श्राद्ध पक्ष में लगेंगे दो ग्रहण : भारत में दिखेगा 7 सितंबर का चंद्र ग्रहण, 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण

Monday, Aug 11, 2025-02:06 PM (IST)

श्राद्ध पक्ष की शुरुआत में लगेगा चंद्र ग्रहण
सूर्य-चंद्र ग्रहण का पड़ेगा व्यापक प्रभाव

 

जयपुर/जोधपुर, 11 अगस्त 2025 । साल की शुरुआत में मार्च माह में एक बार चंद्र ग्रहण लग चुका है। लेकिन सितंबर महीने में साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। बड़ी बात यह है कि इसे भारत में देखा जा सकेगा। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य एवं चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है। इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ करने की मनाही होती है। लापरवाही करने या बरतने से शारीरिक और मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि साल 2025 में भी चार ग्रहण देखने को मिलेंगे।  इनमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा। जिन जगहों पर ग्रहण दिखाई देता है, वहां-वहां चंद्र ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण के सूतक के समय में पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं, मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद सूतक खत्म होता है। मंदिरों का शुद्धिकरण होता है और फिर पूजा-पाठ आदि धर्म-कर्म किए जाते हैं। 

ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को लगेगा। यह चंद्र ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और यह भारत में दिखाई देगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा। सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा और यह भी भारत में नहीं दिखेगा। यह भी आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और न्यूजीलैंड, पैसिफिक व अंटार्कटिका में दिखाई देगा।

ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। यह ग्रहण अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलेशिया, एशिया, हिंद महासागर, युरोप पूर्वी अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। रुस और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में चन्द्रास्त के समय उपच्छाया का प्रारम्भ दिखाई देगा। आइसलैंड, अफ्रीका के पश्चिमी हिस्से और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों में उपच्छाया का अन्त चन्द्रोदय के समय दिखाई देगा।


7 सितंबर से पितृ पक्ष का आरंभ
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 7 सितंबर से हो रहा है और 21 सितंबर तक चलेगा। लेकिन पूर्णिमा का श्राद्ध 7 सितंबर  को होगा और उसी दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा। भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा इस कारण सूतक लगेगा। ये चंद्र ग्रहण भारत में दिखेगा। यूरोप, एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी यह दिखेगा।


बृहत्संहिता के अनुसार दो ग्रहणों का असर
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वराहमिहिर द्वारा रचित ग्रंथ बृहत्संहिता के राहुचाराध्याय में लिखा है कि जब दो-दो ग्रहण एक साथ एक ही महीने में होते हैं तो तूफान, भूकंप, मानवीय भूल से बड़ी संख्या में जनहानि होने के योग बनते हैं। एक ही महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण होते हैं तो सेनाओं की हलचल बढ़ती है। सरकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदा आने के योग रहते हैं।

1979 में भी हुए थे ऐसे ही हादसे
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को भी मोरबी में डैम टूटने से बाढ़ आ गई थी और हजारों लोग मारे गए थे। उस साल 22 अगस्त को सिंह राशि में सूर्य ग्रहण हुआ था। इसके बाद 6 सितंबर को कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण हुआ था। अक्टूबर-1979 में फिलीपींस में तूफान आया था, जिसमें बड़ी जनहानि हुई थी। ठीक ऐसे ही हादसे 2022 में भी हो रहे हैं।

7 सितंबर को दूसरा चंद्र ग्रहण ( पूर्ण चंद्र ग्रहण )
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह रात्रि 21:57 बजे शुरू होकर 1:26 बजे तक प्रभावी रहेगा और भारत समेत संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में भी नजर आएगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा और धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व होगा। इस ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से आरंभ होगा और ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा, जिसमें चंद्रमा के साथ राहु और सप्तम भाव में सूर्य, केतु और बुध विराजमान होंगे। इस संयोजन का कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है। इन जातकों को सावधानी बरतने का आवश्यकता रहेगी।
उपच्छाया प्रवेश रात्रि 08:57, 
ग्रहण प्रारम्भ (स्पर्श) :- रात्रि 09:57, 
पूर्णता प्रारम्भ : मध्यरात्रि 11:00, 
ग्रहण मध्य: मध्यरात्रि 11:41, 
पूर्णता समाप्त मध्यरात्रि 12:23, 
ग्रहण समाप्त (मोक्ष):-मध्यरात्रि 01:27, 
उपच्छाया अन्त: मध्यरात्रि 02:27, 
ग्रहण की अवधि:- 03 घंटे 30 मिनट, 
पूर्णता की अवधि:- 01 घंटे 23 मिनट

