17 दिसंबर से अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज के 812वें उर्स की शुरुआत
Tuesday, Dec 16, 2025-06:49 PM (IST)
अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत 17 दिसंबर से होगी। इस अवसर पर दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजा पर परंपरागत झंडे की रस्म अदा की जाएगी। वर्षों से यह परंपरा निभा रहे भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा लाया गया झंडा दरगाह पहुंच चुका है। झंडा रस्म के साथ ही देश-विदेश से जायरीन का अजमेर पहुंचना शुरू हो जाएगा।
दरगाह खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि झंडा रस्म उर्स के नजदीक होने का प्रतीक है और इसमें हजारों जायरीन शामिल होते हैं। उर्स की प्रमुख रस्मों में शामिल संदल की रस्म 20 दिसंबर की रात 8 बजे अदा की जाएगी। इस दौरान वर्षभर मजार पर चढ़ाए गए चंदन, इत्र और केवड़ा को उतारकर खादिमों में बांटा जाएगा तथा कुछ हिस्सा जायरीन को भी दिया जाएगा। मान्यता है कि संदल को पानी में मिलाकर पीने से बीमारियों में राहत मिलती है।
उर्स के दौरान दरगाह का प्रसिद्ध जन्नती दरवाजा भी खोला जाएगा, जो साल में केवल चार बार खुलता है। यदि 21 दिसंबर की रात रजब का चांद नजर नहीं आता है तो अगले दिन यह दरवाजा खोला जाएगा। मान्यता के अनुसार, इस दरवाजे से होकर जियारत करने से जन्नत नसीब होती है, इसलिए जायरीन में खास उत्साह रहता है।
देशभर से मलंग छड़ी लेकर महरौली में एकत्रित होते हैं और पैदल अजमेर पहुंचते हैं। चांद रात को वे जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचकर छड़ी पेश करते हैं। उर्स के दौरान कव्वालियों का भी विशेष आयोजन होगा। महफिलखाने, दरगाह परिसर और खादिमों के हुजरों में सूफियाना कव्वालियां गूंजेंगी।
उर्स की शुरुआत के साथ ही खिदमत का समय रात में रहेगा और देर रात मजार शरीफ को गुस्ल दिया जाएगा। उर्स की समापन रस्म ‘बड़ा कुल’ 30 दिसंबर को अदा की जाएगी, जिसमें देश में अमन, चैन और भाईचारे की दुआ की जाएगी।
