उदयपुर में शिक्षकों को दी गई ‘भेड़ गिनने’ की ड्यूटी, आदेश पर भड़के शिक्षक संगठन, सोशल मीडिया पर कविता हुई वायरल
Sunday, Jul 20, 2025-04:04 PM (IST)

राजस्थान के उदयपुर जिले में जिला प्रशासन की ओर से एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया गया है, जिसने पूरे प्रदेश के शिक्षकों को हैरानी में डाल दिया है। आदेश में शिक्षकों की ड्यूटी भेड़ निष्क्रमण एवं नियमन कार्यक्रम के तहत लगाई गई है। आदेश जारी होते ही शिक्षक संगठनों में आक्रोश फैल गया है और सोशल मीडिया पर विरोध की बाढ़ सी आ गई है।
क्या है मामला?
उदयपुर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर वार सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि वर्ष 2025-26 के भेड़ निष्क्रमण एवं नियमन कार्य के लिए एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है, जो जुलाई से अग्रिम आदेशों तक कार्यरत रहेगा। इसके लिए 10 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जिसमें 8 सरकारी शिक्षक शामिल हैं।
शिक्षकों का विरोध: “पढ़ाने आए थे, चराने नहीं”
शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में नया सत्र शुरू हो चुका है, और ऐसे समय में शिक्षकों की ड्यूटी स्कूल से हटाकर भेड़ गिनने और चरवाहों के साथ लगाने का फैसला, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा -
“बालक पढ़ना चाहता है, और शिक्षक उन्हें पढ़ाना... लेकिन प्रशासनिक अधिकारी उन्हें गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझाकर शिक्षा व्यवस्था बिगाड़ना चाहते हैं। शिक्षामंत्री को तत्काल ऐसे आदेशों पर रोक लगानी चाहिए।”
सोशल मीडिया पर विरोध और व्यंग्य
इस अजीब आदेश के खिलाफ सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया सामने आ रही है। शिक्षकों ने प्रशासन की सोच पर कटाक्ष करते हुए कविताएं लिख डाली हैं, जिनमें “मास्टर जी की भेड़ों वाली पोस्टिंग” नामक व्यंग्य कविता सबसे ज्यादा वायरल हो रही है। इस कविता में शिक्षक अपनी मेहनत, पढ़ाई और नौकरी पाने के संघर्ष को याद करते हुए सवाल उठाते हैं कि "किताबें बांटना, टीसी देना अगर गैर-शैक्षणिक कार्य है, तो भेड़ें गिनना कैसे शैक्षणिक हो गया?" विवाद बढ़ता देख संभावना जताई जा रही है कि शिक्षा विभाग या राज्य सरकार इस पर जल्द निर्णय ले सकती है। शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर आदेश तत्काल निरस्त नहीं हुआ, तो वे प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे।
उदयपुर जिला प्रशासन का यह आदेश सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि यह सवाल बन गया है “क्या सरकारी शिक्षक अब सिर्फ पढ़ाने के लिए हैं, या किसी भी तरह की ड्यूटी के लिए?”
शिक्षा और प्रशासन की सीमा रेखाएं जब धुंधली हो जाएं, तो शिक्षा व्यवस्था चरागाह बनने से शायद ही कोई रोक पाए।