भटनेर के झरोखे से: बिसात भी खुद की, मोहरे भी खुद के...
Sunday, Jun 29, 2025-11:58 AM (IST)

हनुमानगढ़, 29 जून 2025। (बालकृष्ण थरेजा): विपक्ष वाली पार्टी में प्रदेश के पूर्व मुखिया इन दिनों खूब चर्चा में हैं ।अपने गृह जिले के दौरे के दौरान उन्होंने मौजूदा सरकार के मुखिया को बदलने की चर्चा छेड़ कर सत्ता वाली पार्टी को सांसत में ला दिया। साथ ही उन्होंने अपनी सरकार के दौरान सरकार को अस्थिर करने के आरोप भी मौजूदा समय में सत्ता वाली पार्टी पर लगाए ।असल में उन्होंने एक तीर से कई निशाने लगा दिए। मौजूदा मुखिया बारे बयान देकर उन्होंने विपक्ष वाली पार्टी में दिल्ली तक हलचल पैदा कर दी। अब मुखिया के बचाव में पार्टी के बड़े नेता खुद आगे आ गए हैं । मौजूदा मुखिया की तुलना में पूर्व मुखिया को प्रदेश में खूब फायदा मिल रहा है। उनकी योजनाओं की तारीफ होती है और मौजूदा मुखिया का कम अनुभव पूर्व मुखिया की लहर बनाने में फायदेमंद साबित हो सकता है। इसी तरह अपनी ही सरकार के विधायकों को पैसे बांटने के आरोप उन्होंने मौजूदा समय में सत्ता वाली पार्टी पर लगाए हैं लेकिन इसका असर पार्टी में युवा नेता के धड़े पर सीधा पड़ा है। अब युवा नेता को भी इसमें सफाई देने पड़ रही है। अपने छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान युवा नेता को मीडिया से ऐसे सवालों का सामना करना पड़ा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुछ भी हो पूर्व मुखिया अपनी सरकार के समय हुए राजनीतिक संकट और युवा नेता द्वारा बगावत के मुद्दे को भूलने नहीं देना चाहते। यह प्रकरण युवा नेता की पार्टी के प्रति लॉयल्टी को कम करने के लिए काफी है और इससे पूर्व मुखिया की राह और आसान होने वाली है।
क्या नेताओं को सता रहा कार्यकर्ताओं की नाराजगी का डर?
जिला मुख्यालय पर एक सर्जन को निर्दलीय विधायक द्वारा कथित रूप से धमकी देने के मामले में विधायक के खिलाफ कलक्टरी पर प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में सत्ता वाली पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता तो पहुंचे ही कुछ विधायक विरोधी नेता भी पहुंच गए। दूसरी तरफ विधायक ने भी अपने समर्थन में सोशल मीडिया में प्रचार करवाया। इसी बीच सत्ता वाली पार्टी के जिला कार्यालय में पहुंचे एक पूर्व सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि निर्दलीय विधायक का सरकार को समर्थन नहीं है। विधायक ने खुद अपनी इच्छा से समर्थन दे रखा है सरकार ने नहीं मांगा। पूर्व सांसद के इस बयान की टाइमिंग के कई मायने निकाले जा रहे हैं। विधायक के खिलाफ प्रदर्शन के बाद प्रशासन के साथ हुई वार्ता में भी सत्ता वाली पार्टी के जिला प्रधान पहुंचे। चर्चा तो यहां तक है कि सत्ता वाली पार्टी से उम्मीदवार रहे युवा नेता के समर्थकों ने प्रदेश नेतृत्व तक बात पहुंचाई है कि यदि विधायक को तवज्जो मिली तो तवज्जो देने वाले नेताओं और मंत्रियों का कार्यकर्ता विरोध कर सकते हैं। इससे अब सत्ता वाली पार्टी के नेताओं को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का डर सताने लगा है। अब पार्टी बैलेंस का फार्मूला अपना रही है। कुछ सरकारी कामों में अब युवा नेता की सिफारिश मानी जा सकती है। दूसरी तरफ विधायक की प्रदेश के मुखिया के साथ अच्छी ट्यूनिंग है और उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के कामकाज होने का पूरा भरोसा है। आने वाले दिनों में इस बैलेंस के फार्मूले का असर देखने को मिलेगा।
विधायक से क्यों नाराज हैं प्रदेश प्रधान?
जिले में एक आरक्षित सीट से विपक्ष वाले पार्टी के युवा विधायक की कार्यशैली से उनकी ही पार्टी के प्रदेश प्रधान नाराज बताए जा रहे हैं। उनके निर्वाचन क्षेत्र में हाल ही में नगरपालिका चेयरमैन उपचुनाव में पार्टी का बहुमत होने के बाद भी सत्ता वाले पार्टी अपना चेयरमैन बनने में कामयाब हो गई। चर्चा है कि इस मामले को लेकर विधायक की शिकायत उनकी पार्टी के विरोधी धड़े ने प्रदेश प्रधान को कर दी है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि विधायक का तालमेल पार्षदों और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ ठीक नहीं होने से बहुमत के बाद भी चेयरमैन नहीं बन पाया। वैसे विधायक ने अपनी पार्टी की सरकार के वक्त यहां पूरा जोर लगाकर पार्टी का चेयरमैन बनाया था। उस वक्त वह विधानसभा चुनाव हारे हुए थे। बाद में इसी चेयरमैन ने पार्टी को उनकी शिकायत कर दी और टिकट कटवाने तक जोर लगाया था।विधानसभा चुनाव के बाद राज बदलने से शहर की सत्ता बदल गई। विपक्ष वाली पार्टी द्वारा बनाए गए चेयरमैन को सरकार ने हटा दिया और अपनी पार्टी का चेयरमैन नामित कर दिया। अब उपचुनाव में भी सत्ता वाली पार्टी चेयरमैनशिप लेने में कामयाब हो गई। विधायक की कार्यशैली की शिकायत प्रदेश प्रधान को है और प्रदेश प्रधान संगठन में बदलाव की दिशा में विधायक की राय को कितना महत्व देते हैं यह आगे देखने को मिलेगा।