निर्वाचन आयोग से मिले त्रिपुरा की इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट पार्टी के प्रतिनिधि, चुनाव सुधारों पर दिए सुझाव
Friday, Aug 01, 2025-05:54 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने गुरुवार को त्रिपुरा की आदिवासी जनजातियों की पार्टी – इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
यह प्रतिनिधिमंडल पार्टी अध्यक्ष प्रेम कुमार रियांग के नेतृत्व में आयोग मुख्यालय, अशोक रोड, नई दिल्ली पहुंचा और अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
बैठक का उद्देश्य
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयुक्तगण डॉ. सुखबीर सिंह संधू एवं डॉ. विवेक जोशी ने इस प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
यह बैठक आयोग द्वारा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से हो रही श्रृंखलाबद्ध बैठकों का हिस्सा थी।
इस संवाद का उद्देश्य है कि राजनीतिक दल सीधे आयोग के सामने अपने विचार, सुझाव और चिंताएं रख सकें, ताकि चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सशक्त बनाया जा सके।
150 दिनों में 4,719 बैठकें
पिछले 150 दिनों में निर्वाचन आयोग ने व्यापक स्तर पर 4,719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित कीं:
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40 बैठकें मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) द्वारा,
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800 बैठकें जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) द्वारा,
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3,879 बैठकें निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) द्वारा।
इनमें 28,000 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
अब तक हुई प्रमुख बैठकें
राष्ट्रीय दलों के साथ
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बहुजन समाज पार्टी (BSP) – कुमारी मायावती (6 मई 2025)
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) – जेपी नड्डा (8 मई 2025)
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माकपा – एम.ए. बेबी (10 मई 2025)
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नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) – कॉनराड संगमा (13 मई 2025)
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आम आदमी पार्टी (AAP) – अरविंद केजरीवाल (15 मई 2025)
राज्य स्तरीय दलों के साथ
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तृणमूल कांग्रेस (1 जुलाई 2025)
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वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (3 जुलाई 2025)
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समाजवादी पार्टी (3 जुलाई 2025)
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एआईएमआईएम – असदुद्दीन ओवैसी (7 जुलाई 2025)
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तेलुगु देशम पार्टी (15 जुलाई 2025)
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द्रमुक (17 जुलाई 2025)
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माले-लिबरेशन (22 जुलाई 2025)
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टिपरा मोथा पार्टी (23 जुलाई 2025)
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एआईएडीएमके (24 जुलाई 2025)
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शिवसेना – उदय सामंत (29 जुलाई 2025)
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जदयू (31 जुलाई 2025)
आयोग का यह संवाद कार्यक्रम लोकतांत्रिक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
आयोग ने दोहराया कि चुनावी प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह, निष्पक्ष और समावेशी बनाने के लिए सभी दलों की भागीदारी आवश्यक है।