Rajasthan: दुनिया के 31 वेटलैंड शहरों की लिस्ट में शामिल हुआ उदयपुर
Saturday, Jan 25, 2025-07:16 PM (IST)
उदयपुर: राजस्थान के लिए आज का दिन गौरव का है, क्योंकि झीलों की नगरी उदयपुर को यूनेस्को के रामसर वेटलैंड सिटी की सूची में शामिल किया गया है। यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान और भारत के लिए बड़ी पहचान है। साथ ही, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को भी इस सूची में स्थान दिया गया है। दुनियाभर के 31 शहरों में उदयपुर और इंदौर का नाम शामिल होना दोनों राज्यों के लिए गर्व का विषय है।
झीलों की नगरी में अव्यवस्था की चुनौतियां
हालांकि, जिस पिछोला झील के कारण उदयपुर को यह पहचान मिली है, वही झील अब गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। झील के पानी में सीवरेज का पानी गिरना और गंदगी की बढ़ती समस्या चिंता का विषय है। एक रिपोर्ट के अनुसार, झील की साढ़े 8 किलोमीटर की परिधि में कई स्थानों पर सीवरेज के नाले गिरते हुए देखे गए हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि झील का पानी, जिसे शहर के करीब डेढ़ से दो लाख लोग पीते हैं, प्रदूषित हो रहा है।
पहले वेटलैंड, अब वेटलैंड सिटी का दर्जा
वन विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी और विशेषज्ञ सतीश शर्मा ने बताया कि पहले रामसर की ओर से केवल वेटलैंड एरिया को मान्यता दी जाती थी, लेकिन अब पूरे शहरों को वेटलैंड सिटी का दर्जा दिया जा रहा है। यह उपाधि उन शहरों को दी जाती है जो पर्यावरणीय तालमेल और नियमों का पालन करते हुए जलीय और थलिय आवासों का बेहतर संरक्षण कर रहे हों।
रामसर उपाधि से क्या लाभ होंगे?
सतीश शर्मा ने बताया कि यह उपलब्धि एक अंतरराष्ट्रीय पहचान के रूप में काम करेगी। इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि लोग यह जानने के लिए आएंगे कि इस शहर में ऐसा क्या खास है जो इसे वेटलैंड सिटी की उपाधि मिली है। साथ ही, यह राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को झीलों और पर्यावरण के बेहतर संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा।
पर्यटन और पर्यावरण के लिए जरूरी कदम
यह उपलब्धि उदयपुर के लिए जहां गौरव का विषय है, वहीं यह एक जिम्मेदारी भी है। झीलों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता के लिए स्थानीय प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। झीलों की सफाई और सीवरेज प्रबंधन जैसे विषयों पर तुरंत ध्यान देकर इस अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत किया जा सकता है।
चलिए अब आपको बताते है की आखिर वेटलैंड होता क्या है
तो दोस्तों वेटलैंड यानी ऐसी जमीन जहां काफी नमी हो, भूजल का स्तर भी अच्छा हो। ऐसी जमीन आमतौर पर नदियों के किनारे मिलती है या फिर जहां वर्षा जल संरक्षण की व्यवस्था हो। दिल्ली में भी यमुना के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में ऐसे काफी क्षेत्र रहे हैं। ऐसी जमीन खेती ही नहीं, पारिस्थितिकी संतुलन की दृष्टि से भी अहम होती है।
यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के प्रभारी फैयाज ओ खुदसर ने कहा कि वेटलैंड का संरक्षण बहुत जरूरी है। हालांकि अब प्रयास शुरू हो गए हैं, लेकिन उनमें तेजी की जरूरत है। दिल्ली सरकार ने यमुना खादर में छोटे- छोटे तालाब बनाने की योजना बनाई थी, उस पर भी गंभीरता से काम किया जाना चाहिए। यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में हमने 100, 07 और 1.5 एकड़ में तीन अलग-अलग वेटलैंड विकसित किए हैं।
अब आपको बताते है की विश्व की कुछ सबसे बड़ी आर्द्रभूमियाँ कौन सी हैं?
वेस्ट साइबेरियन लोलैंड, अमेज़न रिवर बेसिन और हडसन बे लोलैंड दुनिया की सबसे बड़ी वेटलैंड में से हैं। दुनिया की सबसे बड़ी संरक्षित वेटलैंड बोलीविया में स्थित लानोस डी मोक्सोस है। यह 17 मिलियन एकड़ से ज़्यादा है - आकार में लगभग नॉर्थ डकोटा के बराबर।
आर्द्रभूमि कई रूपों में होती है, जिसमें नदियाँ, दलदल, दलदल, मैंग्रोव, कीचड़, तालाब, दलदल, बिलबोंग, लैगून, झीलें और बाढ़ के मैदान शामिल हैं। अधिकांश बड़े आर्द्रभूमि क्षेत्रों में अक्सर विभिन्न प्रकार की मीठे पानी की प्रणालियों का संयोजन शामिल होता है। वेटलैंड्स ग्रह के एक छोटे से हिस्से को कवर करते हैं, लेकिन उनकी कार्बन कैप्चरिंग क्षमताएँ बहुत ज़्यादा प्रभावशाली हैं। वे वर्षा वनों की तुलना में 50 गुना ज़्यादा कार्बन जमा कर सकते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन में योगदान देने वाली ऊष्मा-फँसाने वाली गैस को वायुमंडल से बाहर रखने में मदद मिलती है। वेटलैंड्स पानी की सतह से पत्तियों, जानवरों के मल और अन्य उच्च कार्बन पदार्थों को नीचे खींचते हैं। यह प्राकृतिक मलबा वेटलैंड्स में पानी और तलछट द्वारा दब जाता है, जिससे वे बंद हो जाते हैं। एक और फ़ायदा यह है कि वेटलैंड्स तेज़ी से बढ़ते हैं और स्थिर रहते हैं, जिसका मतलब है कि वे वायुमंडल से कार्बन को लंबे समय तक सोखते हैं।