जैसलमेर के शाहनवाज खान की ऐतिहासिक जीत | DU चुनाव में चमका मिरासी समाज का लाल

Sunday, Sep 21, 2025-01:05 PM (IST)

जैसलमेर का नाम आज विश्व पटल पर है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में यहां सैलानी आते है। जैसलमेर की इस गरिमा को बढ़ाने में यहां के मिरासी समाज का भी बहुत बड़ा योगदान है। मिरासी समाज ने अपने लोक संगीत के हुनर का लोहा सिर्फ देश मे ही नहीं बल्कि समस्त विश्व मे मनवाया है। जैसलमेर के मिरासी समाज के कई लोगों ने बॉलीवुड व हॉलीवुड की फिल्मों में भी अपना जलवा बिखेर कर यहां का नाम रोशन किया है लेकिन राजनीतिक तौर पर ये समाज हमेशा अंतिम पंक्ति में नजर आया है। लेकिन आज जैसलमेर के मिरासी समाज के एक लाल ने दिल्ली में जाकर अपना परचम लहराया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में जैसलमेर निवासी शाहनवाज खान ने सेंट्रल काउंसलर पद पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शानदार जीत हासिल की है। शाहनवाज ने 756 मतों से विजय प्राप्त कर न केवल अपने कॉलेज का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे जैसलमेर का गौरव भी बढ़ाया। उनकी इस उपलब्धि पर जिलेभर में खुशी की लहर दौड़ गई है। शाहनवाज की जीत की खबर मिलते ही जैसलमेर स्थित उनके घर में बधाइयों का तांता लग गया। परिवार के सदस्य बेहद भावुक और गर्वित नजर आए। शाहनवाज के पिता और बड़े पापा ने बताया कि आज का दिन उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि “जिस समाज के बेटे को कभी पंचायत स्तर पर पार्षद की टिकट तक नसीब नहीं होती थी, उसी समाज का बेटा आज दिल्ली विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी जीत दर्ज कर रहा है। यह हम सभी के लिए ऐतिहासिक पल है।” परिवार का कहना है कि शाहनवाज की जीत सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज और जिले के लिए प्रेरणा है। उनकी मेहनत और संघर्ष ने यह साबित किया है कि अगर नीयत और इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। शाहनवाज ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा मरहूम मूसे खान को दिया। उन्होंने कहा कि बचपन से ही दादा ने उन्हें समाज और सर्वसमाज की सेवा करने का मार्ग दिखाया। “यह जीत मेरी नहीं, बल्कि हर उस युवा की है जो सपने देखने और उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखता है। मैं आने वाले समय में भी छात्रों के अधिकार और न्याय की लड़ाई मजबूती से लड़ता रहूंगा।शाहनवाज की इस सफलता पर जैसलमेर पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह ने भी बधाई दी। उन्होंने ‘X’ पर पोस्ट कर लिखा कि “देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में सरहदी अंचल की प्रतिभाओं का निरंतर बढ़ता प्रतिनिधित्व हम सभी के लिए गर्व और प्रसन्नता का विषय है। उन्होंने शाहनवाज और उनके परिवार को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। शाहनवाज का परिवार जैसलमेर के राजदरबारी आलमखाना (संगीत घराना) से ताल्लुक रखता है। यह घराना पीढ़ियों से कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। ऐसे में शाहनवाज की यह उपलब्धि न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि पारंपरिक समाज की सोच को भी नया आयाम देती है।

शाहनवाज ने कहा कि उन्होंने कभी राजनीति में बड़ी ऊंचाइयों का सपना नहीं देखा। उनका मकसद हमेशा यही रहा है कि छात्रों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो। “मैं छात्रों की आवाज बनकर उनके हक और अधिकारों की लड़ाई पूरी ईमानदारी और मजबूती से लड़ूंगा। जहाँ भी जरूरत पड़ेगी, मैं छात्रों के साथ खड़ा रहूंगा।” 19 वर्षीय शाहनवाज फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में BA सेकेंड ईयर के छात्र हैं। वे पॉलिटिकल साइंस विषय से अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने जैसलमेर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 2024 में दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। शाहनवाज की इस जीत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मांगणियार समाज को गर्व से भर दिया है। उनके बड़े पापा ने कहा, “हमारे समाज का बेटा दिल्ली विश्वविद्यालय में इतनी बड़ी जीत दर्ज करेगा, यह कभी सोचा भी नहीं था। हम जैसलमेर की जनता का दिल से आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने हमेशा हमारे बच्चों को आगे बढ़ने की दुआ और हौसला दिया। शाहनवाज की जीत यह संदेश देती है कि सीमावर्ती अंचल का युवा भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। यह केवल एक छात्र की विजय नहीं, बल्कि पूरे जैसलमेर और रेगिस्तान की धरा की जीत है।


Content Editor

Kailash Singh

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