लोथल में बन रहा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर: हड़प्पा संस्कृति से आधुनिक पर्यटन तक
Sunday, Sep 28, 2025-08:43 PM (IST)

गुजरात का लोथल हड़प्पा संस्कृति के समय से ही एक मानव निर्मित बंदरगाह (पोर्ट) के कारण इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। हालांकि, समय के साथ यह ऐतिहासिक स्थल सामान्य जन के लिए लगभग गुमनाम हो गया था। लेकिन अब लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex – NMHC) का निर्माण किया जा रहा है, जो भारत की 5,000 साल पुरानी समुद्री धरोहर और हड़प्पा संस्कृति की गौरवशाली विरासत को जीवंत करेगा।
यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के ब्लू-व्हाइट प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य लोथल की ऐतिहासिक महत्ता को आधुनिक पर्यटन और शिक्षा के दृष्टिकोण से विश्व स्तर पर प्रस्तुत करना है। लोथल का आर्कियोलॉजिकल साइट इस परिसर से मात्र 2.5 किमी दूर स्थित है, और यह मानव इतिहास का पहला समुद्री बंदरगाह माना जाता है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत की समृद्ध समुद्री विरासत और भारतीय नौसेना के इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रोजेक्ट का विस्तार और गैलरीज़:
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर लगभग 375 एकड़ क्षेत्र में विकसित हो रहा है। इसमें 14 थीम आधारित गैलरी होंगी, जिनमें से भारतीय नौसेना की गैलरी सबसे बड़ी और भव्य होगी। यहाँ भारतीय नौसेना के आईएएस निशांक विमान, हेलीकॉप्टर, नौसैनिक आर्टिफैक्ट्स और अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संसाधन प्रदर्शित किए जाएंगे। इन गैलरीज़ का उद्देश्य न केवल दर्शकों को शिक्षित करना है बल्कि उन्हें भारतीय समुद्री इतिहास की समृद्धि का वास्तविक अनुभव देना भी है।
प्रोजेक्ट की लागत और समयसीमा:
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण कार्य 2022 में शुरू हुआ था। इसकी कुल अनुमानित लागत लगभग 4500 करोड़ रुपये है और इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पूर्ण होने के बाद यह परिसर न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनेगा।पर्यटन और कनेक्टिविटी:
पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए परिसर की कनेक्टिविटी भी विकसित की जा रही है। वर्तमान में अहमदाबाद से लोथल की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में 1.5 से 2 घंटे लगते हैं। भविष्य में धोलेरा एक्सप्रेसवे और धोलेरा एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी और अधिक बेहतर हो जाएगी।
आकर्षण और सुविधाएँ:
पर्यटकों के अनुभव को और भी रोमांचक बनाने के लिए परिसर में रिसॉर्ट्स, होटल, थीम आधारित टेंट सिटी और इलेक्ट्रिक वाहन की व्यवस्था की जा रही है। परिसर के अंदर घूमने के लिए इलेक्ट्रिक कार और बोटिंग की सुविधा उपलब्ध होगी। विशेष रूप से बोटिंग के लिए बनाई जाने वाली नावों का डिज़ाइन हड़प्पा संस्कृति के समय की नावों के अनुरूप होगा, जिससे विजिटर्स को इतिहास में यात्रा करने जैसा अनुभव प्राप्त होगा।
इस विशाल और भव्य परिसर में आने वाले लोग कम से कम दो से तीन दिन बिताने की योजना बनाकर ही आएंगे, क्योंकि यहां देखने और अनुभव करने के लिए असीमित ऐतिहासिक, शैक्षिक और मनोरंजक आकर्षण मौजूद होंगे।
लोथल का यह परियोजना न केवल हड़प्पा संस्कृति की गौरवशाली विरासत को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। 2028 में जब यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा, तो यह क्षेत्र न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि आम पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगा। इस विशाल प्रोजेक्ट के माध्यम से लोथल का नाम फिर से विश्व पर्यटन मानचित्र पर चमकने वाला है।
विशाल सूर्यकांत, पंजाब केसरी, लोथल, गुजरात