“साबरमती से सबक: क्या द्रव्यवती भी बन सकती है जयपुर की शान?” साबरमती रिवर फ्रंट अहमदाबाद से विशाल सूर्यकांत की ग्राउंड रिपोर्ट

Monday, Sep 29, 2025-12:55 PM (IST)

अहमदाबाद। साबरमती रिवर फ्रंट आज शहर की पहचान बन चुका है। अटल ब्रिज पर खड़े होकर बहती ठंडी हवाओं का एहसास इस बात की गवाही देता है कि कभी गंदगी और बदहाली से अटी पड़ी यह नदी अब पर्यटन, फिटनेस और मनोरंजन का नया केंद्र है। सवाल उठता है अगर जयपुर की द्रव्यवती नदी को भी इसी तर्ज पर संवारा जाता, तो तस्वीर कुछ अलग होती।

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दरअसल, 2006 में अहमदाबाद नगर निगम ने 600 करोड़ का कर्ज लेकर इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की थी। आज यह 6,000 करोड़ की संपत्ति में बदल चुका है। खास बात यह रही कि शहरवासियों पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया गया और पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ शुरुआत में ही ले ली गईं।

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साबरमती रिवर फ्रंट परियोजना की खासियतें

नदी का पेटा कच्चा ही रखा गया, केवल किनारे कंक्रीट से मजबूत किए गए।  करीब 10,000 परिवारों का पुनर्वास किया गया, दुकानों और कारोबारों को व्यवस्थित रूप से स्थानांतरित किया गया। वहीं पानी का निरंतर प्रवाह बनाए रखने के लिए नर्मदा नदी से पानी लिया जा रहा है। सफाई के लिए नगर निगम से अलग विशेष दल और निजी कंपनियाँ लगाई गईं। पुनर्वास और अतिक्रमण मामलों के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति बनी। पहले चरण में 11.5 किमी का काम 1,200 करोड़ की लागत से पूरा हुआ। अब तीसरे चरण का काम शुरू होने वाला है और राज्य सरकार की मदद से अगले फेज़ भी आगे बढ़ाए जा रहे हैं। अहमदाबाद से लेकर गांधीनगर तक 39 किमी की लंबाई को रिवरफ्रंट से जोड़ा जा रहा है।

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साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी और नगर निगम कमिश्नर बंछानिधि पानी के अनुसार— “यह प्रोजेक्ट न सिर्फ शहर की धड़कन है, बल्कि डिजास्टर मैनेजमेंट, हैरिटेज संरक्षण और शहरी जीवन को नया आयाम देने वाला मॉडल है। देश के 12 शहर इस परियोजना से प्रेरणा लेकर काम शुरू कर चुके हैं।”

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पर्यटन का नया ठिकाना

साबरमती रिवर फ्रंट अब केवल एक नदी किनारा नहीं, बल्कि अहमदाबाद का पर्यटन आकर्षण भी है। हर दिन यहां हजारों लोग मॉर्निंग वॉक और साइक्लिंग के लिए आते हैं। शाम को अटल ब्रिज और रिवर व्यू पॉइंट्स पर भीड़ उमड़ती है। देश-विदेश से आए पर्यटक इसे देखने ज़रूर पहुँचते हैं। जयपुर से आई पर्यटक डॉ सुमिता शारदा ने कहा - “अहमदाबाद की पहचान अब सिर्फ गांधी आश्रम नहीं, बल्कि यह रिवर फ्रंट भी है। रात की रोशनी में यह किसी विदेशी शहर से कम नहीं लगता। जयपुर में भी दुर्व्यवती नदी इसी रूप में होनी चाहिए"

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यहां पार्क, गार्डन, म्यूजिकल फाउंटेन, बोटिंग, ओपन एयर इवेंट्स और रिक्रिएशन सेंटर लोगों को आकर्षित करते हैं। बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम और फेस्टिवल अब अक्सर इसी किनारे पर आयोजित होते हैं।

साबरमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट में चुनौतियाँ भी कम नहीं

हाल की बाढ़ ने इस परियोजना की परीक्षा ली। अधिकारियों का कहना है कि डेढ़ लाख क्यूसेक पानी को रिवर फ्रंट की मदद से मैनेज किया गया, लेकिन नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, नदी में जल प्रवाह की अनियमितता और तलछट की सफाई अभी भी बड़ी चुनौती बनी हुई है। वहीं, जिन एडवेंचर और व्यावसायिक गतिविधियों जैसे सी-प्लेन, क्रूज़ या हेलीकॉप्टर सेवाओं का दावा किया गया था, वे अभी पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई हैं या आर्थिक नुकसान के कारण बंद भी हैं।

नसीहत जयपुर के लिए

साबरमती का यह मॉडल बताता है कि चुनी हुई शहरी सरकार, ठोस योजना और राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो किसी भी नदी को फिर से शहर की जीवनरेखा और पर्यटन धरोहर बनाया जा सकता है। जयपुर की द्रव्यवती नदी अगर इसी संजीदगी से विकसित होती, तो वह भी आज शहर की शान और सिटी टूरिज़्म का आकर्षण बन सकती थी।

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Content Editor

Sourabh Dubey

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