राइजिंग राजस्थान के बहाने भाजपा के करीब जा रहे रविंद्र सिंह भाटी ?
Tuesday, Dec 10, 2024-04:35 PM (IST)
राजस्थान की राजनीति में इन दिनों जहां राइजिंग राजस्थान की चर्चा हर तरफ हो रही है कि आखिर प्रदेश में आने वाला ये निवेश कब तक प्रदेश की जनता को लाभ देगा। वहीं इस पूरे कार्यक्रम के पहले दिन कई नेताओं को एंट्री मिली कईयों को नहीं। जिन्हें एंट्री नहीं मिली उसे पर हम दूसरे वीडियो में बात करेंगे। लेकिन इस कार्यक्रम में शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी का आना इस समय राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकी यहां कांग्रेस के किसी विधायक को नहीं बुलाया गया। यहां तक की हनुमान बेनीवाल और राजकुमार रोत को भी नहीं बुलाया गया। लेकिन भाटी वहां मौजूद थे। आखिर कौन है रविंद्र सिंह भाटी और क्यों वह वहां आए चलिए बता करते है।...
आखिर कौन है रविंद्र सिंह भाटी ?
बाड़मेर के छोटे से गांव दूधोड़ा के रहने वाले रविंद्र सिंह भाटी बेहद सामान्य परिवार से आते हैं। उनके पिता शिक्षक हैं। भाटी के परिवार का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है। वह वैचारिक रूप से बीजेपी के करीब हैं और एबीवीपी के सदस्य रहे हैं, लेकिन राजस्थान में भगवा पार्टी के लिए ही चुनौती बन गए हैं।
57 साल के इतिहास को तोड़ा भाटी ने
साल 2019 में रविंद्र सिंह भाटी ने छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी से टिकट की दावेदारी पेश की। लेकिन, एबीवीपी ने भाटी को टिकट न देकर किसी और को अपना प्रत्याशी घोषित किया। इससे नाराज भाटी ने निर्दलीय ताल ठोक दी और यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाले पहले छात्र नेता बने। इसके बाद भाटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अपने दोस्त को जीत दिलाकर चर्चाओं में आए भाटी
कोरोना काल के दौरान चाहे छात्रों की फीस माफी का मुद्दा हो या गहलोत सरकार के कार्यकाल में कॉलेज की जमीन का मुद्दा, भाटी ने छात्र आंदोलन का आगे बढ़कर नेतृत्व किया। छात्र हितों के लिए वह कई बार जेल भी गए। यहां तक कि छात्रों की मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव किया। अपनी इसी जुझारू छवि के कारण रविंद्र सिंह भाटी छात्रों और युवा वर्ग के चहेते बन गए। रविंद्र सिंह भाटी तब और चर्चा में आ गए, जब उन्होंने 2022 में अपने दोस्त अरविंद सिंह भाटी को जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष का चुनाव जितवाया। NSUI ने अरविंद को टिकट नहीं दिया तो, वह SFI से चुनाव लड़े। रविंद्र भाटी ने अपने दोस्त अरविंद के चुनाव प्रचार का जिम्मा खुद अपने कंधों पर उठाया, और अध्यक्ष पद के लिए हुए इलेक्शन में जीत भी दिलाई। उसी दिन से राजस्थान में इस युवा की चर्चा और ज्यादा तेज हो गई।
जब 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को दी चुनौती
इसके बाद रविंद्र सिंह भाटी राज्य की राजनीति में उतरे। उन्होंने बीजेपी जॉइन की और 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में शिव सीट से टिकट की मांग की। लेकिन बीजेपी ने रविंद्र भाटी को टिकट ना देकर संघ की पृष्ठभूमि वाले और उस समय के अपने बाड़मेर जिलाध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा को शिव से उम्मीदवार बना दिया। इससे नाराज भाटी ने बीजेपी से बगावत कर शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। विधानसभा चुनाव में भाटी के सामने शिव सीट पर सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के पूर्व मंत्री अमीन खान थे। अमीन खान ने कांग्रेस के सिंबल पर 9 बार पहले चुनाव लड़ा था और 84 साल की उम्र में 10वीं बार ताल ठोक रहे थे। इसके अलावा बीजेपी के स्वरूप सिंह खारा और कांग्रेस से के बागी फतेह खान और पूर्व विधायक जालम सिंह रावत जैसे चेहरे इस 26 वर्षीय युवा के सामने थे। रविंद्र सिंह भाटी ने इन सभी चुनौतियों को पार किया और 4000 वोटों के अंतर से शिव विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार स्वरूप सिंह खारा की तो जमानत जब्त करवा दी।
बाड़मेर से लोकसभा में बढ़ाई थी बीजेपी कि चिंता
भाजपा इस बार राजस्थान में क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर चल रही थी। लेकिन गत 4 अप्रैल को जब रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बाड़मेर सीट से अपना नामांकन दाखिल किया और उनकी रैली में जनसैलाब उमड़ा तो बीजेपी की टेंशन बढ़ गई। भाटी की उम्मीदवारी से बाड़मेर सीट पर अगर किसी को सीधे नुकसान पहुंचता दिख रहा तो वह बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी हैं। चूंकि रविंद्र सिंह एबीवीपी के सदस्य रहे हैं और खुद को वैचारिक रूप से बीजेपी के करीब पाते हैं, इसलिए उनके समर्थक भी बीजेपी के कार्यकर्ता और वोटर ही हैं। ऐसे में भाटी इस सीट पर भाजपा का ही वोट काटते दिख रहे हैं।
बाड़मेर ही नहीं देश भर में फेमस भाटी
ऐसा नहीं है कि रविंद्र सिंह भाटी का जलवा सिर्फ पश्चिमी राजस्थान तक सीमित है। वह बाड़मेर-जैसलमेर और बालोतरा के प्रवासियों से मिलने और वोट मांगने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, बंगलुरु और हैदराबाद के अलग-अलग इलाकों में पहुंचे । भाटी जहां भी जा रहे हैं, उन्हें जनसमर्थन हासिल हो रहा है। अन्य राज्यों में रविंद्र सिंह भाटी की सभाओं में उमड़ते प्रवासियों को देखकर राजनीति के बड़े-बड़े सूरमा भी हैरान हैं। सोशल मीडिया पर रविंद्र सिंह भाटी के वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं, जिन्हें लाखों की तादाद में लोग लाइक और शेयर कर रहे हैं।