भटनेर के झरोखे से: लंबी एक्सरसाइज के बाद भी जुगाड़ !
Sunday, Sep 29, 2024-04:39 PM (IST)
हनुमानगढ़, 29 सितंबर 2024 ( बालकृष्ण थरेजा) । सरकार ने पिछले हफ्ते बड़े अफसरों की बड़ी तबादला सूचियां लंबे इंतजार के बाद आखिर जारी कर दी। तबादलों को लेकर ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद आइएएस और आईपीएस अफसरों के साथ ही बड़े पैमाने पर आरएएस अफसर बदले गए हैं। आईएएस और आईपीएस अफसरों के तबादलों को लेकर बड़ी एक्सरसाइज हुई और एक बड़ी सूची के बाद एक छोटी सूची से सब कुछ सेट कर दिया गया। आरएएस अफसरों की जंबो लिस्ट जारी होने के बाद भी कई अफसरों ने नई जगह पर ज्वाइन नहीं किया । उन्होंने इच्छित स्थान पर जाने के लिए जुगाड़ बैठाया। उनका जुगाड़ काम आया और फिर एक लंबी संशोधित लिस्ट निकली। अब अफसरों के ज्वाइन करने का सिलसिला जारी है। नेताओं की पसंद को भी तरजीह दी गई है। नेताओं ने अपने क्षेत्र में पसंद के अफसर लगाने की अर्जी दी थी जिस पर सरकार ने सुनवाई की है। कई अफसर ऐसे हैं जिनका हर लिस्ट में तबादला हुआ है। आईपीएस अफसरों की तबादला सूची में जिले के कप्तान भी बदले गए हैं। हनुमानगढ़ जिले में नए आए पुलिस कप्तान काफी मिलनसार बताए जा रहे हैं। उनसे मिलने आने वालों की लम्बी लाइन लगी हुई है। दूसरी बार जिले का जिम्मा संभाल रहे पुलिस कप्तान से जिले को उम्मीद काफी है। हालांकि पिछले पुलिस कप्तान बेहतर काम करके गए हैं। उनकी विदाई शानदार रही और महकमे के अफसरों से उनका तालमेल भी शानदार रहा था। फिलहाल नए अफसरों की जॉइनिंग से प्रदेश की सूरत बदलने की उम्मीद की जा सकती है।
क्या जादू चला गये पूर्व मुखिया?
राजनीति में जादूगर के नाम से फेमस सरकार के पूर्व मुखिया विपक्ष वाली पार्टी में अपना बड़ा कद बरकरार रखे हुए हैं। हाल ही में विपक्ष वाली पार्टी में यूथ विंग के नए राष्ट्रीय चीफ की नियुक्ति हुई है। राष्ट्रीय चीफ की नियुक्ति से पहले पार्टी के सबसे बड़े नेता ने संभावित दावेदारों के इंटरव्यू लिए थे। इस इंटरव्यू में यूथ विंग के प्रदेश प्रधान को भी बुलाया गया था। इनकी पैरवी सूबे से सीएम इन वेटिंग रहे युवा नेता शुरू से ही कर रहे हैं। समर्थकों ने इंटरव्यू में बुलाते ही यूथ विंग के प्रदेश प्रधान को संभावित राष्ट्रीय चीफ बताते हुए पोस्टें शेयर कर दीं । युवा नेता ने भी जमकर पैरवी की। यूथ विंग के तत्कालीन राष्ट्रीय चीफ ने इनके लिए फील्डिंग सजा रखी थी। टिकट के दौरान भी राष्ट्रीय चीफ ने प्रदेश प्रधान की मदद की थी। इसी बीच पूर्व मुखिया तबीयत ठीक होने पर अचानक दिल्ली पहुंच गए। उन्हें हरियाणा चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर लगाया गया था। यूथ विंग के नए राष्ट्रीय चीफ की घोषणा हुई तो उसमें जम्मू कश्मीर से एक युवा नेता का नाम आ गया। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व मुखिया ने दिल्ली में युवा विधायक के लिए अड़चन पैदा कर दी। पार्टी सुप्रीमो को फीडबैक देखकर पूर्व मुखिया जम्मू कश्मीर वाले नेता का नाम आगे ले आए। राजनीतिक गॉसिप बताते हैं कि पूर्व मुखिया काम करने में माहिर हैं और इससे युवा नेता के प्रयासों को झटका लगा है।
ई-चालान के बहाने, साइबर ठगी का नया खेल!
