्फ संपत्ति घोषित किया जाएगा। इससे फर्जीवाड़ा रुकेगा। इसके अलावा, किराएदारों से समयानुसार किराया वसूली का भी प्रावधान किया गया है। पहले एक ही व्यक्ति कई दुकानों पर कब्ज़ा जमा लेता था। अब ऐसा नहीं होगा। गरीब मुस्लिम युवाओं को ज़मीन, दुकानें और रोजगार के मौके मिलेंगे।
प्रश्न: आप खुद स्टेट वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रह चुके हैं। पुराने सिस्टम में क्या समस्याएं थीं और नया कानून कैसे बदलाव लाएगा?
नकवी: जब मैं 2016-17 में चेयरमैन था, तब हमें ट्रिब्यूनल से आदेश तो मिलते थे लेकिन ज़मीन खाली कराने में स्थानीय पुलिस का सहयोग नहीं मिल पाता था। अब एडीएम और कलेक्टर को सीधे अधिकार दिए गए हैं, जिससे प्रशासनिक कार्रवाई तुरंत होगी।
पुराने सिस्टम में ट्रिब्यूनल का आदेश भी अक्सर निष्प्रभावी हो जाता था। अब सुप्रीम कोर्ट तक अपील का प्रावधान है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए जो फंड वक्फ बोर्ड के पास होना चाहिए था, वह भ्रष्टाचार में चला जाता था। इस संशोधन से उन संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित होगा।
प्रश्न: कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी है। आपकी प्रतिक्रिया?
नकवी: इन नेताओं को वक्फ की ज़मीनों से निजी स्वार्थ जुड़ा हुआ है। अगर उन्हें वाकई मुस्लिमों की फिक्र होती तो वो शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के लिए वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल करवाते। अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ। ये सिर्फ अपने वोट बैंक को बचाने की लड़ाई है, न कि समुदाय के हित की।
प्रश्न: तो क्या आप कहेंगे कि ये संशोधन मुसलमानों के लिए एक उम्मीद की किरण है?
नकवी: बिल्कुल। ये संशोधन गरीब मुस्लिम बच्चों के लिए शिक्षा, विधवाओं के लिए सहायता, युवाओं के लिए रोजगार, और पूरे समाज के लिए एक सशक्त बोर्ड का रास्ता खोलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि वक्फ बोर्ड एक पारदर्शी, जनहितकारी संस्था बने — और यह कानून उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।