जयपुर-जोधपुर के बीच वर्ल्ड क्लास हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का काम अटका, ट्रेनों की टेस्टिंग अब भी कोटा में
Sunday, Aug 03, 2025-03:48 PM (IST)

राजस्थान के जयपुर-जोधपुर के बीच बन रहे देश के पहले वर्ल्ड क्लास हाई स्पीड टेस्टिंग ट्रैक का काम अटकने से ट्रेनों की टेस्टिंग अब भी दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग के कोटा रेल मंडल में करनी पड़ रही है। इससे देश के सबसे व्यस्त रेलमार्गों में से एक पर यातायात प्रभावित हो रहा है। भारतीय रेलवे के पास फिलहाल कोई विश्व स्तरीय टेस्टिंग ट्रैक नहीं है, जिससे वंदे भारत, बुलेट ट्रेन और अन्य तेज रफ्तार ट्रेनों के ट्रायल में दिक्कत आ रही है।
पांच साल में भी अधूरा प्रोजेक्ट
आरडीएसओ की देखरेख में 820 करोड़ रुपए की लागत से 2020 में 64 किमी लंबे इस ट्रैक का निर्माण शुरू हुआ था। इस पर 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ाई जा सकेंगी। लेकिन पांच साल बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है। नावां के पास गुढ़ा से मीठड़ी तक और सांभर झील के किनारे 2.5 किमी क्षेत्र में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी न मिलने के कारण काम अटका हुआ है। करीब 80% काम पूरा होने के बाद भी प्रोजेक्ट अधर में लटका है।
योजना की खासियतें
अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर बन रहे इस ट्रैक में 23 किमी लंबी मुख्य लाइन होगी।
गुढ़ा साल्ट में 13 किमी का हाई स्पीड लूप
नावां में 3 किमी का क्विक टेस्टिंग लूप
मिठड़ी में 20 किमी का कर्व टेस्टिंग लूप
इसके अलावा आठ स्टेशन, मेजर ब्रिज, पुल, अंडरब्रिज और ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं। पहले चरण में ट्रैक और ब्रिज, दूसरे चरण में वर्कशॉप, लैब और आवास का निर्माण होगा।
ट्रैफिक पर असर
अभी नई ट्रेन या वैगन के परीक्षण के दौरान कोटा जैसे व्यस्त रेलमार्ग पर ट्रैफिक रोकना या डायवर्ट करना पड़ता है। इस ट्रैक के शुरू होने के बाद न केवल नए इंजनों और कोचों का ट्रायल आसान होगा बल्कि बुलेट ट्रेन के कोच भी यहीं परखे जा सकेंगे।
मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट
दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर मथुरा से कोटा होते हुए नागदा तक 3,500 करोड़ रुपए से अधिक लागत का मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट अंतिम चरण में है। इसके पूरा होने पर इस रूट पर 180 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनें चल सकेंगी, जिससे यात्रा समय में कमी और ट्रेनों के ठहराव बढ़ाने की संभावना है।