जयपुर में 18वीं वार्षिक ''नेटको'' कॉन्फ्रेंस: अंगदान बढ़ाने पर देशभर के विशेषज्ञ जुटेंगे
Thursday, Oct 09, 2025-08:13 PM (IST)

जयपुर | नेटवर्क एंड अलायंस ऑफ ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स (नेटको) और मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटिज़न फोरम (एमएफजेसीएफ) के संयुक्त तत्वावधान में 18वीं वार्षिक 'नेटको' कॉन्फ्रेंस 10 और 11 अक्टूबर को आईआईएचएमआर (IIHMR) यूनिवर्सिटी, जयपुर में आयोजित की जा रही है। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर करेंगे। इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर से ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ भाग लेंगे। कॉन्फ्रेंस के दौरान अंगदान को बढ़ावा देने पर गहन चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही, अंगदान से जुड़े सफल अनुभवों और प्रेरणादायक कहानियों को साझा किया जाएगा। यह जानकारी एमएफजेसीएफ के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने अशोक क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। इस अवसर पर एमएफजेसीएफ की संयोजक भावना जगवानी, मोहन फाउंडेशन की कंट्री डायरेक्टर ललिता रघुराम, नेटको की अध्यक्ष पल्लवी सहित एक अंगदाता के परिजन, कल्याण शर्मा भी उपस्थित रहे।
राजीव अरोड़ा ने आगे बताया कि ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स अंगदान की प्रक्रिया में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। वे विभिन्न चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ समन्वय स्थापित कर, अंगों की उपलब्धता, परिवहन, ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था सहित संपूर्ण प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक संचालित करते हैं। कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जाएगा। जिससे वे अपने ज्ञान और अनुभव को साझा कर अंगदान प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में अहम योगदान दे सकें।
इस अवसर पर नेटको की अध्यक्ष पल्लवी ने बताया कि इस वर्ष यह कॉन्फ्रेंस जयपुर में आयोजित की जा रही है, इसमें देश के 15 राज्यों से करीब 175 से ज्यादा ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स 'अनसंग हीरोज' हैं। उनके बारे में ज्यादा बात नहीं होती, लेकिन अंगदान की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाते हैं। उन्होंने बताया कि नेटको और मोहन फाउंडेशन त्रिपुरा, मणिपुर और नागालैंड जैसे उत्तर पूर्वी राज्यों में भी अंगदान को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहे हैं।
मोहन फाउंडेशन की कंट्री डायरेक्टर ललिता रघुराम ने मोहन फाउंडेशन के साथ अपनी यात्रा को साझा करते हुए अपने बेटे के अंगदान की कहानी से उपस्थित लोगों को अंगदान करने की प्रेरणा दी। उन्होंने यह भी बताया कि इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके स्वर्गीय बेटे को समर्पित 'बेस्ट ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर अवॉर्ड' 2025 प्रदान किया जाएगा।
एमएफजेसीएफ की संयोजक भावना जगवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान पुलिस महानिदेशक राजीव शर्मा, मोहन फाउंडेशन द्वारा अंगदान पर तैयार की गई 4 मिनट की शॉर्ट फिल्म को अपने सोशल मीडिया पर साझा करेंगे। इसके अतिरिक्त आरएसआरटीसी की बसों पर अंगदान पर आधारित पोस्टर्स लगाए गए हैं, जिन्हें आरएसआरटीसी की चेयरपर्सन, शुभ्रा सिंह द्वारा लॉन्च किया गया। इन पोस्टर्स के माध्यम से मोहन फाउंडेशन का हेल्पलाइन नंबर भी साझा किया गया है।
वर्तमान में, एमएफजेसीएफ, नेशनल ऑर्गन टिश्यु ट्रान्सप्लान्ट ऑर्गेनाइजेशन (नोटो) एवं स्टेट ऑर्गन टिश्यु ट्रान्सप्लान्ट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) सहित एसएमएस, महात्मा गांधी, मणिपाल, नारायणा, निम्स, फोर्टिस, एसडीएमएच, इएचसीसी, मोनिलेक, सीके बिड़ला, एम्स, गीतांजलि, आरएनटी (उदयपुर) और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज जैसे कई सार्वजनिक और निजी अस्पतालों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। यह संस्थान न केवल आम जनता बल्कि चिकित्सा पेशेवरों और सरकारी विभागों को भी अंगदान के प्रति जागरूक कर रहा है।
