भटनेर के झरोखे से : पूर्व मुखिया को बड़े मसले पर आगे कर सियासी मैसेज ?
Sunday, May 18, 2025-02:27 PM (IST)

हनुमानगढ़, 18 मई 2025 । (बालकृष्ण थरेजा): पड़ौसी मुल्क के साथ तनाव और सीजफायर के बाद देश के मुखिया ने देश को संबोधित किया। अचानक से हुए इस सीजफायर को देश और प्रदेश में विपक्ष वाली पार्टी बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है। विपक्ष वाली पार्टी का मानना है कि देश के मुखिया ने जनता की भावना के खिलाफ यह फैसला लिया है। विपक्ष देश के मुखिया से कई सवाल कर रहा है। विपक्ष वाली पार्टी के दिल्ली मुख्यालय में देश के मुखिया के बोलने के बाद प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई। इस प्रेस को प्रेस का जिम्मा प्रदेश के पूर्व मुखिया को दिया गया। देश के मुखिया के बोलने के बाद सीजफायर पर अपनी बात रखना पूर्व मुखिया के लिए बड़ी उपलब्धि कही जा रही है। दिल्ली ने प्रदेश के पूर्व मुखिया को पार्टी मुख्यालय में देश के मुखिया के संबोधन के बाद सवाल उठाने के लिए आमंत्रित कर एक सियासी मैसेज दिया है। पार्टी में प्रदेश के पूर्व मुखिया का बड़ा कद होने का सीधा मैसेज गया है। वैसे भी पार्टी पूर्व मुखिया को कोई जिम्मेदारी देने के लिए जगह बना रही है। अब इतने बड़े मसले पर उन्हें मीडिया के सामने लाकर उनका कद कायम रखने की कोशिश की गई है। आने वाले दिनों में इसे पूर्व मुखिया को पार्टी में कोई बड़ा ओहदा देने से जोडक़र देखा जा रहा है। तनाव और अन्य मामले शांत होने के बाद पार्टी में फेरबदल होना है और पूर्व मुखिया कोई बड़ी जिम्मेदारी हासिल कर सकते हैं। पिछले दिनों पार्टी चीफ के प्रदेश के दौरे के दौरान भी उन्हें खूब तवज्जो मिली थी। अब एक बार फिर मौका मिलने से उनकी जिम्मेदारी को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
कप्तान के जाने से नए सवाल!
पिछले हफ्ते सरकार ने जिला पुलिस के कप्तान को अचानक से एपीओ कर दिया। पुलिस कप्तान के इस तरह नपने से जिले में खाकी की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। आए दिन लोग अवैध गतिविधियों से परेशान होकर धरने- प्रदर्शन करते हैं। कहा जाता है कि जिस दिन उनको एपीओ किया गया। उसी दिन उन्होंने एक थाना इंचार्ज को लाइन में लगाया था। पुलिस बेड़े में उनकी कार्यशैली को लेकर कई रोचक चर्चाएं सामने आ रही हैं । पुलिस कप्तान सत्ता वाली पार्टी में ही नेताओं के निशाने पर थे। अपनी पसंद के अफसरों को लगाने के लिए उन्होंने सत्ता वाली पार्टी के नेताओं की नहीं सुनी। चर्चा है कि पार्टी के जिला प्रधान और एक अन्य बड़े नेता ने सरकार के मुखिया को इसकी जानकारी दी। मुखिया ने जिला प्रधान की बात को गंभीरता से लिया और पुलिस कप्तान को एपीओ किया। अभी तक कि यहां नए कप्तान की नियुक्ति नहीं हुई है इसलिए यह साफ है कि पुलिस कप्तान को बड़े हस्तक्षेप से हटाया गया है। नए कप्तान की नियुक्ति इस हिसाब से होने की उम्मीद है जिससे पिछले कई सवालों का जवाब मिल सके।
नेता समझ की शपथ भी लें!
राजनीति में गोपनीयता भी अब मिर्च-मसाले वाली खबर बन चुकी है। कोई ऑपरेशन गुप्त नहीं रहा न सेना का, न विपक्ष का और न ही ट्विटर पर नेताओं की ‘ऑपरेशन टिप्पणियां’। अब भला बताईये की प्रदेश में पूर्व सरकार के मुख्यिा जी को अचानक गोपनीयता की याद कैसे आ गई? इस पर सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेश मुखिया द्वारा बयान देते हुए कहा गया है कि देश में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का चरित्र भी अब राजनीति से प्रेरित है। अरे साहब, ये तो नई बात नहीं,। अब राजनीति से कौन सा चरित्र अप्रभावित बचा है? सबको प्रेरणा यहीं से मिलती है। कोई रिटेल में, कोई थोक में। अब मुद्दा है ‘ऑपरेशन’ का। एक तरफ विपक्ष के कई नेता देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय बातों पर उंगली उठाते हैं तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ पार्टी के नेता उन्हें याद दिलाते हैं कि आपरेशन सिन्दूर से आतंकियों के प्रशिक्षण केंद्र भस्म कर दिए गए। इतनी ‘ऑपरेशनल’ जानकारी अगर अख़बार में आ जाए, तो क्या गुप्त और क्या प्रकट । तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके वरिष्ठ नेता को ये तो पता होना चाहिए कि राजनीति में अब गोपनीयता का मतलब है जब तक ट्विटर पर ट्रेंड न करे, तब तक सब गुप्त है। वैसे भी आजकल नेता लोग भाषण से पहले ऑपरेशन बयान चलाते हैं और बाद में अपने ही शब्दों के शिकार हो जाते हैं। और जनता? वह ऑपरेशन अगली बार किसे वोट दें में उलझी रहती है। वैसे मेरी राजनीति में सक्रिय तमाम नेता बिरादरी को सलाह है कि वे अब गोपनीयता की शपथ के साथ-साथ गोपनीयता की समझ भी लें। बयान देने से पहले एक बार ‘ऑपरेशन सोच-विचार’ भी कर लें।