जमानत के बावजूद जेल में तीन दिन और रहेंगे नरेश मीणा, ये है वजह !

Friday, Jul 11, 2025-02:16 PM (IST)

नरेश मीणा को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है, सरकारी अधिकारी को ड्यूटी पर रहते हुए थप्पड़ मारने की सज़ा नरेश मीणा को इस तरह मिलेगी, इसका उन्हें उस वक्त अंदाजा नहीं रहा होगा, नरेश मीणा केस में सरकार की उलझन भी जबर्दस्त रही,  क्योंकि एक तरफ नरेश मीणा समर्थकों का दबाव और दूसरी और कर्मचारी-अधिकारी संगठनों की चेतावनियां, इसीलिए तमाम मसलों का एक ही हल था कि कुछ वक्त बीतने दिया जाए...अदालत ने अपने तरीके से काम किया और एक केस से दूसरे केस का मामला अदालतों में आता रहा, आखिरकार वो दिन आ गया जब हाईकोर्ट में नरेश मीणा को उस केस में जमानत मिल गई, जिसमें सबसे ज्यादा आरोप थे. नरेश मीणा के हाईकोर्ट से जमानत के बावजूद भी अभी कम से कम तीन दिन नरेश मीणा और जेल की रोटियां खानी होंगी...इसकी वजह बताएं और आगे बढ़े, इससे पहले आप नरेश मीणा संबंधी सभी ख़बरों को देखने के लिए पंजाब केसरी राजस्थान के हमारे यूट्यूब,फेसबुक,इन्ट्राग्राम और एक्स प्लेटफार्म पर बने चैनल्स और पेज़ेज को लाइक कर दें और सबस्क्राइब बटन पर क्लिक कर दें ताकि आपको सही वक्त पर नोटिफिकेशन मिलते रहें. तो दोस्तों, आगे चलिए जहां आपको हम बता रहे हैं कि आखिर क्यों जमानत के बावजूद नरेश मीणा को कुछ दिन और जेल में बिताने होंगे...दरअसल, नरेश मीणा को हाईकोर्ट से जमानत तो मिल गई है लेकिन जमानत पर बहस और जमानत का फैसला सुनाने के बाद,हाईकोर्ट से नरेश मीणा के वकील जल्द से जल्द आदेश की प्रति लेने की कोशिश में लगेंगे. जानकारों के मुताबिक, ये प्रक्रिया तयशुदा रूप से चलती है और आदेश की प्रति ही लेने में शाम तक का वक्त गुजरना तय है. आदेश की प्रति मिलने के बाद, वकील टोंक जेल में जाएंगे, जहां जमानत के लिए मुचलका भरने की प्रक्रिया होगा...

जानिए, क्या होता है मुचलका और क्या है उसकी प्रक्रिया...
अदालती भाषा में मुचलका, जिसे अंग्रेजी में बॉन्ड (bond) या surety bond कहते हैं.  यह एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें एक व्यक्ति, जिसे आरोपी या प्रतिवादी कहा जाता है, एक निश्चित राशि का वचन देता है कि वह अदालत में पेश होगा या किसी विशेष शर्त का पालन करेगा. यदि वह व्यक्ति ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे वह राशि चुकानी होगी. मुचलका, जिसे "जमानत मुचलका" भी कहा जाता है. असल में, यह एक प्रकार का वचन पत्र होता है. यह एक कानूनी दस्तावेज है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति, जिसे आरोपी या प्रतिवादी कहा जाता है, अदालत में पेश होने या किसी विशेष शर्त का पालन करने का वचन देता है. यदि वह व्यक्ति ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करना होगा, जो मुचलके में निर्धारित की गई है. आपको बता दें कि मुचलके के भी कई तरीके होते हैं. पहला जमानत मुचलका, यह तब जारी किया जाता है जब किसी आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है. दूसरा है शपथ पत्र – यह तब जारी किया जाता है जब किसी व्यक्ति को किसी कार्य विशेष को करने या न करने की शपथ दिलाई जाती हो. तीसरा है व्यक्तिगत मुचलका, तब जारी किया जाता है जब किसी व्यक्ति को बिना किसी जमानतदार के रिहा किया जाता है. कितने तरह के मुचलके होते हैं ये तो आप जान गए लेकिन कभी आपने सोचा है आखिर इसकी ज़रूरत क्या है ? 

