लोथल में चलेंगी हड़प्पा कालीन नावें, नेवी का बन रहा म्यूजियम नेशनल मेरिटाइम हेरिटेज कॉम्पलेक्स का निर्माण, पीएम मोदी के ब्लू-व्हाइट विजन के तहत हो रहा काम

Tuesday, Sep 30, 2025-12:18 PM (IST)

गुजरात के पुरातात्त्विक नगर लोथल से विशाल सूर्यकांत की ग्राउंड रिपोर्ट

गुजरात के पुरातात्विक नगर लोथल हड़प्पाकालीन विरासत और विकास की सांझी राह पर है। लोथल में उस दौर में, समुद्र महज कुछ किलोमीटर दूर था और मौजूदा भोगवा नदी के रस्ते बड़े जहाज़ों की मरम्मत और अपलोडिंग के लिए मानव निर्मित बंदरगाह बनाया गया था। लोथल में आज भी उस काल की संरचनाएँ मौजूद हैं।

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वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल लोथल में  राष्ट्रीय समुद्रवर्ती विरासत परिसर (NMHC) का निर्माण किया जा रहा है। यहां सिंधु घाटी सभ्यता काल की नावों की डिजाइन के आधार पर बोटिंग सुविधा विकसित की जा रही है, वहीं भारतीय नौसेना का जीवंत संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें आईएनएस निशंक और नेवी हेलीकॉप्टर प्रदर्शनी के लिए रखे जा चुके हैं। यहां इसके अलावा डायनासोर के उद्भव काल को एआई और वर्चुअल तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित करने की तैयारी चल रही है। 

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कैसा होगा राष्ट्रीय समुद्रवर्ती विरासत कॉम्पलेक्स 

- NMHC का क्षेत्रफल लगभग 375 एकड़ होगा।

- 14 थीम आधारित गैलरियों में भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और जहाजरानी से जुड़ी धरोहर और विकास यात्रा दिखाई जाएगी।

- नौसेना की गैलरी में विमानों, हेलीकॉप्टरों और नौसैनिक उपकरणों का प्रदर्शन होगा।

- समुद्री व्यापार, नौकायन परंपरा, जहाज निर्माण कला, लंगर प्रणाली और प्राचीन समुद्री मार्गों का भी जीवंत चित्रण किया जाएगा।

- परियोजना वर्ष 2022 में शुरू हुई और 2028 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है।

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पहुंच और कनेक्टिविटी 

लोथल की नजदीकी दूरी अहमदाबाद से लगभग 85 किलोमीटर है, जिसे सवा से दो घंटे में तय किया जा सकता है। परियोजना के पूरा होने पर बेहतर कनेक्टिविटी विकसित की जाएगी। धोलेरा एक्सप्रेसवे और धोलेरा एयरपोर्ट के बन जाने से यहां पहुंचना और भी आसान होगा। रेल, सड़क और वायु मार्ग से इस क्षेत्र को जोड़ने की विशेष योजना बनाई जा रही है। भविष्य में अहमदाबाद से NMHC तक मात्र सवा घंटे में पहुंचा जा सकेगा।

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पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं

परिसर में आने वाले पर्यटकों के लिए रिसॉर्ट, होटल, टेंट सिटी और अन्य आवासीय व्यवस्थाएं संग्रहालय की थीम के अनुरूप बनाई जा रही हैं। पर्यटक अपनी गाड़ियां परिसर के बाहर पार्क करेंगे और भीतर भ्रमण के लिए इलेक्ट्रिक कार, बैटरी चालित वाहन या नावों का उपयोग कर सकेंगे।

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जोधपुर के पत्थरों से बन रही इमारत 

निर्माण सामग्री और कारीगर
कॉम्पलेक्स की इमारतों में राजस्थान के जोधपुर के पत्थर का उपयोग किया जा रहा है, जो आर्द्र भूमि और मौसम के बीच तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करता है। निर्माण कार्य में भरतपुर और धौलपुर के कारीगर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

परियोजना की चुनौती 

लोथल में प्राचीन मानव निर्मित बंदरगाह को फिर से विकसित करना एक बड़ी चुनौती है।  समस्या यह है कि समुद्र और लोथल को जोड़ने वाली भोगवा नदी का जलस्तर कम है। नदी को प्राचीन स्वरूप में लाने और समुद्री पोर्ट से जोड़ने के लिए जटिल प्रयास करने होंगे. लोथल पुरातन वर्ल्ड हैरिटेज क्षेत्र है। कॉम्प्लेक्स का काम पूरा होने के बाद पर्यटकों के आमद,उनका ठहराव और हैरिटेज का संरक्षण के बीच संतुलन साधना होगा

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Content Editor

Sourabh Dubey

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