जब लोग दिन भर धूल फांक कर घर लौटते हैं, तो सोफे पर बैठते ही मोबाइल की घंटी बजती है—"आपका चालान कट गया है। अब तो आप फंस गए!"। लोग बेचारे घबराहट में फोन को ऐसे घूरते हैं, जैसे फोन नहीं, कोई नटवरलाल सामने खड़ा हो। आजकल ठगों ने नया शगल पकड़ लिया है—ई-चालान! अब भले ही आपने दिन भर साइकिल चलाई हो, घोड़े पर सवार होकर शहर का चक्कर लगाया हो, या रिक्शे में बैठ कर कूल्हों का व्यायाम किया हो, चालान कटने का मैसेज आपके मोबाइल पर आएगा, और आपको लगेगा कि पुलिसवाले गुप्त रूप से आपके पीछे लगे हैं। पर हकीकत ये है कि ये पुलिस द्वारा भेजा गया चालान नहीं बल्कि साइबर ठगो का कारनामा है। यह खेल अब ठगों की फुल टाइम नौकरी बन गई है।
पुलिस ने साफ-साफ कहा है कि भाई, हम सिर्फ टेक्स्ट मैसेज भेजते हैं, लेकिन ठग साहब वॉट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, और शायद टिक टोक पर भी चालान थमा दें! बेचारे वाहन चालकों को तो यही समझ नहीं आता कि चालान असली है या नकली, और जब तक कोई समझ पाता है, जेब ढीली हो चुकी होती है। स्मार्टफोन से स्मार्ट ठगी तक का सफर बड़ा तेज़ी से तय हो रहा है। पुलिस कहती है कि हमारे संदेश का हेडर ‘VAHAN’ होगा, लेकिन ठगों का हेडर पढ़कर तो लगेगा कि ये कोई नया एपिसोड है ‘क्राइम पेट्रोल’ का। ऊपर से चालान का मैसेज आता है और वाहन मालिक को लगता है कि अब तो अदालत का चक्कर लगाना पड़ेगा, जबकि ठग सीधे बैंक अकाउंट की दिशा में ले जाने की तैयारी में होते हैं। तो जनाब, सावधान रहें! फोन पर आए चालान को ऐसे न देखें, जैसे घर की चिट्ठी आई हो। पहले उसकी सच्चाई जांचिए, वरना साइबर ठग आपके बैंक बैलेंस पर हंसते हुए चाय की चुस्की ले रहे होंगे।
"नेताओं की चिट्ठी-पत्री का नया दौर"
राजनीति के महारथी अब तीर-कमान के बजाय कागज-कलम से वार कर रहे हैं। इस बार बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने एक चिट्ठी निकाली, और बस, राजनीति के तालाब में एक और लहर दौड़ गई। चिट्ठी से कई घबराए, कई तिलमिलाए, और कई सीधे मैदान में उतर आए। चिट्ठियों के इस दौर ने याद दिलाया कि जब राजा-महाराजा हाथी-घोड़े पर सवार होकर युद्ध करते थे, तब उनके संदेशवाहक कबूतर भी संदेश छोड़कर आते थे। अब वो कबूतर तो नहीं, पर नेताजी का मेल बॉक्स ज़रूर हर वक्त हरा रहता है। कहीं से भी चिट्ठी आने की संभावना बनी रहती है।
