गुलाबी नगरी में संस्कृति, शिल्प और स्वाद का उत्सव!

Friday, Dec 19, 2025-06:11 PM (IST)

गुलाबी नगरी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में आयोजित सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला–2025 ने भव्यता, रंगों और उत्साह के साथ अपनी शानदार शुरुआत की। मेले का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान श्री भजनलाल शर्मा द्वारा किए जाने से आयोजन की गरिमा और बढ़ गई। देशभर से आईं स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं के चेहरों पर आत्मविश्वास, गर्व और खुशी साफ झलक रही थी।

देशभर के शिल्प और हुनर का संगम

सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला जयपुरवासियों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। शाम ढलते ही मेले में उमड़ी भारी भीड़ इस बात का प्रमाण है कि यह आयोजन लोगों के दिलों को छू रहा है।
मेले के दूसरे दिन शुक्रवार को बड़ी संख्या में आगंतुकों ने विभिन्न राज्यों से आई एसएचजी महिलाओं द्वारा तैयार हस्तनिर्मित उत्पादों को न केवल सराहा बल्कि जमकर खरीदारी कर ग्रामीण महिलाओं के हुनर को प्रोत्साहन दिया।

महिला सशक्तिकरण की सशक्त पहल

सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला केवल भारतीय हस्तकला, हथकरघा और पारंपरिक कलाओं का उत्सव नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच देने की एक मजबूत पहल भी है। यह आयोजन महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता और आजीविका संवर्धन की दिशा में एक सशक्त सेतु बनकर उभरा है।

‘भारत – एक सूत्रधार’ थीम पर सजा मेला

इस वर्ष मेला ‘भारत – एक सूत्रधार’ थीम पर आयोजित किया गया है, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों की समृद्ध टेक्सटाइल और बुनाई परंपराएं एक ही छत के नीचे देखने को मिल रही हैं। रंगों की विविधता, बारीक कारीगरी और सदियों पुरानी परंपराओं की जीवंत झलक भारतीय सांस्कृतिक एकता और विविधता का सुंदर प्रतीक प्रस्तुत कर रही है।

सांस्कृतिक संध्याओं से सजा हर दिन

मेले का प्रत्येक दिन सांस्कृतिक रंगों की छटा से सराबोर है। विशेष सांस्कृतिक संध्याओं के माध्यम से आगंतुकों को देश की विभिन्न लोक कलाओं और पारंपरिक नृत्य-संगीत से रूबरू होने का अवसर मिल रहा है। प्रतिदिन नई-नई सांस्कृतिक प्रस्तुतियां मेले के आकर्षण को और बढ़ा रही हैं।

स्वाद प्रेमियों के लिए फूड कोर्ट बना आकर्षण

स्वाद के शौकीनों के लिए मेले का फूड कोर्ट किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां राजस्थान के पारंपरिक व्यंजनों के साथ-साथ हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और झारखंड के लोकप्रिय स्वाद लोगों को खूब लुभा रहे हैं।
दूध जलेबी, दाल के पकौड़े, गर्मागर्म चाय, भेलपूरी, दाबेली, स्वीटकॉर्न, गाजर का हलवा, टमाटर सूप, दाल-बाटी-चूरमा, राब और बाजरे की रोटी जैसे स्वाद मेले के अनुभव को यादगार बना रहे हैं।

शिल्प, संस्कृति और सशक्तिकरण का जीवंत संगम

कुल मिलाकर सरस राजसखी राष्ट्रीय मेला–2025 शिल्प, संस्कृति, स्वाद और महिला सशक्तिकरण का एक जीवंत संगम बनकर उभरा है। यह मेला न केवल ग्रामीण महिलाओं के सपनों को उड़ान दे रहा है, बल्कि आगंतुकों को भारत की विविधता में एकता का अनुपम अनुभव भी करा रहा है।


Content Editor

Payal Choudhary

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News