जातिगत जनगणना पर राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने दी प्रतिक्रिया
Wednesday, Apr 30, 2025-07:14 PM (IST)

जयपुर। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने जातिगत जनगणना से लेकर कांग्रेस के द्वारा जारी किए गए गायब पोस्टर तक मामले में प्रतिक्रिया दी। राठौड़ ने कहा कि जनगणना के साथ अगर एक कॉलम जाति का बढ़ा दिया जाए तो देश पर कोई अतिरिक्त भार नहीं पडेगा, लेकिन इससे अलग कांग्रेसी नेता सिर्फ जातिगत जनगणना कराने के लिए जोर दे रहे थे, जिससे देश में हजारों करोड़ों रूपए का भार पड़ता। कांग्रेस और इसके सहयोगी दल जातिगत जनगणना को सिर्फ राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए दबाव बना रहे थे, राहुल गांधी सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा गलत समय पर गलत मांग की जा रही थी, अब जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी हो जाएगी। मोदी कैबिनेट ने इसे भी मूल जनगणना के साथ कराने का फैसला किया है, जो स्वागत योग्य है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि कांग्रेसी नेताओं की आदत हो गई है कि विरोध करना है, इसलिए हर फैसले का विरोध किया जाए। विपक्ष को विपक्ष की सकारात्मक और एक स्तर वाली भूमिका निभानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी द्वारा एक पोस्टर जारी किया जाता है और उसमें सिर गायब कर दिया जाता है, कांग्रेस के इस पोस्टर का औचित्य क्या है ?, क्या कांग्रेसी प्रधानमंत्री को धमकी देना चाहते है कि सिर तन से जुदा कर दिया जाएगा! प्रधानमंत्री किसी पार्टी के नहीं है, वो भारत के प्रधानमंत्री है और उनके द्वारा आतंकवाद के कारखाने को नष्ट करने के लिए जो कदम उठाए जा रहे है, उसे पूरी दूनिया का समर्थन प्राप्त है, पूरा भारत संतुष्ट है। जब पूरी दूनिया जानती है कि प्रधानमंत्री आतंक को लेकर क्या कर रहे है तो कांग्रेसी नेताओं की आंखें बंद है क्या, या फिर वो धृतराष्ट्र बनकर बैठे है? प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के पोस्टर का इस्तेमाल करना कांग्रेसियों के दिमाग की शून्यता को प्रदर्शित करता है। ऐसा लगता है कि उनके विवेक की शक्ति समाप्त हो गई है। राजनीति में इतनी गिरावट आ गई कि देश के प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के पोस्टर का इस्तेमाल किया जाए। राजनीति में जो इस तरह हल्के स्तर पर उतर जाएंगे वो राजनीति करने योग्य नहीं है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत साहब ने अपनी अल्पमत की सरकार में विधायकों को राजी करने के लिए जमकर रेवड़ियां बांटी। अंधा बांटे रेवडी, फिर फिर अपने को देय कहावत गहलोत पर चरितार्थ हो रही है। गहलोत ने एक पंचायतों को 500 मतदाताओं की बना दी तो एक पंचायत को 8 हजार मतदाताओं की बनाई, वहीं एक वार्ड 11 हजार मतदाताओं का है तो दूसरा वार्ड महज 600 मतदाताओं का है। इसी तर्ज पर गहलोत ने पंचायतों, नगरीय निकायों में अव्यवस्थित पुनर्गठन कर दिया था। अब भजनलाल सरकार में नियमों के अनुसार समान जनसंख्या के आधार पर गठन किया है। गहलोत के पुनर्गठन में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिला जबकि भाजपा सरकार के पुनर्गठन में व्यवस्थित रूप देखने को मिलेगा। अब गहलोत के फॉलोवर्स कम हो रहे है तो यह उनकी कमी है हमारी नहीं और बात चुनाव कराने के तो यह अधिकार चुनाव आयोग का है, सरकार का नहीं। अब वो जो उन्होंने किया था वो हम पर थोपना चाहते है, यह गलत है।
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