अलवर पुलिस का कांस्टेबल हजारीलाल मासूम निधि के लिए बना देवदूत
Tuesday, Oct 14, 2025-02:10 PM (IST)
जयपुर 14 अक्टूबर। राजस्थान पुलिस ने एक बार फिर सेवा संवेदना और समर्पण की अनूठी मिसाल पेश की है। सोमवार 13 अक्टूबर की रात अलवर शहर में 25 फीट की ऊँचाई पर एक मकान की प्रथम मंजिल में गलती से फंसी 4 साल की मासूम निधि राठौड़ को पुलिस टीम ने त्वरित कार्यवाही करते हुए सुरक्षित बाहर निकाल लिया। डीजीपी राजीव कुमार शर्मा ने पुलिस की इस त्वरित कार्यवाही की सराहना की है।
अलवर एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि शहर की संकड़ी गलियों में स्थित इस मकान की पहली मंजिल से बच्ची के रोने की आवाज़ सुनकर मां व स्थानीय लोगों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी कि निशा राजपूत के मकान में 4 साल की बच्ची घर के अन्दर बन्द है। मकान में लाईट नहीं है, अकेली डरी हुई बच्ची बुरी तरह रो रही है। सूचना मिलते ही थानाधिकारी विजयपाल सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुँची।
बिजली के तारों के बीच जान हथेली पर
वाकये के अनुसार मकान चारों और से बंद था, पुलिस ने पाया कि बच्ची पूरी तरह डर गई थी और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। बच्ची को समझा—बुझाकर झरोखे तक लाया गया। यहां पर पुलिस टीम ने पूरी सतर्कता बरतते हुए कार्यवाही का निर्णय लिया और 30 फीट लंबी सीढ़ी के माध्यम से बच्ची को बचाने की कार्यवाही प्रारंभ की। इस कार्यवाही में कांस्टेबल हजारी लाल (बेल्ट नम्बर 1594) ने अत्यंत बहादुरी का परिचय दिया। उन्होंने बिजली के नंगे तारों की परवाह किए बिना 30 फीट लंबी सीढ़ी पर चढ़कर प्रथम मंजिल के झरोखे तक पहुँचे। करीब 25 मिनट के इस जोखिम भरे ऑपरेशन में कांस्टेबल हजारी लाल ने बच्ची को प्यार से आवाज देकर समझा-बुझाया, उसका डर कम किया और उसे झरोखे की ओर बुलाया। इसके बाद उन्होंने बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला और अपने एक हाथ से बच्ची को पकड़, एक हाथ से सीढ़ी पर संतुलन बनाते हुए नीचे उतार उसकी मां निशा देवी को सकुशल सुपुर्द कर दिया। मां निशा ने बताया कि बच्ची के पिता की इसी साल मार्च महीने में मौत हो चुकी और वह सब्जी बेचकर घर चलाती हैं। ऐसे में बच्ची घर मे अकेली थी।
डीजीपी ने की पुलिस कार्रवाई की प्रशंसा
इस संवेदनशीलता भरी कार्यवाही पर डीजीपी राजीव शर्मा ने पुलिस टीम और कांस्टेबल हजारी लाल की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा राजस्थान पुलिस का यह कार्य सेवा, संवेदना और समर्पण का जीवंत उदाहरण है। पुलिस सिर्फ कानून की रक्षक नहीं, समाज की संरक्षक भी है।
