उदयपुर के रूपावली विद्यालय में जर्जर भवन की छत ढही

Monday, Jul 28, 2025-12:22 PM (IST)

उदयपुर के रूपावली विद्यालय में जर्जर भवन की छत ढही, बड़ा हादसा टला: शिक्षा विभाग, प्रशासन और पंचायत समिति के बीच तालमेल की कमी उजागर

वल्लभनगर, 27 जुलाई (पंजाब केसरी/विशेष संवाददाता)
राजस्थान के विभिन्न जिलों में मानसून की बारिश जहां एक ओर राहत लेकर आती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी लापरवाही और जर्जर इमारतों की स्थिति खतरनाक साबित हो रही है। झालावाड़ हादसे की पीड़ा अभी ताजा ही थी कि उदयपुर जिले की वल्लभनगर पंचायत समिति क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत धमानिया स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, रूपावली में रविवार को एक बड़ी दुर्घटना होते-होते टल गई।

विद्यालय भवन की एक जर्जर छत अचानक भरभराकर ढह गई, लेकिन सौभाग्य से उस दिन रविवार का अवकाश था, जिससे स्कूल में कोई छात्र या शिक्षक मौजूद नहीं था। यदि यह हादसा किसी कार्यदिवस पर होता, तो जान-माल की गंभीर हानि से इनकार नहीं किया जा सकता था।


पहले ही घोषित था "क्षतिग्रस्त", फिर क्यों नहीं हुई कार्यवाही?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय भवन के जिन दो कमरों की छत गिरी है, उन्हें पहले ही "खतरनाक" और "उपयोग से बाहर" घोषित किया जा चुका था। इन कमरों में शिक्षण कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। हालांकि ये कमरे स्कूल के नवीन भवन से बिल्कुल सटे हुए हैं और विद्यार्थियों का इन क्षेत्रों से नियमित आना-जाना बना रहता था। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि खतरा पहले से मौजूद था, लेकिन उसे दूर करने के प्रयास अधूरे थे।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने शिक्षा विभाग को कई बार लिखित और मौखिक रूप से भवन की खराब स्थिति के बारे में अवगत कराया, परंतु किसी भी तरह की मरम्मत या ध्वस्तीकरण की कार्यवाही नहीं की गई। लगातार हो रही बारिश के कारण जर्जर भवन की स्थिति और भी ज्यादा कमजोर हो चुकी थी, जो इस हादसे का मुख्य कारण मानी जा रही है।


जानबूझकर गिराया गया भवन? शिक्षा विभाग ने दर्ज करवाई पुलिस शिकायत

घटना के बाद शिक्षा विभाग की ओर से वल्लभनगर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक सतीश प्रकाश सिंह ने अपने पत्र में आशंका जताई है कि किसी "अज्ञात व्यक्ति द्वारा जानबूझकर, सोची-समझी साजिश के तहत भवन को गिराया गया है।" पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच आरंभ कर दी है।

इस आधार पर शिक्षा विभाग की ओर से इसे केवल एक प्राकृतिक हादसा मानने के बजाय संदेहास्पद गतिविधि के रूप में भी देखा जा रहा है। इस बात ने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।


शिक्षा अधिकारियों का स्पष्टीकरण: पहले से बंद था जर्जर हिस्सा

वल्लभनगर के अतिरिक्त ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (ABEEO) गोपाल मेनारिया ने घटना के बाद मीडिया को जानकारी दी कि जिन कमरों की छत गिरी है, उन्हें पहले ही उपयोग से बाहर किया गया था। विद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इन कमरों में छात्रों को न बैठाया जाए। उनका यह भी कहना है कि भवन अचानक गिरने की स्थिति में नहीं था, बल्कि यह किसी जानबूझकर की गई साजिश का नतीजा भी हो सकता है, जिस कारण से पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया।


पंचायत समिति प्रधान ने पहले ही दिए थे फंड, लेकिन विकास अधिकारी ने नहीं दी स्वीकृति

इस हादसे ने प्रशासनिक उदासीनता की परतें भी खोल दी हैं। वल्लभनगर पंचायत समिति के प्रधान देवीलाल नगारची ने बताया कि उन्होंने जनवरी 2025 में आकस्मिक निरीक्षण के दौरान रूपावली और मावलीडांगियान विद्यालयों की छतों की जर्जर स्थिति देखी थी। उन्होंने 24 जनवरी 2025 को इन दोनों विद्यालयों के लिए दो-दो लाख रुपए की मरम्मत निधि की स्वीकृति प्रदान की थी और संबंधित फाइल पर नोटशीट भी लगाई थी।

हालांकि हैरानी की बात यह है कि इतने महीनों बाद भी वल्लभनगर के विकास अधिकारी सुनील चौहान द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति जारी नहीं की गई, जिसके कारण मरम्मत कार्य शुरू ही नहीं हो सका। अब जब यह हादसा हुआ, तो प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।


सवाल जो प्रशासन और विभाग से पूछे जाने चाहिए:

  1. जब भवन को जर्जर घोषित किया जा चुका था, तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

  2. पंचायत समिति द्वारा स्वीकृति मिलने के बावजूद प्रशासनिक मंजूरी में देरी क्यों हुई?

  3. यदि वास्तव में यह किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा गिराया गया है, तो सुरक्षा की निगरानी व्यवस्था क्यों विफल रही?

  4. क्या सभी जिलों में ऐसे ही जर्जर भवनों की सूची बनाकर तत्काल कार्रवाई की योजना है?


निष्कर्ष: लापरवाही की कीमत कोई और न चुकाए

रूपावली विद्यालय की यह घटना केवल एक “छत गिरने” की खबर नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था की विफलता, प्रशासनिक सुस्ती और विभागीय संवादहीनता का आईना है। गनीमत रही कि इस बार बच्चे स्कूल में नहीं थे, लेकिन कब तक हम "सौभाग्यवश" की उम्मीद पर निर्भर रहेंगे?

अब समय आ गया है कि शिक्षा विभाग, पंचायत समिति, और प्रशासन तीनों मिलकर जर्जर भवनों की स्थिति पर संयुक्त निरीक्षण करें, उन्हें प्राथमिकता से सुधारें या हटाएं, ताकि भविष्य में किसी मासूम की जान इस उपेक्षा का शिकार न हो।


Content Editor

Shruti Jha

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