55 साल तक क्यों निष्क्रिय रहीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां? शेखावत बोले – जो देश मिसाइल बना सकता था, वह गोली तक आयात करता रहा
Tuesday, Dec 30, 2025-07:17 PM (IST)
जोधपुर | केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भारत की रक्षा उत्पादन नीति और ऐतिहासिक सैन्य क्षमता पर बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्माताओं में शामिल था, लेकिन आज़ादी के बाद करीब 55 वर्षों तक ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां निष्क्रिय होती चली गईं, जिसके कारण देश को रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर होना पड़ा।
मंगलवार को अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, जोधपुर प्रांत द्वारा आयोजित पश्चिमी राजस्थान उद्योग हस्तशिल्प उत्सव-2026 में संबोधन के दौरान शेखावत ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र देशों द्वारा चलाई गई कुल गोलियों में से करीब 80 प्रतिशत मैन्युफैक्चरिंग भारत में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के माध्यम से होती थी। उन्होंने सवाल किया कि आखिर किन कारणों से यह मजबूत व्यवस्था दशकों तक कमजोर होती चली गई और भारत 100 प्रतिशत आयात पर निर्भर बन गया।
‘अब युद्ध सीमाओं पर नहीं, तकनीक के आधार पर होते हैं’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। अब सैनिक आमने-सामने बंदूक लेकर नहीं लड़ते, बल्कि तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और साइबर सिस्टम के ज़रिए युद्ध लड़े जा रहे हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजराइल तनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि आधुनिक दौर में भौगोलिक सीमाएं युद्ध की शर्त नहीं रहीं।
शेखावत ने कहा, “आज के समय में Anything and Everything can be weaponised. इसलिए भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना अनिवार्य है।”
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत
शेखावत ने कहा कि एक समय जो भारत रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा आयातक था, आज वही भारत दुनिया के शीर्ष 10 रक्षा निर्यातक देशों में शामिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि तेजस विमान से लेकर ब्रह्मोस मिसाइल और एंटी-मिसाइल सिस्टम तक, भारतीय तकनीक आज वैश्विक स्तर पर मांग में है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि अब रक्षा आयात के लिए केवल एक नेगेटिव लिस्ट बची है, जबकि शेष सभी उपकरण भारत में ही बनाए जा रहे हैं।
भारत की आर्थिक शक्ति का रोडमैप
भारत की आर्थिक प्रगति पर बोलते हुए शेखावत ने कहा कि भारत बीते चार वर्षों से दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। बीटीआई और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि भारत की विकास दर 7 से 8.2 प्रतिशत के बीच है।
उन्होंने विश्वास जताया कि 4 ट्रिलियन डॉलर की वर्तमान अर्थव्यवस्था 2032 तक 8 ट्रिलियन, 2040 तक 16 ट्रिलियन और 2047 तक 32 ट्रिलियन डॉलर की महाशक्ति बन जाएगी। इस दौरान सड़कों, वंदे भारत ट्रेनों, ब्रॉडबैंड, बिजली, गैस कनेक्शन और कर सुधार जैसे बदलावों को उन्होंने विकसित भारत की नींव बताया।
इतिहास पराजय का नहीं, पराक्रम का है
शेखावत ने कहा कि भारत, विशेषकर राजस्थान और पश्चिमी भारत की धरती, सदियों से बलिदान और पराक्रम की प्रतीक रही है। उन्होंने प्रसिद्ध राजस्थानी लोरी “इला न देणी आपणी…” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परंपरा मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान की सीख देती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का इतिहास केवल युद्धों का नहीं, बल्कि कर्तव्य, संस्कार और चरित्र की जीवंत गाथा है।
‘अब भारत घर में घुसकर मारता है’
सैन्य शक्ति पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1947 से लेकर कारगिल तक भारत की शांति को कमजोरी समझने की भूल की गई, लेकिन अब नया भारत सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के ज़रिए स्पष्ट संदेश दे चुका है।
उन्होंने कहा कि अब भारत अपने खिलाफ रचे गए षड्यंत्रों को स्वीकार नहीं करता और आवश्यकता पड़ने पर घर में घुसकर जवाब देता है।
वीरों और वीर माताओं को नमन
कार्यक्रम में वीर सैनिकों, वीर माताओं और वीरांगनाओं के सम्मान पर शेखावत ने कहा कि यह आयोजन केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि राष्ट्र की ओर से कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रयास है। उन्होंने सैन्य परिवार से जुड़े अपने निजी अनुभव साझा करते हुए कहा कि युद्धभूमि में डटे सैनिकों के पीछे घर में खड़ी वीर नारियां असाधारण संयम और साहस का परिचय देती हैं।
