अजमेर दरगाह चादरपोशी पर गहराया विवाद! हिंदू सेना की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को भेजा ये नोटिस

Sunday, Dec 07, 2025-02:53 PM (IST)

अजमेर. अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के समय हर साल होने वाली चादरपोशी को लेकर विवाद बढ़ गया है. हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका पर अब जिला अदालत ने केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. अदालत ने मंत्रालय से 10 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।

 

जानकारी के अनुसार हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की जिला अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी. इसमें कहा गया है कि अजमेर दरगाह मूल रूप से भगवान शिव का प्राचीन मंदिर था और इस दावे पर आधारित सिविल मामला पहले से अदालत में लंबित है. ऐसे में प्रधानमंत्री समेत संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा उर्स के अवसर पर चादर भेजना गलत संदेश देता है और मुस्लिम पक्ष इस चादरपोशी को अपने समर्थन में अदालत में पेश करता है.

 

जानकारी के अनुसार एक अर्जी में यह भी कहा गया है कि अजमेर दरगाह पर चादर भेजने की परंपरा देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की थी, जिसे हिंदू सेना ‘मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति’ का हिस्सा बताती है. संगठन का कहना है कि यह परंपरा धीरे-धीरे एक ‘कुप्रथा’ का रूप ले चुकी है और जब तक मूल मुकदमे में फैसला नहीं आता, तब तक इस पर रोक लगाई जानी चाहिए.

 

विष्णु गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय समेत अन्य विभागों को ज्ञापन भेजकर चादर न भेजने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्हें न्यायालय का रुख करना पड़ा. उन्होंने अर्जी में कोर्ट से इस मामले में दखल देने और परंपरा पर रोक लगाने की मांग भी की है.

 

आपको बता दें कि अजमेर दरगाह का सालाना उर्स इस बार 16 दिसंबर से शुरू होने वाला है. परंपरागत रूप से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे लोग उर्स के दौरान दरगाह पर चादर भेजते हैं. हिंदू सेना का कहना है कि चादर चढ़ाने की यह प्रथा इस्लामी परंपरा का हिस्सा भी नहीं है, इसलिए इसे जारी रखने का कोई धार्मिक औचित्य नहीं बनता.

 

अजमेर जिला अदालत 10 दिसंबर को संवैधानिक पदाधिकारियों की चादरपोशी पर रोक लगाने की अर्जी पर सुनवाई करेगी, जबकि हिंदू सेना की मूल याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी को तय की गई है. दूसरी ओर, उर्स की तैयारियां अजमेर में तेजी से चल रही हैं.


Content Editor

Anil Jangid

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