तिरुपति हादसे में 6 की मौत , 40 हुए घायल

Thursday, Jan 09, 2025-11:58 AM (IST)

आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर में बुधवार रात करीब 9:30 बजे भगदड़ मच गई, जिससे एक महिला समेत छह लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए। हादसा वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए टिकट वितरण के दौरान हुआ।

घटना का विवरण:

शुक्रवार से शुरू होने वाले 10 दिवसीय विशेष वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए मंदिर प्रबंधन ने 91 काउंटर खोले थे। करीब 4,000 लोग टिकट लेने के लिए कतार में खड़े थे। इसी दौरान लाइन में खड़ी एक महिला अचानक बेहोश हो गई। उसे इलाज के लिए गेट खोलकर बाहर निकाला गया, लेकिन इस दौरान कई लोग अंदर घुसने की कोशिश करने लगे, जिससे भगदड़ मच गई। हादसे में घायल महिला की भी मौत हो गई।

घायलों की स्थिति:

पद्मावती मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर कुमार के अनुसार, कई घायलों को फ्रैक्चर हुआ है, जबकि अन्य को मामूली चोटें आई हैं।

मुख्यमंत्री का दौरा:

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू आज दोपहर 12 बजे तिरुपति पहुंचेंगे और घायलों से मिलेंगे। वे मंदिर परिसर में तीन घंटे का समय बिताएंगे।

वैकुंठ द्वार दर्शन की जानकारी:

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने पहले बताया था कि 10 से 19 जनवरी तक वैकुंठ एकादशी पर विशेष दर्शन की व्यवस्था की गई है। सुबह 4:30 बजे से प्रोटोकॉल दर्शन और फिर सुबह 8 बजे से सर्वदर्शन शुरू होगा। इन 10 दिनों में लगभग 7 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।

मंदिर की महत्ता:

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और धनी तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के सेशाचलम पर्वत पर स्थित है। भगवान वेंकटेश्वर का यह मंदिर 11वीं सदी में रामानुजाचार्य द्वारा प्रतिष्ठित किया गया था।

धार्मिक मान्यताएं:

इस मंदिर को शेषनाग के सात फनों का प्रतीक माना जाता है, जिसकी सात चोटियां क्रमशः शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कही जाती हैं। व्यंकटाद्रि चोटी पर भगवान वेंकटेश्वर विराजमान हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने विवाह के लिए कुबेर से कर्ज लिया था, जिसे श्रद्धालु दान के माध्यम से चुकाने में मदद करते हैं।

मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारियां:

  • मंदिर को हर साल लगभग एक टन सोना दान में मिलता है।
  • भगवान बालाजी के दर्शन दिन में तीन बार होते हैं: सुबह (विश्वरूप दर्शन), दोपहर और रात।
  • शुक्रवार को अभिषेक के समय ही भगवान की पूरी मूर्ति के दर्शन संभव हैं।
  • मंदिर परिसर में अन्य धार्मिक स्थल भी हैं, जैसे आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ और जलावितीर्थ।

यह स्थान भगवान वेंकटेश्वर की लीलाओं और उनके भक्त रामानुजाचार्य से जुड़ी अद्भुत कहानियों के लिए प्रसिद्ध है।


Content Editor

Liza Chandel

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