चुनिंदा शहरों तक सीमित न रहे राइजिंग राजस्थान का निवेश, क्या प्लान होगा तैयार
Monday, Dec 09, 2024-04:14 PM (IST)
देश में गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे कई राज्यों में इन्वेस्टमेंट समिट का आयोजन होता रहा है। इन आयोजनों में लाखों करोड़ के एमओयू पर साइन हुए , जिससे लोगों को अपने क्षेत्र में आर्थिक विकास की उम्मीदें जगीं। लेकिन हकीकत यह रही कि अधिकतर निवेश कुछ गिने-चुने जिलों तक सिमटकर रह गया।
राजस्थान में निवेश की असमानता
राजस्थान में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहां ज्यादातर निवेश जयपुर, जोधपुर, उदयपुर और अजमेर जैसे बड़े शहरों तक सीमित रहा। इस असमानता को खत्म करने के लिए हर जिले पर समान रूप से ध्यान केंद्रित करना बेहद जरूरी है। हालांकि सरकार ने इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए प्रदेश के हर जिले में निवेश की नींव रखी है, लेकिन असली चुनौती यह सुनिश्चित करने की है कि इन जिलों में औद्योगिक गतिविधियां वास्तव में शुरू हों।
यह कदम प्रदेश के सभी 50 जिलों में समान औद्योगिक और आर्थिक विकास को संभव बना सकता है। ऐसा होने पर न केवल पलायन रुक सकेगा, बल्कि अन्य शहरों पर जनसंख्या का दबाव भी कम होगा। इसके लिए जरूरी है कि हर जिले में उपलब्ध खनिज, कृषि, और अन्य कच्चे माल का उपयोग करके स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की जाएं। इसके साथ ही लोकल उत्पादों को अन्य राज्यों, देश और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाए। इससे लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों को नई ऊर्जा मिलेगी और सही मायनों में राजस्थान ‘राइजिंग राजस्थान’ के सपने को साकार कर सकेगा।
निवेश के लिए संतुलन जरुरी और उसके फायदे
1. प्रदूषण और दबाव का नियंत्रण:
यदि निवेश केवल कुछ ही शहरों तक सीमित रहेगा, तो वहां औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने से जनसंख्या का दबाव, प्रदूषण, और बेतरतीब बसावट जैसी समस्याएं पैदा होंगी। इसके अलावा, सड़क दुर्घटनाएं बढ़ेंगी और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अप्रत्याशित भार पड़ेगा।
2. सड़क चौड़ीकरण और लागत:
जनसंख्या और ट्रैफिक के दबाव के चलते सड़कों को चौड़ा करने की आवश्यकता पड़ रही है। इसके लिए आवास और दुकानों को तोड़ने के साथ-साथ ओवरब्रिज और अंडरपास बनाने पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं।
3. पलायन की रोकथाम:
जिन शहरों या जिलों में निवेश कम हुआ है, वहां के लोग रोजगार और शिक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। यदि इन जिलों में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी, तो स्थानीय रोजगार के अवसर और व्यवसायों में बढ़ोतरी होगी।
4. संयुक्त परिवारों का संरक्षण:
पलायन के कारण संयुक्त परिवारों का ढांचा कमजोर हुआ है। निवेश और रोजगार के अवसर स्थानीय स्तर पर मिलने से यह सामाजिक ढांचा मजबूत बना रह सकता है।
निवेश में सुधार की संभावनाएं
- नए औद्योगिक क्लस्टरों का निर्माण:
हर जिले में उद्योगों के लिए विशेष क्षेत्र निर्धारित कर उन्हें स्थानीय संसाधनों और कुशलता के आधार पर विकसित किया जाए। - शिक्षा और कौशल विकास:
छोटे शहरों में विश्वविद्यालय और कौशल विकास केंद्र स्थापित किए जाएं, ताकि युवाओं को अपने क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर मिल सकें। - पारंपरिक व्यवसायों का सशक्तीकरण:
हस्तशिल्प, कपड़ा, और कृषि-आधारित उद्योगों को तकनीकी सहायता और बाजार उपलब्ध कराकर सशक्त बनाया जाए।
सही योजना और समर्पित प्रयासों के जरिए निवेश को छोटे शहरों और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचाया जा सकता है। इससे न केवल परिवारों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी मजबूती मिलेगी। यदि राज्य सरकार इन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करे, तो राजस्थान वास्तव में आर्थिक और औद्योगिक प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू सकेगा।