भटनेर के झरोखे से : क्या समर्थक नहीं चाहते एक होना ?
Sunday, Jul 06, 2025-02:46 PM (IST)

हनुमानगढ़, 6 जुलाई 2025 । (बालकृष्ण थरेजा) : विपक्ष वाली पार्टी में युवा नेता के पिता की पुण्यतिथि पर हुए कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मुखिया के पहुंचने से लग रहा था कि दोनों नेताओं में अब सब कुछ ठीक हो गया है। पार्टी की सरकार रहते वक्त युवा नेता द्वारा की गई बगावत को पूर्व मुखिया हर बयान में जाहिर करते आए हैं। युवा नेता के पिता की पुण्यतिथि पर हुए कार्यक्रम में दोनों नेताओं के गलबहियां डालने से पार्टी के कार्यकर्ता उत्साहित नजर आए। दोनों ही नेताओं के समर्थक शांत हुए और एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बंद कर दी थी। पूर्व मुखिया का स्वागत करने के लिए युवा नेता के समर्थक नेता और कार्यकर्ता आगे आने लगे। इसी युवा नेता के कट्टर समर्थक और पार्टी की यूथ विंग के प्रधान मौजूदा विधायक ने पूर्व मुखिया के खिलाफ बयान देकर इस शांति में खलल डाल दिया है। उन्होंने पूर्व मुखिया पर पेपर लीक और सरकार के फेल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि इन नेताओं के समर्थक नहीं चाहते कि सब कुछ ठीक हो। इसके पीछे कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं देखी जा रही हैं ।खासकर युवा नेता के समर्थक युवा नेता को अगले चुनाव से पहले पार्टी का चेहरा बनाने की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ पूर्व मुखिया किसी भी हालत में प्रदेश को छोड़ना नहीं चाहते। इसका उदाहरण उनकी प्रदेश में सक्रियता के रूप में देखा जा सकता है। युवा नेता के समर्थक चाहते हैं कि युवा नेता को राजस्थान में पार्टी का चेहरा चुनाव से काफी पहले बनाया जाए। ऐसा होने से उन्हें चुनाव में मौका मिलेगा। दोनों एक होते हैं तो सब कुछ पार्टी की मेरिट के हिसाब से तय होगा। इससे कईयों के नंबर कट सकते हैं। युवा विधायक के बयान के बाद कुछ सुकून महसूस कर रही दिल्ली अब फिर टेंशन में है।
नेताओं में पॉलिटिकल सीजफायर ?
जनता के मुद्दे सिर्फ सोशल मीडिया पर !
जिला मुख्यालय पर सत्ता का केंद्र बनने की होड़ में पिछले सवा- डेढ़ साल से निर्दलीय विधायक और सत्ताधारी पार्टी के युवा नेता के धड़ों के बीच खूब ठनी हुई है। छोटी-मोटी बात पर एक दूसरे पर खुले तौर पर आरोप लगाना आम बात हो गई है। विधानसभा चुनाव हार चुके युवा नेता विधायक को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ते। एकाध बार विधायक द्वारा कथित रूप से फोन पर दी गई धमकियों को मुद्दा बनाने की कोशिश की गई। इसी तरह विधायक का धड़ा युवा नेता के खिलाफ तना रहता है। पिछले दिनों विधायक द्वारा कथित रूप से एक सर्जन को धमकी देने के आरोप के बाद युवा नेता की टीम ने प्रदर्शन किया। पार्टी पर दबाव बनाया गया कि विधायक की सुनी तो कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे। इस प्रदर्शन के बाद चर्चा है कि राजधानी में दोनों के बीच कुछ हद तक पॉलिटिकल सीजफायर हो गया है। पार्टी और सरकार ने दोनों को बैलेंस करने की रणनीति अपना ली है। इस वजह से सीजफायर नजर भी आने लगा है। किसी भी सरकारी कामकाज श्रेय लेने के लिए दोनों धड़ों में होड़ लग जाती है। यही वजह है कि जनता के रोजमर्रा के मसले अब लगभग भुला दिए गए हैं। जनता से जुड़ी समस्याएं सुलझाने की बजाय दोनों नेताओं के समर्थक इन समस्याओं को सोशल मीडिया पर जाहिर कर एक दूसरे धड़े पर और नेता पर आरोप लगाते हैं। हाल ही में जिला मुख्यालय पर बरसाती पानी की निकासी नहीं होने से पूरी अव्यवस्था फैल गई। पानी लोगों के घरों में घुस गया और सड़कों पर जाम लग गया ।इसके बाद भी सत्ता का केंद्र बनने की होड़ वाले दोनों धड़ों के नेता कहीं नजर नहीं आए। सिर्फ प्रशासन पर लोगों को छोड़ दिया गया। दिलचस्प बात यह रही कि सत्ता वाली पार्टी से जुड़े कुछ नेता ही इस समस्या के फोटो- वीडियो सोशल मीडिया पर डालने लगे और एक दूसरे को कोसने लगे। सोशल मीडिया पर यह हाल देखकर जनता परेशानी में भी हैरान है। अब इस सीजफायर के बाद क्या दोनों धड़े शहर की जनता की सुध लेंगे? यह सवाल अब भी कायम है।
प्रभारी के बयान से हलचल
विपक्ष वाली पार्टी में इन दिनों नेताओं के प्रदेश में खूब दौरे हो रहे हैं पार्टी के प्रदेश प्रधान जिलों में जाकर सभाएं कर रहे हैं। हाल ही में प्रदेश प्रधान, प्रदेश प्रभारी और नेता प्रतिपक्ष मेवाड़ के दौरे पर रहे। इस दौरे के बाद उन्होंने राजधानी में पदाधिकारियों की मीटिंग ली। मीटिंग में प्रदेश प्रभारी का पुराना अंदाज देखने को मिला। प्रदेश प्रभारी ने हमेशा की तरह कह दिया कि काम नहीं करने वाले जिला प्रधानों और अन्य पदाधिकारियों की छुट्टी होगी।प्रभारी के इस बयान के बाद अब जिलों में प्रधानगी के दावेदारों में हलचल पैदा हो गई है। पुराने प्रधानों को हटाकर नए प्रधान बनाना बहुत चुनौती भरा काम है लेकिन दावेदार अभी से सक्रिय हो गए हैं। कुछ जिलों में तब्दीली होनी है और कुछ नए बने जिलों में नए प्रधान बनने हैं। तब्दीली दि की संभावना वाले जिलों में दावेदार अब प्रदेश प्रधान से लेकर अपने आकाओं के यहां हाजिरी लगा रहे हैं। हालांकि विपक्ष वाली पार्टी में बयानों के बाद भी आमतौर पर होता कुछ नहीं है लेकिन दावेदारों की धड़कनें जरूर बढ़ जाती हैं ।प्रदेश प्रभारी इस बार दिल्ली से मंजूरी लेकर आए हों तो अलग बात है नहीं तो यह सिलसिला सिर्फ बयानों में ही चलने वाला है।