सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में मजबूत हो रहा सहकारिता का नेटवर्क

Wednesday, Nov 19, 2025-11:48 AM (IST)

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश में सहकारिता का नेटवर्क और अधिक मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने तथा अंत्योदय की संकल्पना को साकार करने में सहकारिता की अहम भूमिका को देखते हुए राज्य की पैक्सविहीन ग्राम पंचायतों में तीव्र गति से नवीन पैक्स का गठन किया जा रहा है। बड़े स्तर पर नवीन पैक्स गठन से राज्य के अधिक से अधिक लोगों तक जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी। 

 

राज्य सरकार ने बजट वर्ष 2025-26 में आगामी 2 वर्षों में राज्य की पैक्सविहीन लगभग 2600 ग्राम पंचायतों में नवीन पैक्स के गठन की घोषणा की थी। घोषणा की अनुपालना में सहकारिता विभाग द्वारा वर्ष 2025-26 एवं 2026-27 में 1300-1300 पैक्स के गठन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लेकिन इसकी तुलना में इस वित्तीय वर्ष में अक्टूबर माह के अंत तक ही 1700 नवीन पैक्स का गठन किया जा चुका है। यह एक वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य से लगभग 31 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार, दो वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 65 प्रतिशत से अधिक 7 माह में ही हासिल किया जा चुका है। राज्य में वर्ष 2024-25 में भी 297 पैक्स के गठन का लक्ष्य था, जिसकी तुलना में 857 पैक्स का गठन कर 288.5 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की गई। 

 

केंद्र सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व जारी की गई नवीन ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति‘ एवं ‘सहकार से समृद्धि‘ परिकल्पना के अंतर्गत देश में सहकारिता का दायरा अधिक विस्तृत किये जाने पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। राजस्थान इस मामले में देश में अग्रणी भूमिका में है। वर्तमान में राज्य में 8 हजार 840 पैक्स का विशाल नेटवर्क मौजूद है, जिनमें से 8 हजार 823 पैक्स क्रियाशील हैं। पैक्सविहीन समस्त ग्राम पंचायतों में तेजी से नवीन पैक्स का गठन किया जा रहा है, जिससे राज्य में जमीनी स्तर पर सहकारिता का नेटवर्क मजबूत और व्यापक हो रहा है। 

 

पैक्स को दिया जा रहा बहुउद्देश्य स्वरूप
वर्तमान समय के अनुरूप पैक्स को अधिक प्रासंगिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इन्हें बहुउद्देशीय स्वरूप प्रदान करते हुए एम-पैक्स में परिवर्तित किया गया है। पूर्व में पैक्स की भूमिका केवल किसानों को ऋण एवं खाद-बीज वितरण तक ही सीमित रहती थी। लेकिन अब एम-पैक्स को विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है, जिससे वे प्रतिस्पर्धी एवं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं। इसी प्रकार, सहकारी समितियों के सदस्य अब तक आम तौर पर किसान ही होते थे, लेकिन अब बहुउद्देशीय परिकल्पना के अंतर्गत इन्हें बंटाईदारों, कारीगरों, शिल्पकारों, पशुपालकों और छोटे उद्यमियों आदि के लिए भी उपयोगी बनाया जा रहा है।


Content Editor

Anil Jangid

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News