Rajasthan News : जयपुर पुलिस कमिश्नर से मिले कांग्रेस नेता, निर्मल चौधरी की रिहाई पर बातचीत जारी
Saturday, Jun 21, 2025-05:17 PM (IST)

राजस्थान यूनिवर्सिटी में हंगामा: कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया और पूर्व छात्र नेता निर्मल चौधरी हिरासत में, समर्थकों का विरोध प्रदर्शन
जयपुर — राजस्थान की राजनीति शनिवार सुबह एक बार फिर गरमा गई जब संगरिया से कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया और राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी को पुलिस ने परीक्षा केंद्र से हिरासत में ले लिया। यह कार्रवाई गांधीनगर थाना पुलिस द्वारा की गई, जब दोनों नेता यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने पहुंचे थे। पुलिसकर्मियों ने बिना वर्दी के कैंपस में प्रवेश कर उन्हें जबरन गाड़ी में बैठा लिया। इस घटना का वीडियो भी दोनों नेताओं के एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से शेयर किया गया है, जिसमें पुलिस की सख्ती साफ देखी जा सकती है। हालांकि, थोड़ी देर बाद अभिमन्यु पूनिया को छोड़ दिया गया।
हिरासत के बाद पूनिया का बयान: "हम अन्याय के खिलाफ लड़ना नहीं छोड़ेंगे"
पूनिया के एक्स हैंडल से लिखा गया,
"राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर से मुझे और भाई निर्मल चौधरी को गिरफ्तार कर पुलिस ने कायरता दिखाई है। क्या अब भाजपा के शासन में आम आदमी की आवाज उठाना गुनाह है? हम अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।"
निर्मल चौधरी ने पुलिस पर लगाया गुंडागर्दी का आरोप
पूर्व छात्र नेता निर्मल चौधरी ने भी पुलिस पर तीखा हमला बोलते हुए अपने एक्स अकाउंट से कहा,
"परीक्षा के दौरान मुझे और विधायक अभिमन्यु पूनिया को परीक्षा केंद्र के अंदर से गिरफ्तार करना, सीधे-सीधे पुलिस की गुंडागर्दी है। आम नागरिकों के लिए यह एक खतरनाक संकेत है। बिना वर्दी के पुलिस परीक्षा में बाधा डाल रही है — यह पुलिस है या कोई दबंग गैंग?"
गिरफ्तारी के बाद बढ़ा तनाव, समर्थकों ने किया गांधी नगर थाने का घेराव
जैसे ही गिरफ्तारी की खबर फैली, दोनों नेताओं के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर गांधीनगर थाने की ओर कूच करने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अनिल चोपड़ा ने भी समर्थन में बयान जारी किया। उन्होंने लिखा,
"यह बदले की भावना से की गई कार्रवाई है। यूनिवर्सिटी में परीक्षा दे रहे निर्मल चौधरी को गिरफ्तार करना सरासर गलत है। सभी कार्यकर्ता गांधी नगर थाने पहुंचे और लोकतंत्र के इस अपमान के खिलाफ आवाज़ उठाएं।"
राजनीतिक रंग और सरकार पर सवाल
इस पूरी घटना को लेकर अब सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह कार्रवाई किसी पुरानी राजनीतिक रंजिश का नतीजा थी? क्या परीक्षा के दौरान गिरफ्तारी एक दबाव बनाने की रणनीति है? और सबसे अहम सवाल — क्या शिक्षण संस्थानों की गरिमा अब राजनीतिक संघर्षों की भेंट चढ़ रही है?