Rajasthan Politics: अपने ही समाज के नेताओं पर क्यों भड़क गए हनुमान बेनीवाल? मंत्री जोगाराम पटेल ने ली चुटकी
Saturday, Jun 21, 2025-05:04 PM (IST)

राजस्थान में डॉ. राकेश बिश्नोई की मौत पर उठे सवाल: हनुमान बेनीवाल का तीखा बयान, सरकार पर निशाना
जयपुर — जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या के मामले में राजस्थान की राजनीति गरमा गई है। जयपुर में शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री आवास कूच के दौरान हुए प्रदर्शन के बाद नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने राज्य सरकार और अपने ही समाज के जनप्रतिनिधियों पर तीखा हमला बोला। उनका बयान अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
बेनीवाल का सवाल: सत्ता में प्रभाव होते हुए भी न्याय में देरी क्यों?
हनुमान बेनीवाल ने कहा, "राजस्थान में जाट और बिश्नोई समाज के मिलाकर सात सांसद और 40 विधायक हैं, इसके बावजूद डॉ. राकेश बिश्नोई को न्याय दिलाने में सात दिन लग गए। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सोचिए, अगर ऐसी घटना किसी ऐसे समाज के बच्चे के साथ होती, जिसका यहां एक भी विधायक नहीं होता, तो उसे न्याय कितना देर से मिलता? उसके लिए कौन आवाज उठाता?"
'सीएम आवास कूच कोई राजनीतिक शो नहीं था'
बेनीवाल ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करना नहीं, बल्कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना था। उन्होंने बताया कि जब छह दिन तक SMS अस्पताल की मोर्चरी के बाहर जाट और बिश्नोई समाज के लोग धरने पर बैठे रहे और कोई सरकारी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा, तब मजबूरन यह कदम उठाया गया। "सरकार तक बात पहुंची और अब उन्होंने सभी मांगें मान ली हैं," उन्होंने कहा।
सरकार से बनी सहमति की प्रमुख बातें:
-
जोधपुर रेंज के आईजी की निगरानी में मामले की जांच होगी।
-
एसएन मेडिकल कॉलेज के HOD डॉ. राजकुमार राठौर को एपीओ किया गया।
-
डॉ. राकेश की पत्नी को RMRS में नौकरी दी जाएगी।
-
एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित होगी जिसमें एक RPS, एक RAS अधिकारी, एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ और एक अन्य डॉक्टर शामिल होंगे। यह कमेटी 45 दिनों में रिपोर्ट देगी।
अपनों पर भी सवाल खड़े किए
जयपुर की बारिश में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों के बीच बेनीवाल ने अपने ही समाज के विधायकों और मंत्रियों पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "सात दिन से जाट-बिश्नोई समाज के घरों में चूल्हे नहीं जले और हमारे नेता नदारद रहे। सिर्फ मैं और एक विधायक यहां हैं। बाकी सब कहां हैं? जब वो आएं तो पूछिएगा कि सात दिन कहां थे।" उन्होंने दावा किया कि ये पहली बार नहीं है जब उन्होंने अकेले लोगों के लिए लड़ाई लड़ी हो।
डॉ. राकेश बिश्नोई केस: क्या है मामला?
13 जून को डॉ. राकेश बिश्नोई ने कथित तौर पर ज़हर खा लिया था। 14 जून को जयपुर के SMS अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिवार ने आरोप लगाया कि उनके HOD डॉ. राजकुमार राठौर द्वारा उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था और थीसिस में बाधा डालने की धमकी दी जा रही थी। राकेश ने अपनी मौत से पहले पुलिस को बयान भी दिया था। इसी के आधार पर भाई किशन बिश्नोई ने शास्त्री नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई।
सियासी संदेश और सामाजिक समीकरण
राजस्थान की राजनीति में जाट, गुर्जर, मीणा, बिश्नोई, और माली जैसे ओबीसी वर्गों का बड़ा प्रभाव है। जाट समाज खासकर शेखावाटी, नागौर और जोधपुर जैसे इलाकों में निर्णायक भूमिका निभाता है। 200 विधानसभा सीटों में से 100 से ज्यादा पर यह समाज असर डालता है। बेनीवाल के बयानों को इस दिशा में एक नई ताकत उभारने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हाल में उन्होंने राजपूत समाज को लेकर भी ऐसा ही प्रयास किया था।
सरकारी पक्ष: 'राजनीतिक मंच ना बनाएं'
सरकार की ओर से वार्ता में शामिल कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने देर शाम प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार शुरू से ही संवेदनशीलता के साथ परिवार के संपर्क में थी। "लेकिन कुछ लोग इस मामले को राजनीतिक मंच बनाकर इस्तेमाल करना चाहते थे, जिससे वार्ता में देरी हुई।" बिना नाम लिए उन्होंने सांसद हनुमान बेनीवाल पर कटाक्ष करते हुए कहा, "जिनका राजनीतिक आधार खिसक रहा हो, वे इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं।"
उन्होंने भरोसा जताया कि सरकार भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए नई गाइडलाइंस बनाएगी।