चलिए आपको मैं बताता हूं कि क्यों ज़रूरी है मुचलका भरना....
अव्वल तो यह कि जब केस की जरूरत हो आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित करना, आरोपी जेल से छूटने के बावजूद भी शर्तों के बंधन में रहे. कई बार कुछ लोगों के छूटने की वजह से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में समस्याएं आती है. लिहाज़ा, मुचलके के रूप में उन पर ये कानूनी बंधन होता है कि बाहर आने के बाद क्या करना है, क्या नहीं करना है. किस तरह से रहना है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि मुचलके की अवहेलना करने से क्या होता है ? अदालत में मुचलका यानि एक ऐसा कानूनी दस्तावेज, जिसका उल्लघंन करना बहुत भारी पड़ सकता है. मुचलके की राशि कैसे निर्धारित होती है वो भी जान लीजिए क्योंकि आरोपी की वित्तिय स्थिति और मुचलके में निर्धारित राशि, आरोपी की वित्तीय स्थिति और अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखकर तय की जाती है.  इसीलिए किसी भी आरोपी को बिना मुचलके  जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है. एक तरह से ये आरोपी की और से गारंटी होती है कि वो शर्तों का उल्लघंन नहीं कर सकता. 

चलिए लौटते हैं मूल मुद्दे पर ...यानि नरेश मीणा केस पर...आखिर क्यों जमानत के बावजूद तीन दिन जेल में रहेंगे नरेश मीणा...

नरेश मीणा के वकील हाईकोर्ट से शुक्रवार की शाम तक आदेश की प्रति प्राप्त करेंगे. शनिवार और रविवार अवकाश के कारण ये प्रक्रिया सोमवार से पहले पूरी नहीं हो सकती. जमानत पर रिहाई के लिए, कैदी को पहले अदालत से जमानत का आदेश प्राप्त करना होगा। इसके बाद, जेल अधिकारी को रिहाई का आदेश प्राप्त होने पर, कैदी को रिहा कर दिया जाएगा। जेल से जमानत पर रिहाई में भी लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है.  1. जमानत का आदेश प्राप्त करना - यह आदेश आमतौर पर एक निश्चित राशि के लिए बांड या जमानत राशि जमा करने के बाद जारी किया जाता है। कुछ मामलों में, अदालत कैदी को व्यक्तिगत बांड पर रिहा करने का आदेश दे सकती है, जिसमें कोई जमानत राशि जमा करने की आवश्यकता नहीं होती है। , 2. जमानत का आदेश जेल को प्रस्तुत करना: - कैदी या उसके वकील को जमानत का आदेश जेल अधिकारियों को प्रस्तुत करना होगा। जेल अधिकारी जमानत के आदेश की पुष्टि करेंगे। 

रिहाई की प्रक्रिया: - जेल अधिकारी, जमानत के आदेश की पुष्टि करने के बाद, कैदी को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। 
रिहाई की प्रक्रिया में आमतौर पर कैदी के सामान की जांच करना, उसे रिहाई का प्रमाण पत्र देना और उसे जेल से बाहर जाने की अनुमति देना शामिल है। केंद्रीय या बड़ी जिला जेलों में, कैदी को आमतौर पर जमानत बांड या रिहाई आदेश प्राप्त होने के चार घंटे के भीतर रिहा किया जाना चाहिए, according to the Model Prison Manual published by the Ministry of Home Affairs कुछ मामलों में, जैसे कि अंतिम संस्कार आदि, रिहाई की प्रक्रिया को और भी तेज किया जा सकता है। नरेश मीणा के वकीलों के पास, ई-प्रिजन नामक एक ऑनलाइन पोर्टल का भी विकल्प होगा जिसमें विचाराधीन कैदियों को जमानत देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए किया जाता है।  यह पोर्टल जेल कर्मियों, अदालतों और जिला एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को आपस में जोड़ता है। तो दोस्तों , नरेश मीणा केस के बहाने ये कुछ कानूनी बारिकियों पर आपसे बात हुई . नरेश मीणा केस में जमानत मिलने के बाद से  रिहाई तक के बीच का वक्त नरेश मीणा और उनके समर्थकों के लिए यकीनन बेसब्री भरा होगा...लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं से गुजर कर ही जमानत मिल पाएगी...


Content Editor

Kuldeep Kundara

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