देश में चिप की चाबी होगी धोलेरा के हाथ, पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेमिकॉम सिटी की ग्राउंड रिपोर्ट
Monday, Sep 29, 2025-10:44 AM (IST)

धोलेरा स्मार्ट सिटी। अहमदाबाद से सौ किलोमीटर दूर भारत के भविष्य की बुनियाद रखी जा रही है। पीएम मोदी ने देश को सेमीकंडक्टर का हब बनाने के लिए चार बड़े सेमीकंडटर प्रोजेक्ट्स का एलान किया है. जिसमें धोलेरा में सेमीकंडटर चिप का मास प्रोडक्शन किया जाना है। धोलेरा सेमिकॉम सिटी को देश की आधुनिकतम सिटी बनाने के लिए काम शुरू हो चुका है। अगर सब कुछ तय योजना के तहत हुआ तो धोलेरा सिटी आजादी के सौ साल पूरे होने से पहले यानी 2045 तक धोलेरा स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (SIR) के भारत का पहला अगली पीढ़ी का शहर बन जाएगा।
खास बात यह है कि यह परियोजना दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) का हिस्सा है और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में गिना जाता है। धोलेरा स्मार्ट सिटी को 920 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। इसमें अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, 6-लेन एक्सप्रेसवे, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क, औद्योगिक क्षेत्र, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र शामिल हैं। केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए लगभग 3,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है।
कहां तक पहुंचा धोलेरा सेमिकॉम सिटी का काम
धोलेरा में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए रनवे और टर्मिनल का काम अंतिम चरण में है। इसी तरह मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क विकसित हो रहा है जो दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ा होगा। इस सेमिकॉम सिटी धोलेरा में रक्षा, विमानन, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और भारी इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी में ट्रांसपोर्ट, जल आपूर्ति, स्वच्छता, सुरक्षा और ऊर्जा प्रबंधन में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही है
इसीलिए धोलेरा को कहा जा रहा सेमीकॉम सिटी
टाटा समूह की और से यहां सबसे बड़ा सेमीकंडटर प्लांट लगाया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स प्लांट का अनुमानित परियोजना बजट लगभग 91,000 करोड़ रुपये है। केंद्र और राज्य दोनों प्राधिकरणों से मिलने वाली सरकारी सब्सिडी से परियोजना की लागत का 70% तक कवर होने की उम्मीद है। इस परियोजना का पहला भाग पूरी तरह से पावर मैनेजमेंट सर्किट, माइक्रोकंट्रोलर, डिस्प्ले ड्राइवर और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग लॉजिक के लिए चिप्स के निर्माण पर केंद्रित होगा। ऑटोमोटिव, डेटा स्टोरेज, कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उद्योगों के लिए ये सबसे ज़रूरी चीज़ें हैं। टाटा इन सभी का निर्माण भारत में करेगा। एक बार संयंत्र पूरी तरह से चालू हो जाने पर, इसकी अधिकतम उत्पाद क्षमता 50,000 वेफर्स (चिप) प्रति माह तक पहुँचने का अनुमान है।
यह परियोजना टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और ताइवान की पीसीएमएस का संयुक्त उद्यम है। करीब 20 हजार से ज्यादा प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं। लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने है। मसलन, समतल और आर्द्र भूमि होने के कारण यहां जल भराव एक बड़ी समस्या है। निवेशक को यहां बड़े पैमाने पर भराव से सतह को ऊपर लेना होगा। इसलिए निवेशक को कई तैयारियों के साथ आना होगा।
हालांकि टाटा प्रोजेक्ट का काम शुरू होने और धोलेरा में सड़क,बिजली और पूरे शहर को स्मार्ट कैमरों की निगरानी में रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम पूरा हो चुका है। कुछ क्षेत्रों में निवेश की गति अपेक्षाकृत धीमी है। धोलेरा में साबरमती की तरह छह किलोमीटर रिवर फ्रंट तैयार हो रहा है। सड़क की बार बार खुदाई को रोकने के लिए अंडरग्राउंड डेक सिस्टम दिया गया है।
- विशाल सूर्यकांत