नरेश मीणा के थप्पड़ कांड से राजस्थान की सियासत में आया बवाल, ब्यूरोक्रेट्स बोले- ये सब नहीं सहेंगे..!
Thursday, Nov 14, 2024-05:35 PM (IST)
आरएसएस एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी का इंटरव्यू, राजस्थान में नेता और अफसरों के टकराव के किस्से नई बात नहीं है लेकिन जिस तरह से देवली-उनियारा उपचुनाव के बाद एसडीएम को कैमेरों के सामने चपत लगाई गई, उसके बाद से राजस्थान के अधिकारियों में गुस्सा है. राजस्थान शासन सचिवालय में गुरुवार सुबह से ही आरएसएस अधिकारी जुटने लगे और गांधाी मूर्ति के सामने बांह पर काली पट्टी बांध कर विरोध जताया. इसी दौरान आरएसएस एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी से पंजाब केसरी एडिटर विशाल सूर्यकांत ने ख़ास बातचीत की. पढ़िए इस बातचीत के प्रमुख अंश
Q. ये बहुत रेयर है कि अधिकारी काम छोड़कर इस तरह से धरने पर बैठे हों, काली पट्टी बांधकर विरोध कर रहे हों. नेता और अफसरों के टकराव की स्थिति पर आप लोगों का क्या रूख़ है ?
A. जी, अपने वीडियो देखा होगा और सब ने देखा है। जनता ने भी देखा जिस किसी ने उसे वीडियो को देखा है जिसमें हमारे अधिकारी अमित चौधरी के साथ में प्रत्याशी है जो अभी अभियुक्त है वो मारपीट कर रहा है. तो उसे हम काफी आहत हुए हैं. गिरफ्तारी हो गई है, इसके लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद लेकिन स्थितियां सुधारने की जरूरत है.
Q. लेकिन यह आ इस तरह से जनप्रतिनिधि और अधिकारी या कर्मचारी में टकराव के राजस्थान में ये पहला मामला नहीं है तो ये जो मामला है, अब क्या एक्शन चाहते हैं ?
A. हम चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों. हम चाहते हैं कि श्रीमान मुख्य सचिव महोदय की तरफ से एक सोपी निकले। निर्देश निकले परिपत्र निकले कि आरएएस अधिकारियों की सुरक्षा किस तरह से होनी चाहिए।
Q. स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधि और कर्मचारी या अधिकारियों के बीच कनफ्लिक्ट होता रहता है ये बहुत आम बात है, कैसे रोकेंगे इसे ?
A. देखिए, राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जो है जिनकी 2 साल की प्रॉपर्टी ट्रेनिंग होती है, उसमें जनप्रतिनिधियों से और जनता से कैसे डील किया जाता है। बकायदा हम सीनियर ऑफिसर्स भी हमारे जूनियर्स को समझते हैं और ऐसे सामने से आज तक राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की तरफ से कहीं कोई ऐसी घटना नहीं होती है। हां, उसका दुख का कोई उदाहरण हो सकते हैं। बट आ हमने उनको कहा है कि भाई शालीनता से पेश आए। जनता के साथ में बहुत अच्छे व्यवहार के साथ में डील करें। हमारा अधिकारी अपने कल देखा होगा कि कुछ नहीं बोला हो। उसको थप्पड़ पड़ने के बाद भी नरेश भाई नरेश भाई बोल रहा है तो यही उदाहरण है कि हमारे किस तरह के संस्कार है। इसका उदाहरण यही है और हम हमेशा विनम्र रहते हैं। आज भी मैं यही संदेश देना चाहता हूं कि जब तक हो सके हम हमारा काम शालीनता से विनम्रता से करें।
Q. अक्सर सरकारों के कार्यकाल में ऐसे मामले आते हैं, वक्ती एक्शन होता है लेकिन कई बार राजनीतिक दबाव और कारणों से मामले वापस भी होते है या ठीक से एक्शन भी नहीं होता. किस तरह से देख रहे हैं इसे ? क्या होना चाहिए ?
A. अब हम ये चाहते हैं कि किसी भी अधिकारी के साथ ऐसा न हो. अगर ऐसा होता है तो हम कड़ी से कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक नहीं रुकेंगे.