जयपुर में BRTS कॉरिडोर हटाने की प्रक्रिया शुरू, JDA ने सरकार को भेजा प्रस्ताव
Tuesday, Jan 28, 2025-03:28 PM (IST)
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) कॉरिडोर को हटाने की योजना बनाई जा रही है। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने राज्य सरकार को इस कॉरिडोर को हटाने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद, अगले महीने से जयपुर में इस कॉरिडोर को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पहले चरण में, सीकर रोड और अजमेर रोड पर बने BRTS कॉरिडोर को हटाया जाएगा।
हाल ही में जयपुर विकास प्राधिकरण की कार्यकारी समिति की बैठक में शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। इनमें से एक अहम निर्णय यह था कि अजमेर रोड पर 200 फीट चौराहे पर बढ़ते ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए NHAI द्वारा अंडरपास बनाने की योजना बनाई जाएगी। इसके साथ ही, अजमेर रोड पर स्थित BRTS कॉरिडोर को 1 किलोमीटर के दायरे में समाप्त करने का प्रस्ताव भी था।
इसी तरह, सीकर रोड पर भी NHAI द्वारा अंडरपास बनाने की योजना है, जिससे इस मार्ग पर बने BRTS कॉरिडोर को 1.2 किलोमीटर तक खत्म किया जाएगा। इससे पहले, झोटवाड़ा एलिवेटेड रोड और पानीपेच से राव शेखा सर्किल तक BRTS कॉरिडोर को हटा लिया गया है। अब न्यू सांगानेर रोड पर मेट्रो रूट के निर्माण के साथ-साथ BRTS कॉरिडोर पर भी फैसला लिया जाएगा।
पूर्व मंत्री ने किया था BRTS कॉरिडोर को 'मौत का कुआं' करार
पूर्व कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री रहे प्रतापसिंह खाचरियावास ने BRTS कॉरिडोर को 'मौत का कुआं' बताते हुए इसे हटाने की सिफारिश की थी। उस समय, UDH मंत्री शांति धारीवाल ने इसका विरोध किया था और कहा था कि 169 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार की JNNURM स्कीम से मिली है, इसलिए BRTS को हटाना मुश्किल होगा। इसके बाद, UDH सचिव की अध्यक्षता में एक 3 सदस्यीय IAS कमेटी बनाई गई, लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है।
मार्च 2022 में, पूर्व UDH मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में कहा था कि जयपुर में BRTS कॉरिडोर विफल साबित हो चुका है और इसे हटाया नहीं जा सकता, क्योंकि केंद्र इसकी अनुमति नहीं दे रहा है।
BRTS को बनाने का उद्देश्य था यातायात दबाव को कम करना
साल 2007 में जयपुर में परिवहन प्रणाली की जरूरत को ध्यान में रखते हुए BRTS कॉरिडोर की शुरुआत की गई थी। पहले दो चरणों में 46 किलोमीटर लंबी बस आधारित यातायात प्रणाली बनाई जाने का प्रस्ताव था। इसके लिए 50% राशि केंद्र सरकार, 20% राज्य सरकार, और 30% राशि JDA द्वारा खर्च की गई थी।
BRTS प्रणाली का उद्देश्य यह था कि लोग निजी वाहनों की बजाय BRTS में चलने वाली बसों का उपयोग करें, जिससे सड़कों पर ट्रैफिक दबाव कम हो और जाम की समस्या से छुटकारा मिले। इससे सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आने की उम्मीद थी। हालांकि, यह प्रोजेक्ट शुरुआत में सफल था, लेकिन संचालन में ढिलाई के कारण अब यह शहर के लिए एक समस्या बन चुका है, और इसे अब हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।