ऑपरेशन सिंदूर 2.0 लॉन्च, श्रीकल्पतरु संस्थान का 30वां वार्षिक उत्सव पर्यावरण योद्धाओं को समर्पित

Tuesday, Aug 12, 2025-11:41 AM (IST)

जयपुर | प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित संगठन श्रीकल्पतरु संस्थान ने अपने 30वें वार्षिक उत्सव को वृक्ष मित्र पुरस्कार समारोह के रूप में मनाया | राज्य कृषि प्रबंध संस्थान दुर्गापुरा जयपुर में आयोजित इस समारोह के दौरान ऑपरेशन सिंदूर 2.0 अभियान भी लॉन्च किया गया ! जिसमें सिंदूर के एक लाख पौधे वितरण करने एवं लगवाने का कार्य किया गया | यह सभी पौधे संस्थान के स्वयंसेवकों द्वारा कठिन परिश्रम के बाद तैयार किए गए हैं | इस अवसर पर नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न सामाजिक सरोकारों से जुड़े क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले पर्यावरण कार्यकर्ताओं को वृक्ष मित्र पुरस्कार भी प्रदान किए | जिसमें क्रमश तीन श्रेणियां में नकद राशि, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया । संस्थान के एक कार्यकर्ता को वालंटियर ऑफ द ईयर, सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक सम्मान से भी सम्मानित गया | भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए संस्थान के नीरज वर्मा, रिदम कटारिया, अक्षय दाधीच सहित आठ वॉलिंटियर्स को भी सम्मानित किया गया । राजस्थान के बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं को प्राकृतिक सिंदूर से तिलक किया गया और हल्दीघाटी की मिट्टी के साथ प्रमाण पत्र भेंट किया गया । ट्री मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से मशहूर पर्यावरणविद् विष्णु लाम्बा ने बताया कि संस्थान की ओर से पिछले वर्ष ग्रीन बचपन अभियान शुरू किया गया था। जिसके माध्यम से पांच से 12 साल के छोटे बच्चों की ग्रीन आर्मी बनाने का प्रयास शुरू किया गया । जिसमें अब तक दुनिया के सात देशों के बच्चे जुड़ चुके हैं। इस बार ऑपरेशन सिंदूर 2.0 कैंपेन शुरू किया गया । इस अभियान के अंतर्गत एक लाख से अधिक विलुप्त होती सिंदूर की प्रजाति के पौधे लगवाए जा रहे है। कार्यक्रम में महिमा ग्रुप के निदेशक धीरेंद्र मदान, भारत के महान क्रांतिकारी पुलिन बिहारी दास के पौत्र विश्व रंजन दास, क्रांतिकारी राजशेखर बोस के प्रपौत्र सौम्या शेखर बॉस, पदमा प्रतिष्ठा के संस्थापक शशिकांत कांबले, हॉर्टिकल्चर डायरेक्टर एल.एन. बैरवा सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे । कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से किया गया ।

बता दें कि श्री कल्पतरू संस्थान लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न सामाजिक सरोकारों को समर्पित होकर जमीनी स्तर पर सार्थक प्रयास करता आ रहा है | संस्थान के सार्थक प्रयासों को देखते हुए सरकार द्वारा राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार, अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार, वानीकी पुरस्कार, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्र निर्माण पुरस्कार सहित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम प्रमुख द्वारा भी सम्मानित किया गया है । संस्थान वर्ष 2047 तक 5 करोड़ वृक्ष लगाने के लिए संकल्पित है। तब भारत आजादी के 100 वर्ष पूर्ण कर रहा होगा, और इस क्रम में हाल ही में एक करोड़ साठ हजार पौधे लगाकर संरक्षित करने का लक्ष्य 30 वर्षों में पूर्ण किया जा चुका है। संस्थान के सार्थक प्रयासों को देखते हुए सरकार द्वारा राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार, अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार, वानीकी पुरस्कार, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्र निर्माण पुरस्कार सहित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के प्रमुख द्वारा सम्मानित होने का अवसर प्राप्त हुआ है । इसके अतिरिक्त भी संस्थान को अब तक 150 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं । संस्थान देश देश के बाईस राज्यों और दुनिया के तेरह देशों में 150 से अधिक अभियान संचालित करता है ! जिनका नेतृत्व संस्थान के स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है ! वर्तमान में दस हजार से अधिक सक्रिय स्वयंसेवक निस्वार्थ सेवाएं दे रहे हैं और कुल पंजीकृत सदस्यों की संख्या 7 लाख से अधिक है ! संस्थान के माध्यम से आजादी के बाद पहली बार भारत के क्रांतिकारी परिवारों को तलाश कर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलवाया गया और 1857 से 1947 तक के भारत के महान क्रांतिकारियों के जन्म और बलिदान स्थलों पर पौधे लगवाते हुए उन्हें पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा गया। संस्थान के प्रयासों से चंबल के अनेक खूंख्यात डकैतों को भी हृदय परिवर्तन करवाते हुए पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा गया ! जो वर्तमान में चंबल के बीहड़ों को बचाने, दुर्लभ औषधीयौ की प्रजातियों सहित स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण के साथ-साथ वन्यजीवों को के शिकार को रोकने अवैध खनन को रोकने और हरे पेड़ों की कटाई को रुकवाने का कार्य कर रहे है। संस्थान के स्वयंसेवकों ने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए एक पेड़ मां के नाम अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अनेक कीर्तिमान कायम किए हैं। हाल ही में इंदौर शहर में 12 घंटे में 12 लाख पौधे लगाकर विश्व कीर्तिमान कायम किया गया ! जिसमें भी संस्थान के स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही |


 


Content Editor

Kuldeep Kundara

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