इन प्रयासों के अतिरिक्त, एमएफजेसीएफ अंगदान जागरूकता वार्ताएं, नुक्कड़ नाटकों, जागरूकता रैलियों, कॉन्फ्रेंस और कई अन्य गतिविधियों में भी शामिल है। अपनी स्थापना के बाद से एमएफजेसीएफ ने 751 से ज़्यादा अंगदान जागरूकता वार्ताएं आयोजित की हैं और 4 लाख से ज़्यादा लोगों को जागरूक किया है। इन सभी वर्षों में 76 डोनर्स के माध्यम से 252 लोगों को नया जीवन मिला है।
आज एमएफजेसीएफ की समर्पित टीम न केवल “मृत्यु के बाद जीवन” की संकल्पना को साकार कर रही है, बल्कि राजस्थान को देश में अंगदान के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर लाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, जहां अब तक 90,000 से अधिक लोगों ने अंगदान की शपथ ली है।
मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटिज़न फोरम (एमएफजेसीएफ) के बारे में
महज़ 27 वर्ष की आयु में एक दवा के रिएक्शन से अपनी दृष्टि लगभग एक महीने के लिए खो देने का गहरा आघात भावना जगवानी को मिला। लेकिन इसी अनुभव ने उन्हें एक नई दिशा दी- जयपुर की पहली आई बैंक स्थापित करने की प्रेरणा। वर्ष 2002 में उन्होंने आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान (ईबीएसआर) की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य कॉर्निया कलेक्शन करना रहा। मार्च 2025 तक, ईबीएसआर की टीम ने राजस्थान में 24,000 से अधिक नेत्रदान सुनिश्चित किए हैं।
नेत्रदान ने भावना जगवानी के जीवन में एक नई चेतना भर दी। इसी ने नींव रखी मोहन फाउंडेशन जयपुर सिटिज़न फोरम (एमएफजेसीएफ) की जिसकी स्थापना भावना जगवानी द्वारा 2013 में राजीव अरोड़ा की अध्यक्षता में की गई और इसकी प्रेरणा प्रसिद्ध ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सुनील श्रॉफ से मिली।
एमएफजेसीएफ ने एक अत्यंत संवेदनशील और भावनात्मक विषय अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) को समाज के सामने लाने का कठिन कार्य अपने हाथ में लिया। जो एक सोच थी वह जल्द ही एक मिशन बन गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 30 समर्पित सदस्य शामिल हुए। शुरुआती वर्षों की कड़ी मेहनत ने राजस्थान में अंगदान की नींव को मजबूत किया।
राजस्थान में एमएफजेसीएफ ने अंगदान को दी नई दिशा
इस मिशन के दौरान एमएफजेसीएफ टीम के शुरुआती वर्षों के कठिन परिश्रम और प्रयासों से विभिन्न परियोजनाएं, गतिविधियां और नवाचार सामने आए, जिन्होंने राजस्थान में अंगदान को नई दिशा दी। इसकी शुरुआत राजस्थान के पहले अंगदाता मोहित की स्मृति में एसएमएस अस्पताल में 'राधा रानी वार्ड' की स्थापना; आरएनओएस - मृतक अंग आवंटन के लिए वेब पोर्टल का निर्माण (सोटो के कार्यभार संभालने से पहले), और सहोदय परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों की शुरुआत आदि से हुई।
इसके पश्चात, 2018 में जयपुर में डोनर दीक्षांत के सम्मान में एक सड़क का नाम 'दीक्षांत पथ' रखा गया। इसी वर्ष राजस्थान देश का पहला राज्य बना जहां ड्राइविंग लाइसेंस पर 'ऑर्गन डोनर लोगो' शामिल किया गया।
2020 में जयपुर में 'अंगदाता स्मारक' का निर्माण किया गया, जो भारत का पहला और एकमात्र ऐसा स्मारक है, जो अंगदाताओं को समर्पित है। एमएफजेसीएफ ने 2019 से पहले 250 ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर्स को प्रशिक्षण भी प्रदान किया।
कोविड के दौरान भी एमएफजेसीएफ ने आरयूएचएस और जयपुरिया अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थापना में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अलावा एमएफजेसीएफ वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में भाग लेने वाले एथलीट्स को भी सहयोग कर रहा है।