अशोक गहलोत का केंद्र पर हमला: धनखड़ का इस्तीफा ‘दबाव की उपज’, लोकतंत्र नहीं, तानाशाही चल रही है – गहलोत
Wednesday, Jul 23, 2025-05:50 PM (IST)

अशोक गहलोत का केंद्र पर हमला: धनखड़ का इस्तीफा ‘दबाव की उपज’, लोकतंत्र नहीं, तानाशाही चल रही है – गहलोत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बुधवार को जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्र सरकार पर सीधा और तीखा हमला बोला। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को उन्होंने “दबाव की उपज” बताया और कहा कि आज संवैधानिक संस्थाएं सत्ता के इशारों पर काम कर रही हैं। गहलोत ने कहा, “यह इस्तीफा सिर्फ एक औपचारिक कदम नहीं है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा तमाचा है। हाल ही में जयपुर में धनखड़ ने खुद कहा था कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और किसी दबाव में नहीं हैं। तो फिर अचानक इस्तीफा क्यों? क्या यह कोई दैवीय शक्ति थी या दिल्ली से आया आदेश?” उन्होंने इस घटनाक्रम को संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन बताया और आरोप लगाया कि यह पूरी तरह सत्ता के दबाव में लिया गया फैसला है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ ही वह शख्स हैं जिन्होंने कई बार विपक्ष की आवाज को संसद में दबाया और जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
"यह लोकतंत्र नहीं, सेंट्रल कमांड की तानाशाही है": गहलोत
गहलोत ने मौजूदा हालात को “सेंट्रल कमांड की तानाशाही” करार देते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में है। उन्होंने कहा, “हमारे विरोध के बावजूद इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया, जो संविधान की भावना के खिलाफ है।”
मदेरणा को दी श्रद्धांजलि, पंचायत चुनावों में देरी पर भी सरकार को घेरा
गहलोत पीसीसी में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे परसराम मदेरणा की जयंती के मौके पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “मदेरणा सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं थे, बल्कि किसान राजनीति के मजबूत स्तंभ थे। आज की सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले, उनकी राजनीतिक विरासत को मिटा नहीं सकती।” गहलोत ने राज्य में पंचायत चुनावों में देरी को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह सरकार जानबूझकर पंचायत चुनाव टाल रही है क्योंकि उसे जमीनी सच्चाई का डर है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के नाम पर जो प्रयोग हो रहा है, वह दरअसल संविधान की आत्मा को कुचलने की साजिश है।”उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि चुनाव समय पर होने चाहिए। अब देखना है कि राज्य सरकार अदालत में क्या तर्क देती है।