जैसलमेर जिला प्रशासन ओरण की 250 बीघा भूमि से अतिक्रमण हटाया
Saturday, Oct 11, 2025-01:04 PM (IST)
जैसलमेर जिला प्रशासन ओरण की 250 बीघा भूमि से अतिक्रमण हटाया
जैसलमेर में पिछले 26 दिनों से ओरण व गोचर जमीन बचाने के लिए ग्रामीण संघर्षरत है। टीम ओरण कलेक्ट्रेट के बाहर बोरिया बिस्तर डालकर धरने पर बैठे है। लंबे धरने के बाद अब प्रशासन हरकत में आया है। गुरुवार को जिला प्रशासन ने 70 हजार बीघा जमीन ओरण में दर्ज करवाने को लेकर फाइलें राज्य सरकार को भेजी तो शुक्रवार को प्रशासन ने करीब 250 बीघा ओरण जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को अंजाम दिया। कलेक्टर ने ओरण/देववन भूमि, गोचर, तालाब, नदी-नाला, नाडी, आगोर एवं सिवायचक भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के सख्त निर्देश दिए है । साथ ही, जिला प्रशासन द्वारा अवैध कब्जा एवं अतिक्रमित भूमि को मुक्त करवाने के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जा रही, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या अवैध उपयोग की कोई संभावना न रहे।
जिला कलक्टर के निर्देशों के तहत उपखंड अधिकारियों की निगरानी में जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पटवारी एवं भू-अभिलेख निरीक्षक की संयुक्त टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें विभिन्न ग्रामों में सर्वेक्षण कर अतिक्रमण की पहचान कर रही हैं एवं प्रभावी कार्रवाई कर अतिक्रमण हटा रही हैं। शुक्रवार को तहसील फतेहगढ़ क्षेत्र के ग्राम भेलानी स्थित माँ आईनाथ ओरण भूमि से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाया गया।
राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुँचकर लगभग 250 बीघा ओरण भूमि से अतिक्रमण हटाया। साथ ही भूमि की सीमाओं का भौतिक सत्यापन कर सीमांकन किया गया एवं भविष्य में पुनः अतिक्रमण न हो, इसके लिए सीमा चिन्ह लगाए गए। कार्यवाही में उपखण्ड अधिकारी फतेहगढ़ भरतराज गुर्जर, तहसीलदार नखत सिंह, गिरदावर हड़वन्त दान, पटवारी सुमेरसिंह एवं राजस्व अमले सहित पुलिस जाब्ता ने संयुक्त रूप से भाग लिया। प्रशासन ने बताया कि इस प्रकार की कार्यवाहियां जिले की सभी तहसीलों में नियमित रूप से जारी रहेंगी, ताकि पारंपरिक ओरण एवं देववन भूमि का संरक्षण सुनिश्चित हो सके। वहीं दूसरी तरफ ओरण जमीन को राजस्व में दर्ज करवाने के लिए 26 दिनों से धरने पर बैठे ग्रामीणों का कहना है कि ये कार्यवाईयां ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। हमारी मांग है कि जैसलमेर जिले में लाखों बीघा मुंह बोली ओरण है जो भूलवश राजस्व में दर्ज नहीं हो पाई थी और अब सरकार इसे कम्पनियों को बेच रही है। जब तक समस्त ओरण की जमीन राजस्व में दर्ज नहीं हो जाती हमारा धरना जारी रहेगा।
