मानसून 2025 : राजस्थान सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन एवं राहत कार्यों की व्यापक तैयारियां
Wednesday, Jul 23, 2025-05:10 PM (IST)

मानसून 2025 : राजस्थान सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन एवं राहत कार्यों की व्यापक तैयारियां
जयपुर, 23 जुलाई। राजस्थान राज्य में मानसून सत्र 2025 के दौरान 1 जुलाई से 23 जुलाई तक राज्य में औसतन 99.57 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है, जो सामान्य से कहीं अधिक है। इस अवधि में राज्य में कुल 327.05 मिमी वर्षा दर्ज की गई है, जबकि सामान्य वर्षा 163.88 मिमी मानी जाती है। राज्य के 31 जिलों में सामान्य से 60 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है, जिनमें अजमेर, अलवर, बालोतरा, बारां, ब्यावर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, डीडवाना-कुचामन, जयपुर, जालौर, झुंझुनूं, जोधपुर, करौली, कोटा, नागौर, पाली, राजसमंद, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बाड़मेर, फलोदी, सिरोही, जैसलमेर, खैरथल-तिजारा जिले शामिल हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 20 जुलाई को आयोजित बैठक में राज्य के सभी संबंधित विभागों को आगामी अधिक वर्षा एवं संभावित बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अग्रिम तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
राज्य एवं जिला प्रशासन द्वारा प्रमुख कार्यवाहियां
राज्य में जयपुर में राज्य आपातकालीन परिचालन नियंत्रण कक्ष (एसईओसी) संचालित है, जिसके टोल फ्री नंबर 1070 व 112 हैं। सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष (24ग्7) क्रियाशील किए गए हैं, जिनके टोल फ्री नं. 1077 पर कॉल किया जा सकता है। प्रत्येक प्रभावित जिले को बाढ़ बचाव एवं राहत गतिविधियों हेतु संभाग स्तरीय जिला मुख्यालयों को 20-20 लाख रुपये तथा अन्य जिलों को 10-10 लाख रुपये की अग्रिम राशि स्वीकृत की गई है। एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित जिलों में तैनात कर दी गई हैं। एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की 4 टीमें किशनगढ़ (अजमेर), कोटा, भरतपुर एवं उदयपुर में तैनात की गई हैं, जो उस संभाग विशेष की एसडीआरएफ की टीमों के साथ संयोजन करके बाढ़ बचाव एवं आपदा प्रबंधन में सहयोग कर रही हैं। राज्य में एसडीआरएफ की कुल 8 कंपनियां जयपुर (2), कोटा (1), भीलवाड़ा (1), अजमेर (1), टोंक (1), चित्तौड़गढ़ (1), बीकानेर (1) शामिल हैं, जिनको बाढ़ बचाव के कार्यों हेतु 57 टीमों में विभक्त कर राज्य के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर तैनात किया गया है। इसके साथ ही राज्य के समस्त जिला मुख्यालयों पर बाढ़ बचाव हेतु नागरिक सुरक्षा स्वयं सेवकों की त्वरित आपदा टीमें 24ग्7 कार्यरत हैं। अभी तक एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं सिविल डिफेंस की टीमों द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में पानी में फंसे 302 व्यक्तियों का सफल रेस्क्यु किया गया है। मानसून सत्र के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों हेतु भारतीय सेना एवं वायु सेना से समन्वय स्थापित किया जा चुका है ताकि आपदा की स्थिति में आपदा जनित हानि को न्यून किया जा सके। जिला कलक्टरों को जलभराव एवं संभावित खतरे वाले क्षेत्रों में त्वरित राहत कार्य हेतु तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी राहत शिविरों की स्थापना की गई है, जहां भोजन, पेयजल, दवाइयां और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। चिकित्सा दलों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है। जलजनित रोगों की रोकथाम हेतु दवाइयों और क्लोरीन की गोलियों का वितरण किया जा रहा है। पानी निकासी एवं साफ-सफाई हेतु नगर निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें एवं सफाई पर विशेष ध्यान दें। प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर प्रति व्यक्ति 4.00 लाख रुपये, मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने पर 1.20 लाख रुपये, बडे दुधारू पशु क्षति होने पर 37,500 रुपये प्रति पशु (अधिकतम 03) व छोटे दुधारू पशु क्षति होने पर 4,000 रुपये प्रति पशु (अधिकतम 30) तथा बोये गये असिंचित क्षेत्र में खराबा (33 प्रतिशत या उससे अधिक) होने पर प्रति हैक्टेयर 8,500 रुपये व बोये गये सिंचित क्षेत्र में खराबा (33 प्रतिशत या उससे अधिक) होने पर प्रति हैक्टेयर 17,000 रुपये एवं बहुवर्षीय फसलों में खराबा (33 प्रतिशत या उससे अधिक) होने पर प्रति हैक्टेयर 22,500 रुपये की तत्काल सहायता देने का प्रावधान एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन कोष) के अन्तर्गत है। एसडीआरएफ नोर्म्स के अन्तर्गत अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं से सार्वजनिक परिसम्पत्तियों यथा स्टेट हाईवे व मुख्य जिला सडकों के क्षतिग्रस्त होने पर उनके तात्कालिक मरम्मत हेतु एक लाख रुपये प्रति किलोमीटर, ग्रामीण सडकों के क्षतिग्रस्त होने पर 60,000 रुपये प्रति किलोमीटर एवं विद्यालय भवनों, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के क्षतिग्रस्त होने पर अधिकतम 2.00 लाख रुपये प्रति भवन व महिला मंडल, युवा केन्द्रों, पंचायत घरों, आंगनबाडी केन्द्रों एवं सामुदायिक भवनों के क्षतिग्रस्त होने पर अधिकतम 2.50 लाख रुपये प्रति भवन, लघु सिंचाई योजना के क्षतिग्रस्त होने पर प्रति योजना 2.00 लाख रुपये अधिकतम दिये जाने का प्रावधान है। समस्त जिला कलक्टर द्वारा मानसून के दौरान बाढ़ बचाव हेतु जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठकों का भी आयोजन कर मानसून के दौरान जनहानि, घायलों, पशुहानि, मकान क्षति आदि से प्रभावितों को एसडीआरएफ नॉर्म्स के अनुसार तत्काल सहायता प्रदान किए जाने हेतु निर्देशित किया गया।