सिरोही के वाटेरा में प्रस्तावित खनन परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का फूट पड़ा आक्रोश
Wednesday, Nov 05, 2025-03:52 PM (IST)
सिरोही। सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा अब चरम पर है। एक बार फिर मंगलवार रात वाटेरा गांव से ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया। गांव की गलियों में मातम पसरा हुआ था, महिलाएं-बुजुर्ग छाती पीटकर विलाप कर रहे थे, और युवा खनन कंपनी के खिलाफ नारे लगाते हुए पुतला लेकर शव यात्रा निकाल रहे थे। मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से प्रस्तावित करीब 800.9935 हेक्टेयर जमीन पर खनन परियोजना को लेकर चार ग्राम पंचायतों के एक दर्जन से अधिक गांवों में पिछले करीब दो महीनों से जबरदस्त विरोध जारी है।
बड़ा कदम उठाना पड़ेगा
ग्रामीणों का कहना है कि यह परियोजना क्षेत्र की जल, जमीन और जंगल तीनों को नष्ट कर देगी, जिससे किसानों, आदिवासियों और स्थानीय लोगों का जीवन पूरी तरह तबाह हो जाएगा।
गांवों में हर दिन मीटिंग, बैठकें और रणनीतिक मंथन जारी है। लोग अब केवल ज्ञापन या धरनों तक सीमित नहीं रहना चाहते। ग्रामीणों का साफ कहना है — “अगर सरकार संपूर्ण खनन परियोजना को और समय रहते इस परियोजना से जुड़ा MOU निरस्त नहीं किया, तो हमें बड़ा कदम उठाना पड़ेगा।”
अब रोने के अलावा कुछ नहीं बचा
मंगलवार देर रात वाटेरा गांव में दृश्य ऐसा था मानो किसी घर में मौत हो गई हो। महिलाएं फूट-फूटकर रो रही थीं, पुरुषों की आंखों में आंसू थे। एक बुजुर्ग महिला ने सरकार पर अपना दर्द जताते हुए कहा “अगर पता होता कि सरकार हमारी जमीन, हमारा जंगल, और हमारा पानी छीन लेगी तो ऐसी सरकार को एक वोट भी नहीं देते।”
गांव के युवाओं ने बताया कि अब उनके घरों का खाना-पीना और चैन-सुकून सब खत्म हो गया है। “दिन-रात इसी चिंता में रहते हैं कि हमारी जमीन कब छिन जाएगी। सरकार के कानों तक हमारी पुकार नहीं पहुंच रही,” एक ग्रामीण ने कहा।
नेताओं पर भी फूटा आक्रोश
गांव में प्रदर्शन के दौरान सत्तापक्ष के नेताओं के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। ग्रामीणों ने आबू पिण्डवाड़ा क्षेत्र के विधायक समाराम गरासिया के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए “हाय-हाय” के नारे लगाए। लोगों का आरोप है कि भाजपा के स्थानीय नेता मुख्यमंत्री से मुलाकात के नाम पर जनता को केवल “गुमराह” कर रहे हैं और बेवकूफ बना रहें है।
क्षेत्र वासियो का अल्टीमेट
वाटेरा, भीमाना, भारजा, रोहिड़ा सहित दर्जनभर गांवों में आंदोलन अब संगठित रूप ले चुका है। लोग चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सरकार ने जल्द इस खनन परियोजना को निरस्त नहीं किया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और उग्र हो सकता है। ग्रामीणो ने कहा “हमने अब तक शांतिपूर्वक ज्ञापन दिए, धरने दिए, हर जनप्रतिनिधि से गुहार लगाई। लेकिन जब किसी ने हमारी आवाज नहीं सुनी, तो अब संघर्ष ही रास्ता है। सरकार जनता के आंसू देखे या फिर आने वाले चुनाव में परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहें।”
क्षेत्र में अब हर वर्ग जाग उठा
क्षेत्र के युवा, महिलाएं, किसान, बुजुर्ग सभी अब एकजुट होकर इस खनन परियोजना का विरोध कर रहे हैं। हर गांव में जनसभाएं हो रही हैं, पोस्टर और बैनर लगाए जा रहे हैं, और लोगों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। सिरोही के इस दर्दनाक दृश्य ने सरकार और प्रशासन दोनों पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं आखिर कब तक जनता अपने हक और अपनी जमीन के लिए यूं सड़कों पर रोती रहेगी?
