ग्लोबल डायलॉग फोरम “विश्वम” और राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की ओर से आयोजित हुआ सिंपोजियम

Wednesday, Jul 30, 2025-12:20 PM (IST)

ग्लोबल डायलॉग फोरम “विश्वम” और राजस्थान विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की ओर से शनिवार को जयपुर में विश्वविद्यालय परिसर में ‘इक्कीसवीं सदी में नव साम्राज्यवादः इनविजिबल पॉवर विजिबल इंपैक्ट’ विषय पर एक सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। सिम्पोजियम में पूर्व डिप्लोमेट गौरी शंकर गुप्ता, इतिहासकार आर एस खंगारोत और कर्नल अनिल माथुर ने पश्चिमी देशों के नव साम्राज्यवाद की नीतियों को पहचानने और उनका मुकाबला करने के लिए युवाओं का आह्वान किया। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि पहले साम्राज्यवाद सीमाओं पर अतिक्रमण से होता था लेकिन अब नवसाम्राज्यवाद की परिभाषाएं बदल गई हैं। उन्होंने कहा ताकतवर देश बदलते वक्त में आतंकवाद की परिभाषा अपने हित के अनुसार कर रहे हैं। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि इस सदी में ताकतवर देशों के नवसाम्राज्यवाद का मुकाबला डिजीटल दौर में नवाचार से किया जा सकता है। पूर्व डिप्लोमेट गौरीशंकर गुप्ता ने बताया कि विश्व बैंक, ट्रेड डील, मानवाधिकार संगठन, डीप स्टेट और पर्यावरण से जुड़े संगठन पश्चिमी देशों के नवसाम्राज्यवाद के नए हथियार हैं। अमरीका और पश्चिमी देश इनके माध्यम से छोटी आर्थिक व्यवस्था वाले देशों पर अपनी शर्तें लादते हैं।

सिंपोजियम वहीं इतिहासकार आरएस खंगारोत विश्व इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि औद्योगिक राष्ट्र गैर औद्योगिक राष्ट्रों पर नियंत्रण करना चाहते हैं। इसके लिए ताकतवर देश उन देशों की राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विभिन्न एप्स नव साम्राज्यवाद के नए टूल बनकर उभरे हैं। खंगारोत ने बताया कि चीन और भारत मिलकर बड़ी दुनिया की बड़ी ताक़त बन सकते थे लेकिन चीन में माओ के बाद हालात बदल गए। कर्नल अनिल माथुर ने युवाओं से भारत के प्रति सकारात्मक नरैटिव बनाकर दुनिया में काम करने का आह्वान किया। इससे पूर्व विश्वम के  संस्थापक विक्रांत सिंह ने विश्वम के उद्देश्यों पर चर्चा की। इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ. निकी चतुर्वेदी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया।


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Raunak Pareek

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