आरजीएचएस में सख्ती: अनियमितताओं पर बड़ी कार्रवाई, हजारों करोड़ के दावे और पारदर्शी भुगतान व्यवस्था लागू
Wednesday, Dec 17, 2025-02:28 PM (IST)
जयपुर । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में राजस्थान में चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। इसी क्रम में राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (आरजीएचएस) में अनियमितताओं के विरुद्ध निरंतर कार्यवाही की जा रही है।
राज्य सरकार द्वारा संचालित इस योजना के माध्यम से सभी सेवारत व सेवानिवृत कर्मचारी एवं अधिकारी, मंत्रीगण, विधायक, पूर्व विधायक को व्यापक कैशलेस चिकित्सा कवरेज उपलब्ध करवाकर आईपीडी, डेकेयर, ओपीडी, जांच एवं दवाइयों की सुविधा प्रदान की जा रही है। इस योजना से लाभार्थियों को प्रदेश में व्यापक कैशलेस चिकित्सा कवरेज सुविधा मिल रही है।
राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना में वित्त वर्ष 2021-22 में 687.38 करोड़ रुपये, 2022-23 में 3057.38, 2023-24 में 3519.40 और वित्त वर्ष 2024-25 में 4 हजार 290 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई। इस योजना में प्रतिदिन औसत 45 हजार से अधिक दावे प्राप्त हुए हैं। योजना अंतर्गत बेहतर समन्वय व मॉनिटरिंग की दृष्टि से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जिला स्तर पर उत्तरदायी बनाया गया है। इससे योजना का बेहतर क्रियान्वयन हो रहा है।
वर्ष 2025-26 में अस्पतालों को 1260 करोड़ रुपये एवं फार्मेसीज को 932 करोड़ रुपये का भुगतान
आरजीएचएस के अंतर्गत वर्ष 2024-25 में आईपीडी में 1311.25 करोड़ रुपये, डे-केयर में 411.78 करोड़ रुपये, ओपीडी परामर्श व जांच पर 649.99 करोड़ रुपये एवं दवाईयों पर 1889.85 करोड़ रुपये के दावे तथा वर्ष 2025-26 में नवंबर माह तक कुल 2267 करोड़ रुपये के दावे स्वीकृत किये गये हैं। वर्ष 2025-26 में अस्पतालों को 1260 करोड़ रुपये एवं फार्मेसीज को 932 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा आरजीएचएस में अनियमितता करने पर मंगलवार को बीकानेर में निजी डायग्नोस्टिक लैब को योजना से डी-पैनल कर 6 कॉनफेड मेडीकल स्टोर्स एवं 1 निजी अस्पताल को भी योजना से निलंबित किया गया है। अनियमितता व धोखाधड़ी करने पर विभाग ने वर्ष 2025 में 10 मामलों में संबंधित फार्मेसी, चिकित्सक व लाभार्थियों के विरुद्ध पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है।
आरजीएचएस सुविधा को बेहतर व पारदर्शी बनाने के लिए अप्रैल 2025 से अब तक 159 अनुमोदित निजी चिकित्सालयों को योजना से निलंबित कर टीएमएस आईडी ब्लॉक की गई है तथा 5 अस्पतालों को योजना से डी-पैनल किया गया है। आवश्यक सुनवाई कर अस्पतालों के विरूद्ध 26.12 करोड़ रुपये की पैनल्टी लगाई गई, जिसमें से 25.07 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है। वर्तमान में 65 निजी चिकित्सालय योजना से निलंबित हैं जिनके विरुद्ध कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
अनियमितता एवं धोखाधड़ी के प्रकरणों में अप्रैल 2025 से अब तक 137 फार्मेसी को निलंबित कर उनकी टीएमएस आईडी ब्लॉक की गई है। इसके अतिरिक्त योजना अन्तर्गत कैशलेस दवा वितरण से इन्कार करने के कारण 411 फार्मेसी स्टोर एवं ड्रग लाइसेंस लैप्स हो जाने के कारण 944 फार्मेसी स्टोर को निलंबित किया गया है। साथ ही, मेडीकल स्टोर्स के विरुद्ध 39.79 लाख रुपये की पैनल्टी लगाई गई है, जिसमें से 35.42 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। इसी प्रकार अप्रैल 2025 से अब तक कुल 4 लैब एवं डायग्नोस्टिक सेंटर को भी योजना से निलंबित किया गया है। अनियमितताओं में संलिप्त आरजीएचएस कार्डधारकों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए 1032 लाभार्थियों के कार्ड ब्लॉक किये गये हैं।
गंभीर अनियमितता व धोखाधड़ी के 61 मामलों में कार्मिक को सेवा से निलंबित करने के लिए संबंधित विभागाध्यक्ष को लिखा जा चुका है। इनमें से 23 कार्मिकों एवं 7 चिकित्सकों को निलंबित किया गया है। इसी प्रकार 11 चिकित्सकों के विरूद्ध कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। कुल 493 लाभार्थियों के विरूद्ध कार्ड के दुरूपयोग के आधार पर अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग को प्रकरण भेजे गये हैं। इनमें से पुलिस विभाग के 137, स्कूल शिक्षा विभाग के 258, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के 60, जयपुर विद्युत वितरण निगम के 23 एवं आयुर्वेद विभाग के 15 कार्मिक सम्मिलित हैं।
दावों के भुगतान के लिए एफआईएफओ प्रक्रिया
आरजीएचएस योजना में विभिन्न अनुमोदित निजी चिकित्सालयों, फार्मेसी, जांच केन्द्र व कार्डधारकों के विरुद्ध अनियमितताओं की जांच व ऑडिट के लिए क्वालिटी कन्ट्रोल एवं परफॉरमेंस ऑडिट प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसके अतिरिक्त एंटी फ्रॉड यूनिट का भी गठन किया गया है। योजना में क्लेम यूनिट व क्लेम रिव्यू कमेटी का गठन किया गया है, जिसके जरिए निरंतर जांच व सुनवाई की जा रही है। आरजीएचएस योजना में किए गए सुधारों के फलस्वरूप वर्ष 2024-25 की अपेक्षा वर्ष 2025-26 में अक्टूबर माह तक प्रस्तुत दावों में अनुमानित 12 प्रतिशत की कमी आई है। भुगतान में पारदर्शिता की दृष्टि से अनुमोदित दावों के भुगतान के लिए दावा प्रस्तुतिकरण की तिथि के आधार पर एफआईएफओ प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
