भर्ती परीक्षाओं में धांधली पर सरकार की रिपोर्ट जारी
Sunday, Jul 13, 2025-02:55 PM (IST)

जयपुर । राजस्थान की चर्चित भर्ती परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक मामलों को लेकर चल रही सियासी जंग एक बार फिर गर्मा गई है। हाल ही में राज्य सरकार ने इन विवादित भर्तियों पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पारदर्शिता, त्वरित कार्रवाई और दोषियों को सख्त सज़ा देने का दावा किया गया है। वहीं, विपक्ष ने इस रिपोर्ट को "आंखों में धूल झोंकने" वाला बताते हुए सरकार पर लीकेज सिस्टम को छिपाने का आरोप लगाया है।
सरकार की रिपोर्ट: चार बड़ी भर्तियों की कार्रवाई पर फोकस
रिपोर्ट में चार प्रमुख भर्तियों – पीटीआई, एसआई, सीएचओ और अधिशासी अधिकारी – की विस्तृत जांच और कार्रवाई का ब्योरा दिया गया है:
पीटीआई भर्ती (2022): मेरिट में अचानक 56 अंकों की छलांग के बाद हुई जांच में 200 एफआईआर दर्ज, 185 अभ्यर्थी बर्खास्त। फर्जी डिग्री मामले में जांच जारी।
एसआई भर्ती (2021): पेपर लीक की जांच में अब तक 60 गिरफ्तारियां, 50 बर्खास्तगी। एसआईटी जांच में कई अहम सुराग।
सीएचओ भर्ती (2022): पेपर लीक के बाद परीक्षा रद्द कर मार्च 2024 में दोबारा आयोजित।
अधिशासी व राजस्व अधिकारी भर्ती: शिकायतों के बावजूद कांग्रेस सरकार ने कार्रवाई नहीं की, नई सरकार ने परीक्षा दोबारा कराई। अब 25 जुलाई को नियुक्ति दी जाएगी।
सरकार के दावे: पारदर्शिता और युवाओं के लिए 10 पहल
सरकार का कहना है कि डेढ़ साल में 10 बड़ी पहलें की गईं, जिनमें रोजगार मेलों के ज़रिए 69,000 नौकरियां दी गईं और बिना लीक के 1.88 लाख पदों पर भर्ती प्रक्रियाधीन है। पहली बार आरपीएससी और आरएसएसबी का परीक्षा कैलेंडर जारी किया गया। सीईटी की खामियां दूर की गईं और पाठ्यक्रम से बाहर प्रश्नों की समीक्षा कर जवाबदेही तय की गई।
एक-एक भर्ती में अलग-अलग नीति क्यों?
संपूर्ण भर्ती प्रणाली का स्वतंत्र ऑडिट क्यों नहीं कराया जा रहा?
दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं हो रही?
विपक्ष का कहना है कि “यह रिपोर्ट असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है। जब तक लीक सिस्टम की जड़ नहीं काटी जाएगी, तब तक युवा ठगे जाते रहेंगे।”
निष्कर्ष
सरकार की रिपोर्ट में जहां भर्ती धांधली मामलों में कार्रवाई और सुधार के प्रयासों का ज़िक्र है, वहीं विपक्ष इसे दिखावटी बताते हुए प्रणालीगत बदलाव की मांग कर रहा है। युवाओं का भरोसा लौटाने के लिए दोनों पक्षों की पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी पर खरा उतरना ज़रूरी होगा।