पैसों के लिए देहदान और अंगदान करने को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया ये बड़ा बयान !
Sunday, Aug 18, 2024-06:26 PM (IST)
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान दौरे पर
जयपुर के बिड़ला सभागार में आयोजित हुआ सम्मान समारोह
देह दान करने वाले परिवारों का उपराष्ट्रपति ने किया सम्मान
कुछ लोगों का राजनीतिक स्वार्थ राष्ट्रहित से ऊपर- धनखड़
जयपुर, 18 अगस्त 2024 । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ दो दिवसीय राजस्थान दौरे पर हैं । इसी कड़ी में रविवार को उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजधानी जयपुर पहुंचकर बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया । बिड़ला सभागार में देहदानी परिवार सम्मान एवं आभार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए । इस दौरान देहदान करने वाले परिवारों का उप राष्ट्रपति ने सम्मान किया । वहीं उन्होंने बिड़ला सभागार में संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है, जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है। जो राजनीतिक हित और व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उनको हमें समझना चाहिए। इस दौरान कार्यक्रम में ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ.सौम्या भी मौजूद रही ।
उन्होंने कहा कि रक्तदान तो एक महान कार्य है, साथ में अंगदान भी हो तो समाजहित में काम आएगा । ऐसे में धनखड़ ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से 100 लोगों को प्रत्येक आदमी को जोड़ना चाहिए जो अंगदान कर सके । ऐसे में विश्व अंगदान दिवस में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए ।
पैसे के लिए देहदान और अंगदान ना करें- जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आगे अंगदान के व्यापारियों को ध्यान दिलाया, कहा कि हमने G-20 के माध्यम से दुनिया को संदेश दिया है, कुछ लोग इसका व्यापार भी करते है, तो इस बात पर जैन समाज ध्यान दें । पैसे के लिए अंगदान ना करें । उन्होंने कहा कि मैं इस कार्यक्रम में आकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं । ये शरीर समाज के काम आए तो इससे खुशी की क्या बात हो सकती है ? जिन परिवारों को आज सम्मानित किया है, उनको देखकर फक्र महसूस कर रहा हूं ।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, आज देश में तेजी से विकास हो रहा है। वो अकल्पनीय है। साल 1989 में मैं केंद्रीय मंत्री था। हमने कल्पना भी नहीं की थी कि देश में इस तेजी के साथ विकास होगा। इसलिए मैं आज की पीढ़ी से आह्वान करता हूं कि उन्हें यह देखना चाहिए कि देश में संविधान पर खतरा कब आया था। उन्होंने कहा, कुछ लोग कहते हैं कि आपातकाल का काला अध्याय चुनाव से खत्म हो गया था। लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार ने आपातकाल के दिन संविधान हत्या दिवस मनाने की जो पहल की है, वह नई पीढ़ी को आगाह करने के लिए है। ऐसा कालखंड था, जब आपके मौलिक अधिकार समाप्त हो गए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए थे। कार्यपालिका का तानाशाही रवैया शिखर पर पहुंच गया था। इतिहास में इसका कोई ओर उदाहरण नहीं मिलेगा।