राजनीति का मैदान ऐसा लगता है कि अब सिर्फ चुनावों तक सीमित नहीं रहा। यहा चिट्ठियां भी अब हथियार बन चुकी हैं। खास बात ये है कि इन चिट्ठियों में जनता के मुद्दे कहीं पीछे रह जाते हैं, और नेता बस एक-दूसरे की नीतियों पर सवाल उठाने में लगे रहते हैं। माना जाता है कि तीर कमान से निकले तो वापस नहीं आते, मगर राजनीति के इस नए युद्ध में 'कागज़ का तीर' कई बार उल्टा भी पड़ सकता है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष की ये चिट्ठी अब कई सवाल खड़े कर रही है, पर असल सवाल ये है कि क्या इस चिट्ठी के जवाब में भी कोई ओर चिट्ठी आएगी? या फिर कोई और सियासी नाटक सामने आएगा? बहरहाल... राजनीति के इस खेल में चिट्ठियों का महत्त्व बढ़ गया है। आने वाले दिनों में नेताजी अब अपने भाषणों से ज्यादा अपनी चिट्ठियों से चर्चित होंगे। अब देखना ये है कि इन चिट्ठियों का सिलसिला कहाँ तक जाता है और कब तक चलता है। अरे हाँ! आप और हम चिट्ठियां तो लिखना भूल गए पर नेता लोग इसे अपना सबसे बड़ा हथियार बना रहे हैं। चलिए, इस 'चिट्ठी-युद्ध' का आनंद लीजिए, अगली चिट्ठी कब आती है, इसका इंतजार कीजिए!
चुनावी कबड्डी और दिग्गजों की एंट्री का साइड इफेक्ट!
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव की बिसात बिछ चुकी है और मैदान में दिग्गज खिलाड़ियों की एंट्री हो चुकी है। अब भले ही ये मैदान क्रिकेट का हो, लेकिन असली खेल तो राजनीति का है! कबड्डी का मैदान सज गया है और सभी खिलाड़ी अपने-अपने पाले में तैयार खड़े हैं। चलिए, ज़रा देखते हैं कि चुनावी खेल में कौन-कौन धूल चाटने वाला है और कौन मैदान मारने वाला। पुराने खिलाड़ी वापस लौट रहे हैं जैसे कोई राजा अपना खोया सिंहासन वापस लेने चला हो। लेकिन इस बार दांव ऊंचा है, क्योंकि मैदान में सिर्फ़ खिलाड़ियों का नहीं, उनके युवराजो का भी खेल जारी है। हां जी, नेताओ के लाडले भी इस चुनावी कबड्डी का हिस्सा बनने वाले हैं। बेटे, बेटियों के लिए राजनीति की पाठशाला यही तो है—वो भी 'साफ-सुथरे' दांव-पेचों वाली!
अब समिति के बड़े पदों की दौड़ में कौन किसे पटकनी देगा, ये देखने वाली बात होगी। कुछ चेहरे तो इतने पुराने हैं कि ऐसा लगता है जैसे ये मैदान ही उनका घर हो। वही पुरानी कहावत याद आ गई, "जो दिखता है, वो बिकता है!" और यहां तो देखने- दिखाने वालों की कोई कमी नहीं है। सुनने में आया है कि कुछ गोटियां आगे खिसक सकती हैं, क्योंकि खेल बड़ा है और चालें और भी बड़ी। अरे भई, हम तो बस दर्शक हैं, नये चेहरों और पुराने दिग्गजों के इस 'मैच' को देखने का मजा लेने आए हैं। बाज़ी किसके हाथ लगेगी ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है । साइड इफेक्ट्स की पूरी आशंका है ।
खेल जारी है, मैदान तैयार है, और दर्शक अपनी जगह पर बैठे हैं। देखते हैं, ये चुनावी कबड्डी में कौन किसे चित करेगा और किसकी चाल सबसे भारी पड़ेगी। आप बस पॉपकॉर्न लेके बैठिए, असली मजा तो अब आने वाला है ।