इंदिरा गांधी नहर बनी रेगिस्तान की गंगा! ऐसे हो रही हजारों करोड़ की पैदावार

Sunday, Nov 02, 2025-03:29 PM (IST)

जयपुर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना, जिसें रेगिस्तान की गंगा भी कहा जाता है। यह 649 किलोमीटर लंबी नहर हिमालय से पानी लाती है। थार मरुस्थल को हरियाली में बदलने का श्रेय इसी को जाता है। कभी 1980 के दशक में इस इलाके में कुछ गिनी चुनी झौंपड़ियां हुआ करती थीं, लेकिन आज यही गांव कृषि बाजार में बदल चुके हैं।

दोस्तों..इंदिरा गांधी नहर की बदौलत आज यहां ट्रैक्टरों और गाड़ियों से थ्रेशर, गेहूं और सरसों की बोरियां लदी दिखती हैं। खेतों से मजदूर हंसी-खुशी लौटते हैं। कभी सुनसान और बंजर रहा यह क्षेत्र अब राजस्थान के सबसे उपजाऊ इलाकों में गिना जाता है।

इंदिरा गांधी नहर परियोजना की बदौलत इसें रेगिस्तान की गंगा भी कहा जाता है। यह 649 किलोमीटर लंबी है और रेगिस्तान में हिमालय से पानी लाती है। थार की लगभग 16 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई संभव हुई है। 500 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में हरियाली आई है। लगभग 2 करोड़ लोगों को पेयजल उपलब्ध हुआ है।

इस परियोजना की जड़ें 1898 तक जाती हैं। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने भुखमरी और पानी की भारी कमी देखते हुए जल सुरक्षा को राज्य की प्राथमिकता बनाया था। इसके लिए उन्होंने गंग नहर का निर्माण करवाया था। उनकी सोच और मेहनत ने भविष्य में इंदिरा गांधी नहर का रास्ता तैयार किया।

स्वतंत्रता के बाद इस विचार को रफ्तार मिली। 1958 में नहर के निर्माण की शुरुआत हुई। 1960 के भारत-पाकिस्तान सिंधू नदी जल समझौते से इसे जोड़ा गया। इस समझौते के बाद भारत ने हरीके बैराज से पानी मोड़कर राजस्थान की ओर भेजने की योजना बनाई।

सरकार ने श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ और पंजाब से किसानों को यहां बुलाया था। करीब 12 लाख हेक्टेयर सरकारी भूमि इस परियोजना के तहत किसानों को मामूली मूल्य पर दी गई थी। इससे न केवल अन्न उत्पादन बढ़ा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।

अब यह रेगिस्तानी इलाका गेहूं, सरसों, ग्वार, बाजरा, किन्नू, इसबगोल जैसी फसलें उगाता है जो पहले कभी संभव नहीं था। राजस्थान अब इसबगोल के साथ-साथ सरसों, ग्वार और बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। वहीं जीरे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है।

इंदिरा गांधी नहर ने खेतों के साथ साथ वन क्षेत्र को भी बढ़ाया है। जैसलमेर का वन क्षैत्र 1991 में 23 वर्ग किमी से बढ़कर 341 वर्ग किमी हो गया है। बीकानेर की वन क्षैत्र 51 वर्ग किमी से बढ़कर 260 वर्ग किमी हो गई है।

आपको बता दें, पहले इस इलाके में महिलाएं मटके लेकर कई किलोमीटर तक पानी लाने जाती थीं। गर्मी में पशु मर जाते थे और खेती लगभग असंभव थी। लेकिन इंदिरा गांधी नहर ने इस सब को पलटने में अहम भूमिका निभाई है। यह नहर सालाना लगभग 6 हजर 500 करोड़ रुपये का खेती उत्पादन करती है। जहां इस इंदिरा गांधी परियोजना के निर्माण में कभी 7 हजार 500 करोड़ रुपये इंवेस्ट किए गए थे।

यह नहर अब केवल किसानों के लिए नहीं बल्कि सीमा सुरक्षा बलों, बिजलीघरों, पचपदरा रिफाइनरी और औद्योगिक इकाइयों को भी पानी पहुंचाती है। इनके लिए 110 करोड़ लीटर पानी प्रति सेकेण्ड की दर से बहाव मोड़ा गया। इससे सीमावर्ती इलाकों में विकास और सुरक्षा, दोनों को बल मिला है।

ऐसे में अब इंदिरा गांधी नहर सिर्फ एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि एक सभ्यता के निर्माण का प्रमाण है। इसने थार के बंजर रेगिस्तान को जीवन दिया और निर्जन क्षेत्र में हजारों गांवों को बसाया। इसकी संपदा आज भी बढ़ रही है और थार के भविष्य को हरियाली, पानी और समृद्ध भविष्य से जोड़ती है।


Content Editor

Anil Jangid

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