महिला सशक्तिकरण, शिल्प और संस्कृति का उत्सव बना सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला 2025

Tuesday, Dec 30, 2025-07:23 PM (IST)

जयपुर | नव वर्ष के उल्लास के साथ जयपुर में आयोजित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला 2025 इन दिनों रंगों, रचनात्मकता और ग्रामीण हुनर की जीवंत पहचान बनकर उभरा है। जैसे-जैसे नए साल का जश्न नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे मेले की रौनक और आकर्षण भी बढ़ता जा रहा है। देशभर से आई स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं द्वारा लगाए गए स्टॉल आत्मनिर्भरता, परिश्रम और सृजनशीलता की कहानी खुद बयां कर रहे हैं।

भारतीय टेक्सटाइल की जीवंत झलक

मेले में भारतीय टेक्सटाइल की विविधता देखते ही बनती है। पारंपरिक और आधुनिक डिज़ाइनों का खूबसूरत संगम यहां खास आकर्षण बना हुआ है। रंग-बिरंगी साड़ियां, आकर्षक दुपट्टे, सुरुचिपूर्ण सूट और सर्द मौसम के लिए उपयुक्त ऊनी वस्त्र महिलाओं को खास तौर पर लुभा रहे हैं। हस्तनिर्मित बारीक कारीगरी, बेहतरीन गुणवत्ता और किफायती दामों के चलते खरीदारी को लेकर आगंतुकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।

हस्तशिल्प और ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग

टेक्सटाइल के साथ-साथ घर की सजावट से जुड़े हस्तशिल्प उत्पाद भी मेले का प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं। मिट्टी, लकड़ी, कपड़े और प्राकृतिक सामग्री से तैयार सजावटी वस्तुएं लोगों के घरों में देसी सौंदर्य और आत्मीयता जोड़ रही हैं।
वहीं स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते SHG महिलाओं द्वारा तैयार किए गए ऑर्गेनिक स्नैक्स, पारंपरिक व्यंजन और देसी स्वादों से भरपूर खाद्य उत्पाद भी खूब पसंद किए जा रहे हैं।

ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का मंच

सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला केवल एक बाजार नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण का सशक्त मंच है। यह आयोजन SHG महिलाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने, आत्मनिर्भर बनने और आजीविका के नए अवसर सृजित करने का अवसर प्रदान कर रहा है। साथ ही, विपणन, प्रस्तुतीकरण और ग्राहक संवाद जैसे महत्वपूर्ण कौशलों का व्यावहारिक अनुभव भी उन्हें मिल रहा है, जो उनके भविष्य को और मजबूत बना रहा है।

सांस्कृतिक संध्याओं ने बढ़ाई रौनक

मेले की सांस्कृतिक संध्याएं आयोजन को और भी जीवंत बना रही हैं। इसी क्रम में केरल की पारंपरिक लोक कलाओं चंदा और नड़पट्टू की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। तालबद्ध संगीत, ऊर्जावान नृत्य और कलाकारों की सशक्त प्रस्तुति ने पूरे माहौल को सांस्कृतिक रंगों से भर दिया, जिसे दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहा।

नए साल की यादगार शुरुआत

कुल मिलाकर, सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला 2025 न केवल खरीदारी और मनोरंजन का केंद्र बना हुआ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, शिल्प, परंपरा और महिला सशक्तिकरण का जीवंत उत्सव भी है, जो नए वर्ष की शुरुआत को खास और यादगार बना रहा है।


Content Editor

Sourabh Dubey

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