Rajasthan Politics: 17 ज‍िलों के अध‍िकार‍ियों से खफा हुए सीएम भजनलाल शर्मा, भरी मीटिंग में लगाई फटकार !

Thursday, May 29, 2025-01:29 PM (IST)

राजस्थान में जनसुनवाई व्यवस्था पर सख्त मुख्यमंत्री: 17 जिलों में अफसरों की लापरवाही उजागर, कई जिलों को रेड जोन में किया गया चिन्हित

राजस्थान में जनता की शिकायतों के समाधान को लेकर की गई हालिया समीक्षा में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जनसुनवाई पोर्टल पर लंबित मामलों की स्थिति की समीक्षा की, जिसमें 17 जिलों के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई। जयपुर, जोधपुर और बीकानेर सहित कई जिलों में एक साल से अधिक पुराने प्रकरण अब तक निपटाए नहीं गए हैं, जिस पर मुख्यमंत्री ने गहरी नाराजगी जताई है।

मुख्यमंत्री की दो टूक चेतावनी
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि जनता की समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हुआ, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिकायतों को प्राथमिकता देते हुए उनका त्वरित निस्तारण करें।

जनसुनवाई को नहीं मिल रही प्राथमिकता
समीक्षा में सामने आया कि जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटपूतली-बहरोड़, सीकर, चित्तौड़गढ़, नागौर और जैसलमेर जैसे जिलों में सबसे ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। इसके अलावा ब्यावर, सिरोही, डीडवाना-कुचामन, भीलवाड़ा, जालौर, खैरथल-तिजारा, श्रीगंगानगर, अलवर और चूरू में भी जनसुनवाई मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इन जिलों को 'रेड जोन' की श्रेणी में रखते हुए विशेष निगरानी शुरू कर दी है।

संपर्क पोर्टल पर भी स्थिति चिंताजनक
सिर्फ जनसुनवाई पोर्टल ही नहीं, बल्कि संपर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, झुंझुनूं, भरतपुर और ब्यावर जैसे जिलों में अधिकारी अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। सरकार ने बूंदी, करौली, दौसा, डीग, सवाईमाधोपुर, अजमेर, बाड़मेर और धौलपुर को भी रेड जोन में चिन्हित किया है।

मुख्यमंत्री के पास हर जिले की निगरानी रिपोर्ट
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास प्रत्येक जिले की पूरी रिपोर्ट मौजूद है और वे जानते हैं कि कौन अधिकारी किस स्तर पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जिला स्तर पर शिकायतों का समाधान नहीं होता, तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिला कलेक्टर और एसडीएम स्वयं जनसुनवाई करें और मामलों का स्थानीय स्तर पर निपटारा करें, ताकि आम नागरिकों को राजधानी तक न आना पड़े। राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट है—जनता की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता होनी चाहिए। अब यह संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इस दिशा में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करें, अन्यथा सख्त कदम उठाए जाएंगे।


Content Editor

Rahul yadav

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