आरटीआई से खुलासा: बीएलओ का कार्य ''चुनाव ड्यूटी'' की श्रेणी में शामिल नहीं

Thursday, Jul 31, 2025-04:36 PM (IST)

आरटीआई से खुलासा: बीएलओ का कार्य 'चुनाव ड्यूटी' की श्रेणी में शामिल नहीं; कार्मिकों पर हो रही मनमानी कार्रवाई पर सवाल

जयपुर: अक्सर स्थानीय चुनाव कार्यालयों द्वारा बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) कार्य को 'चुनाव ड्यूटी' बताकर विभिन्न विभागों के कार्मिकों को मनमाने तरीके से यह कार्य सौंपने और उनके खिलाफ कार्रवाई की खबरें सामने आती रही हैं. इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, वहीं प्रभावित कार्मिक इसके विधिक समाधान में जुटे हैं. चूरू जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट और एडवोकेट हरदीपसिंह सुंदरिया द्वारा राजस्थान निर्वाचन विभाग से चाही गई जानकारी के जवाब में अब स्थिति स्पष्ट हो गई है: बीएलओ का कार्य चुनाव ड्यूटी की श्रेणी में शामिल नहीं है.

 

वेदपाल धानोठी नामक एक प्रभावित शिक्षक द्वारा इस मामले में भारतीय चुनाव आयोग और राजस्थान निर्वाचन विभाग, साथ ही हाईकोर्ट स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. 04 अक्टूबर 2022 को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बीएलओ नियुक्ति के संबंध में जारी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों को राजस्थान में बाध्यकारी रूप से लागू करवाने की दिशा में भी प्रगति हुई है.

इसी क्रम में, एडवोकेट हरदीपसिंह सुंदरिया ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत निर्वाचन विभाग राजस्थान, जयपुर से यह जानकारी मांगी थी कि क्या बीएलओ कार्य चुनाव ड्यूटी की श्रेणी का कार्य है. इस प्रश्न के जवाब में राज्य लोकसूचना अधिकारी, निर्वाचन विभाग राजस्थान ने भारतीय निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली की ओर से मार्च 2023 को जारी चुनाव ड्यूटी संबंधित निर्देशों के आधार पर स्पष्ट किया है कि चुनाव ड्यूटी संबंधित कार्यों की श्रेणी में बीएलओ ड्यूटी/कार्य का कहीं भी उल्लेख नहीं है.

इसके अतिरिक्त, निर्वाचन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव ड्यूटी की अवधि चुनाव घोषणा के दिन से लेकर चुनाव परिणाम जारी करने के दिन तक ही होती है.

एक अन्य सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि चुनाव ड्यूटी के दौरान कार्यरत किसी अधिकारी/कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक कार्मिक के परिजनों को अनुग्रह अनुदान राशि स्वीकृत करने हेतु जिला कलेक्टर सक्षम है, परंतु बीएलओ की ड्यूटी को चुनाव ड्यूटी मानकर बीएलओ ड्यूटी के दौरान दुर्घटना की स्थिति में अनुग्रह अनुदान राशि प्रदान करने का अलग से कोई प्रावधान नहीं है.

इस खुलासे के बाद कई विधिक सवाल खड़े हो गए हैं. जब बीएलओ ड्यूटी का कार्य चुनाव ड्यूटी की श्रेणी में शामिल नहीं है और इसके दौरान चुनाव ड्यूटी के समान वित्तीय प्रावधान भी नहीं हैं, तो फिर बीएलओ कार्मिकों के खिलाफ चुनाव ड्यूटी के नाम से कार्रवाई क्यों की जा रही है? साथ ही, निर्वाचन विभाग द्वारा गत माह केवल स्थानीय बूथ के कार्मिक को बीएलओ ड्यूटी के लिए बाध्यकारी रूप से प्रभार सौंपने के आदेश के बाद भी राजस्थान प्रदेश में इस आदेश की अवहेलना क्यों की जा रही है? अब यह सवाल भी उठ रहा है कि आरटीआई कानून के तहत चुनाव ड्यूटी के अलावा गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त शिक्षकों को 'छद्म तरीके से चुनाव ड्यूटी' के नाम से बीएलओ के वर्ष पर्यंत चलने वाले वोटर लिस्ट निर्माण व संधारण के कार्य से कब मुक्ति मिलेगी.


Content Editor

Shruti Jha

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