एक होनहार जीवन का दुखद अंत , सुसाइड नोट में बड़े खुलासे

Saturday, Jul 26, 2025-06:07 PM (IST)

एक होनहार जीवन का दुखद अंत

उदयपुर के पैसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डेंटल कॉलेज में BDS अंतिम वर्ष की 25 वर्षीय छात्रा श्वेता सिंह ने अपने हॉस्टल के कमरे में आत्महत्या कर ली। श्वेता मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की निवासी थीं। उनकी रूममेट ने कल रात करीब 11 बजे जब श्वेता को फंदे पर लटका देखा तो तुरंत हॉस्टल अधिकारियों और पुलिस को सूचना दी। सुखेर पुलिस स्टेशन के एसएचओ रवींद्र चरण ने बताया कि श्वेता का शव महाराणा भूपाल चिकित्सालय की मोर्चरी में रखा गया है और उनके परिवार के आने के बाद ही पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।


सुसाइड नोट में चौंकाने वाले खुलासे

इस त्रासदी को और भी दर्दनाक बनाती है, श्वेता के कमरे से मिला सुसाइड नोट। इस नोट में श्वेता ने स्पष्ट रूप से कॉलेज के स्टाफ सदस्यों, नैनी और भगवत पर मानसिक उत्पीड़न और प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने अपने नोट में लिखा है, "मेरी क्षमता नहीं है टॉर्चर झेलने की।" श्वेता ने यह भी लिखा है कि, "अगर भारत में जस्टिस मिलता है तो भगवत को परमानेंट जेल में डाल दो। उनको भी सेम टॉर्चर फील हो, जो बच्चों को फील हो रहा है।" इन पंक्तियों से यह साफ झलकता है कि श्वेता किस गहरे दर्द और निराशा से गुज़र रही थीं।

उनके परिजनों का भी आरोप है कि श्वेता को फीस और कई अन्य मामलों को लेकर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था और उन पर दबाव बनाया जा रहा था, जिसकी वजह से उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।


छात्रों का गुस्सा और न्याय की मांग

श्वेता की मौत की खबर फैलते ही छात्रों में भारी आक्रोश देखने को मिला। उन्होंने कॉलेज में एक विरोध मार्च निकाला और कॉलेज के बाहर सड़क जाम कर दी, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। छात्रों ने श्वेता के लिए कैंडल मार्च भी निकाला।

कॉलेज निदेशक ने छात्रों से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और संबंधित कर्मचारियों को बर्खास्त किया जाएगा। हालांकि, परिजनों का कहना है कि आरोपी स्टाफ को केवल पद से हटाना ही काफी नहीं है, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए।

यह घटना हमारी शिक्षा प्रणाली में मौजूद गहरे मुद्दों को उजागर करती है, जहाँ छात्रों को अकादमिक दबाव और उत्पीड़न के साथ-साथ वित्तीय बोझ का भी सामना करना पड़ता है। श्वेता के सुसाइड नोट में लगाए गए आरोप इस बात की गहन जांच की मांग करते हैं कि हमारे शिक्षण संस्थानों में छात्रों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। उम्मीद है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होगी और श्वेता को न्याय मिलेगा, ताकि भविष्य में किसी और छात्र को ऐसी भयावह स्थिति का सामना न करना पड़े।

क्या आपको लगता है कि शिक्षण संस्थानों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और कड़े कदम उठाए जाने चाहिए?


Content Editor

Shruti Jha

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