अजमेर दरगाह पर हिंदू सेना का दावा: हाईकोर्ट में सुनवाई टली, अब 30 अगस्त को होगी सुनवाई
Saturday, Jul 19, 2025-06:54 PM (IST)

अजमेर | राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक बार फिर विवाद के घेरे में आ गई है। हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका में दरगाह परिसर को संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। राजस्थान हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शनिवार को होनी थी, लेकिन न्यायाधीश की अनुपस्थिति और नगर निगम कर्मचारियों के न्यायिक कार्य बहिष्कार के कारण सुनवाई टाल दी गई। अब अगली सुनवाई की तारीख 30 अगस्त 2025 तय की गई है।
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा है कि मौजूदा दरगाह स्थल पर कभी संकट मोचन महादेव का मंदिर था, जिसे आक्रमणकारियों ने नष्ट कर मजार में तब्दील कर दिया। याचिका में उन्होंने ऐतिहासिक नक्शे, चित्र और दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से उस स्थल का सर्वे कराने की मांग की है। साथ ही, वहां हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति देने की भी अपील की गई है।
यह याचिका नवंबर 2024 में अजमेर सिविल कोर्ट द्वारा स्वीकार की गई थी, जिसके बाद दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और ASI को नोटिस जारी हुए। चूंकि मामला अत्यंत संवेदनशील है, प्रशासन ने अजमेर में विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं। कोर्ट परिसर और दरगाह क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है।
वहीं, दरगाह कमेटी और अंजुमन सैयद जादगान ने इस याचिका को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि यह सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश है। उनका कहना है कि 1991 का पूजा स्थल अधिनियम इस स्थल पर लागू होता है, जो धार्मिक स्वरूप में किसी भी परिवर्तन को प्रतिबंधित करता है।
इसके विपरीत याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता का कहना है कि दरगाह कोई पूजा स्थल नहीं बल्कि एक मजार है, और संविधान के तहत हिंदुओं को अपने मूल स्थल पर पूजा का अधिकार मिलना चाहिए।
अब इस मामले की सुनवाई 30 अगस्त को होगी, और पूरे देश की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि धार्मिक और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बन चुका है।