भारत में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण मुख्य रूप से भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका, पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी देखा जा सकेगा। यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत के सभी हिस्सों से दिखाई देगा। पूरे देश में ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक उपच्छाया सहित ग्रहण के सभी चरण दिखेंगे। 


सूतक काल का समय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले हमेशा सूतक काल लगाता है। ऐसे में 7 सितंबर 2025 को लगने वाला चंद्र ग्रहण रात 9:57 मिनट से शुरू होगा। इसलिए इससे 9 घंटे पहले से सूतक काल लग जाएगा। इसका सुतक दोपहर 12:57 पर प्रारम्भ हो जायेगा।


21 सितंबर को दूसरा सूर्य ग्रहण ( पूर्ण सूर्य ग्रहण )
ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात्रि में लगेगा, जो आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन रात 22:59 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर की सुबह 03:23 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस पूर्ण ग्रहण को न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों में देखा जा सकेगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां इसका धार्मिक प्रभाव भी नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल मान्य होगा। साल का दूसरा ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आकार लेगा। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे और उन पर मीन राशि में बैठे शनि देव की पूर्ण दृष्टि रहेगी। इससे दूसरे भाव में तुला राशि में मंगल होंगे, छठे भाव में कुंभ राशि में राहु, दशम भाव में बृहस्पति और द्वादश भाव में शुक्र और केतु की युति होगी। कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है।

न करें ये काम
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण लगने पर मंदिरों में मूर्तियों को स्पर्श करने से बचें। कैंची, सुई-धागे और धारदार वस्तुओं का उपयोग न करें। यात्रा करने से बचें। ग्रहण को देखने की भूल न करें। महिलाएं ग्रहण के दौरान श्रृंगार न करें। गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के दौरान घर के अंदर रहना चाहिए। ग्रहण समाप्त होने के बाद ही ताजा बना हुआ भोजन करें। 

ग्रहण योग का पड़ेगा व्यापक प्रभाव
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि विश्व के नजरिए से देखा जाए तो इस दौरान ग्रहों के प्रभाव से दो राष्ट्रों के मध्य  तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। राष्ट्र अध्यक्षों के मध्य वाक् युद्ध की स्थिति बन सकती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के दृष्टिकोण से बड़ी नकारात्मक सूचना प्राप्त हो सकती है। लेकिन पद प्रतिष्ठा के लिए यह समय महिलाओं के लिए ठीक है। बौद्धिकता , नए अन्वेषण, व्यापारिक दृष्टिकोण से यह अवधि शुभ फल प्रदायक साबित होगा । ग्रहण से तीन महीने तक की अवधि में आम जनमानस के स्वास्थ्य में अवरोध, सुख में कमी ,नए रोगों का उत्पन्न होना , नए रोगों के आने से या होने से सुख में कमी होना ,आपसी मतभेद मनमुटाव, राजनीतिक दलों में कटुता का भाव।  बड़े वाहन की दुर्घटना  की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भारतीय रुपए का ह्रास हो सकता है। व्यापारिक दृष्टिकोण से यह समय ठीक रहेगा। आर्थिक दृष्टिकोण से समय ठीक रहेगा एवं बौद्धिक दृष्टिकोण से भी यह समय उपयुक्त रहेगा।

शुभ-अशुभ प्रभाव
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की संभावना।  पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा। पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा। रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। खाने की चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। दुर्घटनाएं आगजनी आतंक और तनाव होने की संभावना। आंदोलन धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होगा। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे। सत्ता संगठन में बदलाव होंगे। मनोरंजन फिल्म खेलकूद एवं गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी। बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना।

करें पूजा-पाठ और दान
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहण के अशुभ असर से बचने के लिए हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। भगवान शिव और माता दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।


Content Editor

Chandra Prakash

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